नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को यहां प्राधिकारियों से कहा कि वे अस्पताल और विद्यालय जैसी सार्वजनिक इमारतों का संरचनात्मक ‘ऑडिट’ करके भकूंप के झटकों को सहने के लिहाज उनकी मजबूती की जांच करें।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह सही है कि भूकंप जैसी प्रकृतिक आपदाओं पर किसी का नियंत्रण नहीं है लेकिन शहर की सरकार और अन्य स्थानीय प्राधिकारी अपनी इमारतों की समीक्षा करके और एक कार्ययोजना तैयार करके शुरुआत कर सकते हैं।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि दिल्ली सरकार और अन्य स्थानीय एजेंसियों को निर्देश दिया जाता है कि वे सभी अस्पतालों, विद्यालयों और कॉलेजों की इमारतों की संरचनागत ‘ऑडिट’ करके स्थिति रिपोर्ट सौंपें।
अदालत अधिवक्ता अर्पित भार्गव की उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें दावा किया गया है कि दिल्ली में भूकंप के झटकों का सामना करने के लिहाज से इमारतों की मजबूती की स्थिति बहुत खराब है और शक्तिशाली भूकंप आने पर बड़ी संख्या में लोग हताहत हो सकते हैं।
दिल्ली सरकार के अधिवक्ता संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि भूकंप के शक्तिशाली झटकों से निपटने के लिए प्राधिकारियों की ओर से कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि शहर की सभी इमारतों को भूकंप रोधी बनाने का काम केवल चरणबद्ध तरीके से किया जा सकता है।
सरकार के वकील ने इस बात पर भी जोर दिया कि शहर की कई इमारतें बहुत पुरानी हो चुकी हैं जिनमें से कुछ को ध्वस्त भी किया गया है और अवैध निर्माण भी एक बड़ी समस्या है।
इस पर अदालत ने कहा, ‘‘कृपया उन लोगों को आगाह करें। नोटिस दें कि ढांचा खतरनाक है। यह असुरक्षित है।’’
अदालत इस मामले पर अगली सुनवाई छह मई को करेगी।
भाषा संतोष प्रशांत
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