मेदिगड्डा/कालेश्वरम (तेलंगाना) : के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) सरकार की मेगा शोपीस कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना (केएलआईपी) के लाभों में अंबतपल्ली और अब उजड़े मेडिगड्डा बैराज के आसपास के बाकी गांव इसमें शामिल नहीं है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि रिटर्न को छोड़ दें, गोदावरी पर अंबतपल्ली से दिखाई देने वाला एक प्रमुख केएलआईपी बैराज ने उन्हें नुकसान पहुंचाया है.
नदी के दाहिने किनारे के करीब बसा हुआ, अंबतपल्ली, हैदराबाद से 255 किमी उत्तर-पूर्व में, मुख्य रूप से धान और मिर्च की फसलों की सिंचाई के लिए बोरवेल पर बहुत ज्यादा निर्भर है. कुछ किसानों ने ताड़ की खेती शुरू कर दी है.
पांच एकड़ भूमि के किसान लाची रेड्डी बंदम कहते हैं, “पहले हमें 100 फीट की गहराई में पानी मिल जाता था. अब, पानी को ऊपर की ओर थोड़ा सा बांध दिए जाने के बाद, हमें 150 फीट या अधिक गहराई तक बोरवेल खोदना पड़ेगा.”
यहां के किसान अपनी फसलों पर मक्खियों के संक्रमण की बढ़ती घटनाओं की भी शिकायत करते हैं “क्योंकि जलाशय प्रजनन स्थल के तौर पर काम करता है”.
जब मेडिगड्डा बैराज में कुछ स्थानों पर दरारें पड़ीं और अक्टूबर के तीसरे सप्ताह में छह खंभे डूब गए और इसकी बनाए जाने के चार वर्षों में, इसकी जांच-पड़ताल और इसे फिर शुरू करने के लिए 16 टीएमसी के बेसिन को खाली करना पड़ा था, तो इस दौरान अंबतपल्ली काफी हद तक उदासीन बना रहा.
1 लाख करोड़ रुपये की कालेश्वरम परियोजना का उद्घाटन मुख्यमंत्री केसीआर ने जून 2019 में, यानी अपने दूसरे कार्यकाल के पहले वर्ष में मेडिगड्डा में किया था. वह अब तीसरे कार्यकाल चाह रहे हैं.
हालांकि, भले ही विपक्ष डिजाइन, निर्माण की कमियों के अलावा केसीआर परिवार पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) पर हमला कर रहा हो, लेकिन चुनावी मुद्दे के रूप में कलेश्वरम का साफ तौर से राज्य भर में जमीन पर बहुत कम प्रभाव दिखा रहा है, जैसा कि तेलंगाना मेंं 30 नवंबर को मतदान होना है.
सिद्दीपेट में शिक्षक पुली राजू अधूरी नहरों और नलिकाओं का जिक्र करते हुए कहते हैं, “विपक्ष शोर मचा रहा है लेकिन लोग कालेश्वरम से कटे हुए हैं क्योंकि इसका पानी अभी भी उनके खेतों में नहीं बह रहा है.”
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राजू कहते हैं, जो पहले एक किसान भी थे. उनकी कृषि भूमि को केसीआर सरकार ने 2016 में केएलआईपी के 50 टीएमसी मल्लानसागर जलाशय के लिए अधिग्रहित किया था. “वैसे भी, इस चुनाव में मतदाताओं का ध्यान सरकारी नौकरियों की कमी जैसे कुछ बड़े मुद्दों पर है.”
केएलआईपी का उद्देश्य तेलंगाना के 33 में से 23 जिलों में फसलों की सिंचाई के लिए 169 टीएमसी पानी, हैदराबाद की पेयजल जरूरतों के लिए 30 टीएमसी, औद्योगिक उपयोग के लिए 16 टीएमसी पानी उपलब्ध कराना है.
अधिकारियों ने कहा, हालांकि सीमावर्ती जिलों में मेडिगड्डा, अन्नाराम, सुंडीला बैराज और सीएम के गृह-क्षेत्र सिद्दीपेट जिले में मल्लन्ना सागर, कोंडापोचम्मा जैसे बड़े जलाशयों का काम पूरा हो गया है और केएलपी के तहत योजनाबद्ध 18 लाख एकड़ के सभी नए अयाकट (सिंचाई द्वारा सेवित क्षेत्र) को लाने के लिए पानी, वितरण नेटवर्क का काम प्रगति पर है.
तेलंगाना सिंचाई विभाग के प्रमुख इंजीनियर सी मुरलीधर ने दिप्रिंट को बताया, “कुछ स्थानों पर भूमि अधिग्रहण का काम चल रहा है. सारे काम को पूरा होने में 4-5 साल लग सकते हैं.”
जहां केएलआईपी का पानी वर्तमान में बह रहा है, जैसे कि सीएम का निर्वाचन क्षेत्र गजवेल, अधिकारियों का दावा है, फसलों के लिए और अंडरग्राउंड वाटर की रिचार्जिंग और सतह पर जल की आपूर्ति से औसत भूजल स्तर 7 मीटर से अधिक बढ़ गया है.
अंबतपल्ली में दो एकड़ के अनुसूचित जाति के किसान वेंकटस्वामी पट्टी से, जब मेडिगड्डा की क्षति पर घटिया काम को लेकर विपक्ष के आरोपों पर पूछा गया तो उन्होंने कहा, “एक इंजीनियरिंग, निर्माण कंपनी की गलती के लिए केसीआर को कैसे दोषी ठहराया जा सकता है?” उन्होंने कहा कि उनके परिवार को बीआरएस सरकार की पेंशन और बालिका विवाह के लिए कल्याणलक्ष्मी सहायता से लाभ हुआ है.
कांग्रेस को तरजीह देने वाले लाची रेड्डी और बीआरएस को पसंद करने वाले पट्टी दोनों के पास भ्रष्टाचार के आरोपों पर ज्यादा कुछ कहने के लिए नहीं है, लेकिन दोनों बैराज की गड़बड़ी के लिए केसीआर-बीआरएस को दोषी ठहराना के इच्छुक नजर नहीं आते.
2019 के पंचायत चुनावों में, अंबतपल्ली ने बीआरएस, पूर्व में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को नकार कर कांग्रेसी झुकाव वाले उम्मीदवारों को सरपंच और उप-सरपंच के रूप में चुना है. 2018 में, कांग्रेस ने सत्तारूढ़ पार्टी से मंथनी विधानसभा क्षेत्र जीता था.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2 नवंबर को अंबतपल्ली में महिलाओं के साथ बातचीत की, जब वह तेलंगाना में अपने विजया-भेरी यात्रा अभियान के हिस्से के रूप में मेडिगड्डा बैराज में दरार का निरीक्षण करने आए थे.
जहां पिछड़े मुन्नुरू कापू समुदाय के किसान संबरती सरैया धान की कीमत को लेकर केसीआर से नाराज हैं और कांग्रेस समर्थक हैं, वहीं उनकी पत्नी पद्मा का कहना है कि वह केसीआर को वोट देंगी.
पड़ोसी बोम्मापुर गांव की एक अन्य महिला किसान बंदम ममता का कहना है कि वह पिछली बार की तरह बीआरएस को तवज्जो देती हैं. वजह रायथु बंधु, कल्याण लक्ष्मी योजनाएं हैं.
दिप्रिंट ने केएलआईपी से जुड़े दूर-दराज के निर्वाचन क्षेत्रों में जिन किसानों से बात की, वे भी भ्रष्टाचार या निर्माण संबंधी गड़बड़ियों के प्रति उदासीन दिखे, जबकि उन्होंने अपने मुद्दे, शिकायतें सामने रखीं.
वेमुलावाड़ा के पास कोडुमुंजा गांव में अंजैया बंडारी कहते हैं, “2006 में मिड मनेयर जलाशय के लिए हमने जो जमीनें, संपत्तियां खो दीं, उनके लिए हम अभी भी उचित मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं.”
मिड मनेयर को बाद में केएलआईपी में शामिल किया गया और तेलंगाना में भी लगभग 18 लाख एकड़ मौजूदा अयाकट को स्थिर करने के केएलआईपी उद्देश्य के हिस्से के तौर पर कालेश्वरम गोदावरी के पानी को जलाशय में लाया गया.
मेडिगड्डा की क्षति ने हालांकि अंबतपल्ली और आसपास के अन्य तेलंगाना सीमावर्ती गांवों को एक और लाभ से वंचित कर दिया है – महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के लिए एक अच्छी, सीधी सड़क की पहुंच से.
बैराज रोड पर बड़े गड्ढे की तस्वीरें वायरल होने के बाद, अधिकारियों ने इसे 21 अक्टूबर से बंद कर दिया है, भारी बैरिकेडिंग की गई है और पुलिस, सिंचाई विभाग के कर्मचारी पहरा दे रहे हैं. हालांकि कोई सार्वजनिक आवाजाही नहीं, लेकिन घटनास्थल पर लगे बैनरों में मेडिगड्डा बैराज को तेलंगाना चुनाव में अंतरराज्यीय चेक पोस्ट के तौर पर दर्शाया गया है.
ग्रामीणों का कहना है कि अब उन्हें यात्रा के लिए 30 किमी दूर कालेश्वरम पुल और गोदावरी नदी के ऊपरी हिस्से का इस्तेमाल करने के लिए लंबा चक्कर लगाना पड़ता है, नहीं तो बैराज के उस पार जाना पड़ता है.
गोदावरी-प्राणहिता नदियों का संगम स्थल कालेश्वरम, एक प्रसिद्ध शिव मंदिर के लिए भी जाना जाता है, जहां तेलंगाना, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के श्रद्धालु आते हैं.
केएलआईपी, पूर्व संयुक्त एपी (आंध्र प्रदेश) के सीएम वाई.एस. का नया डिज़ाइन, राजशेखर रेड्डी की संकल्पित प्राणहिता- चेवेल्ला सुजला श्रवणथी परियोजना का नाम इष्टदेव कालेश्वर मुक्तेश्वर स्वामी के नाम पर रखा गया है.
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बहुत बड़ा अचंभा या नाकामी?
तेलंगाना सिंचाई अधिकारियों के साथ साइट निरीक्षण और समीक्षाओं के आधार पर एक राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (एनडीएसए) की रिपोर्ट ने केसीआर सरकार को मेडिगड्डा बैराज पियर्स के डूबने को लेकर केएलआईपी की योजना, डिजाइन, गुणवत्ता नियंत्रण और संचालन-रखरखाव में गड़बड़ी का दोषी ठहराया है.
जल शक्ति मंत्रालय के तहत काम करने वाले एनडीएसए ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि दरारें पूरे बैराज के ठीक करने की चेतावनी देती हैं. इसने अन्नाराम, सुंडीला बैराज, जो कि केएलआईपी का हिस्सा हैं, पर भी चिंता व्यक्त की.
“जब आप मेहनत की कमाई से अपना घर बनाते हैं, तो आप इसे पीढ़ियों तक बनाए रखने के लिए निर्माण के लिए पर्याप्त समय देते हुए सभी सावधानियां बरतते हैं. आप थोड़े रिकॉर्ड बनाने के लिहाज से जल्दबाजी नहीं करते हैं,” कालेश्वरम के एक होटल व्यवसायी ए. श्रीनिवास, जो आने वाले भक्तों को भोजन परोसते हैं, मेडिगड्डा की दरारों के गंभीर संदर्भ में ये बात कहते हैं.
अंबतपल्ली और कालेश्वरम मंथनी निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा हैं, जो कांग्रेस का पारंपरिक गढ़ है. आंध्र प्रदेश विधानसभा में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व पी.वी. नरसिम्हा राव ने 1957 से 1977 तक, किया था, जिसमें 1971 से 1973 तक उनका सीएम कार्यकाल भी शामिल है.
श्रीनिवास ने विश्वास जताया कि कांग्रेस मंथनी को बरकरार रखेगी, जहां मौजूदा विधायक और प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के घोषणापत्र प्रमुख डुडिला श्रीधर बाबू बीआरएस के पुट्टा मधु के खिलाफ उतरे हैं.
कालेश्वरम से तीन किमी दूर सीएलआईपी का कन्नेपल्ली पंप हाउस है. 2022 जुलाई की बाढ़ में इसकी बड़ी मोटरें डूब गईं, जिससे भारी नुकसान हुआ. अन्नाराम बैराज 15 किमी दूर है.
फिर भी, बीआरएस शासन केएलआईपी को “दुनिया की सबसे बड़ी मल्टी-स्टेज लिफ्ट सिंचाई परियोजना, एक बड़े इंजीनियरिंग के कमाल” के रूप में पेश कर रहा है.
मई में, केसीआर के बेटे और तेलंगाना मंत्री के.टी. रामा राव, जिन्हें केटीआर के नाम से जाना जाता है, ने अमेरिकन सोसाइटी ऑफ सिविल इंजीनियर्स (एएससीई) से सम्मान प्राप्त करते हुए अपनी तस्वीरें ट्वीट कीं और कालेश्वरम परियोजना को ‘इंजीनियरिंग की प्रगति और साझेदारी का स्थायी प्रतीक’ कहा था.
Had the honour and privilege of presenting two flagship projects of Telangana Govt at the World Environmental and Water Resources Congress 2023 held by @ASCE_EWRI in Henderson, Nevada, USA
✳️ Kaleshwaram Lift Irrigation Project
✳️ Mission BhagirathaProud to receive the… pic.twitter.com/s8LTnTriuO
— KTR (@KTRBRS) May 22, 2023
अमेरिका के नेवाडा में विश्व पर्यावरण और जल संसाधन कांग्रेस को संबोधित करते हुए, केटीआर ने इस बात पर जोर दिया कि परियोजना का “रिकॉर्ड समय में पूरा होना सीएम केसीआर के असाधारण नेतृत्व और महत्वाकांक्षी विचारों को ठोस उपलब्धियों में बदलने की उनकी क्षमता का प्रमाण है.”
विपक्ष ने बीआरएस पर घेरा; कांग्रेस ने न्यायिक जांच का वादा किया
केटीआर के अमेरिकी कार्यक्रम के ठीक 5 महीने बाद, मेडिगड्डा में बैराज में दरारें दिखाई दीं, जिससे कांग्रेस और भाजपा को केसीआर और उनकी पार्टी पर सीधा हमला करने का मौका मिल गया.
भाजपा प्रमुख जे.पी.नड्डा ने पहले आरोप लगाया था कि परियोजना की लागत 1.2 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ा दी गई है और पानी केवल गजवेल में केसीआर के फार्महाउस तक पहुंचा है.
तेलंगाना के लिए कांग्रेस के घोषणापत्र में बीआरएस शासन के दौरान कालेश्वरम निर्माण और अन्य कथित घोटालों की न्यायिक जांच का वादा किया गया है. विपक्ष का आरोप है कि 2008-09 में वाईएसआर की प्राणहिता-चेवेल्ला परियोजना को 2014 में बीआरएस के सत्ता में आने के बाद फिर से डिजाइन किया गया था, “एक अनावश्यक परिवर्तन, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ लेकिन केसीआर एंड कंपनी को 1 लाख करोड़ रुपये चोरी करने का मौका मिला.”
अपने मेडिगड्डा दौरे के बाद, राहुल ने आरोप लगाया कि घटिया निर्माण के कारण दरारें पड़ रही हैं, खंभे धंस रहे हैं और केसीआर और उनका परिवार कालेश्वरम परियोजना का उपयोग “तेलंगाना के लोगों को लूटने के लिए अपने निजी एटीएम के रूप में कर रहे हैं.”
केटीआर ने राहुल की टिप्पणियों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहते हैं, “कालेश्वरम तेलंगाना के लोगों के लिए एक आशीर्वााद है और कांग्रेस भारत के लोगों के लिए अभिशाप है.” बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष ने तेलंगाना में फिर से उभरने के मजबूत संकेत दिखा रही पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा, “कांग्रेस स्कैमग्रेस के अलावा और कुछ नहीं है.”
केटीआर ने इस महीने की शुरुआत में प्रेस बयान में पूछा, “जब तेलंगाना सरकार ने परियोजना पर 80,000 करोड़ रुपये खर्च किए, तो 1 लाख करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार कैसे हो सकता है?”
जबकि कथित तौर पर अमेरिकी कार्यक्रम में केटीआर द्वारा बताए गए कालेश्वरम निवेश का आंकड़ा 11 बिलियन डॉलर (लगभग 91,640 करोड़ रुपये) था, सिंचाई अधिकारियों ने लागत 1.05 लाख करोड़ रुपये आंकी है.
मंत्री ने बताया कि प्राणहिता-चेवेल्ला परियोजना योजना केवल 40,000 करोड़ रुपये की थी क्योंकि “जलाशय, नहरें या पंप इसका हिस्सा नहीं थे.” उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या इन 15 सालों में अनुमान-खर्चे नहीं बढ़ेंगे.
(अनुवाद और संपादन : इन्द्रजीत)
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