दिल्ली: हापुड़ रेप मामले में एक नया मोड़ आया है. श्यामपुर जट्ट गांव के लोग अब रेप पीड़िता के साथ सुलह करना चाहते हैं. दिल्ली के एक अस्पातल में भर्ती पीड़िता से मिलने आज गांव के ही 6-7 बुज़ुर्ग मिलने आए. इन बुज़ुर्गों में एफआईआर में नामजद कुछ लड़कों के चाचा–ताऊ भी हैं.
दिप्रिंट से बात करते हुए इन बुज़ुर्गों ने बताया, ‘हम तो इससे माफी भी मांग रहे हैं. पैर पड़ जाएंगे. गांव के प्रधान को बुलाना है तो उसे भी बुला देंगे. यहां पंचायत करनी हो तो यहां कर लेंगे. नहीं तो गांव में भी कर लेंगे.’
इन बुज़ुर्गों में गीता(बदला हुआ नाम) के साथ रह रहे अनुज (बदला हुआ नाम) के पिता भी हैं. अनुज के पिता कहते हैं, ‘देखो जी, कोई दबाव नहीं है. जैसा गीता चाहेगी वैसा हम करने को तैयार हैं. सरकार भी आर्थिक मदद करेगी. हम गांव के लोग भी चंदा इकट्ठा करके घर बनवा देंगे. फिर से गांव में बसने में मदद करेंगे.’
आरोपियों में से एक के चाचा हाथ जोड़कर कहते हैं, ‘हो सकता है इस पर अत्याचार हुआ हो. लेकिन वो तो कुछ लोगों ने ही किया हैं. हमारे बच्चे का नाम क्यों लिखवाया. वो तो दो साल पहले सोलह साल का ही था. हम दोषियों का नाम हटाने की ना कह रहे. लेकिन पूरे गांव के लोगों का नाम तो ना लिखवाए.’
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अस्पताल में करीब दो घंटे तक गीता से मिलने का इंतज़ार कर रहे ये बुज़ुर्ग निराश ही लौट गए क्योंकि अस्पताल अथॉरिटी ने गीता को किसी से भी मिलने नहीं दिया.
वहीं, दिप्रिंट से गीता बताती हैं, ‘मेरे साथ बहुत अत्याचार हुआ है. अब मैंने इतनी हिम्मत जुटा ली है कि अनुज भी छोड़ दे तो भी मैं अकेले अपनी लड़ाई लडूंगी. ये किस बात की माफी मांगने आए हैं? मेरा इतना चरित्र हनन किया है इन गांव वालों ने. उस गांव की मैं अब शक्ल नहीं देखूंगी.’
अगर इस मामले की ठीक से जांच नहीं हुई तो क्या करेंगी के सवाल पर गीता कहती हैं, ‘फिर आग लगानी पड़ी तो मैं लगा लूंगी. लेकिन मुझे आर्थिक मदद नहीं चाहिए. मुझे मेरे बलात्कारी जेल में चाहिए. पैसे तो इंसान खुद से कमा ले है, इज़्ज़त तार–तार हो जाए तो उसकी भरपाई कौन करेगा?’
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गीता चाहती हैं कि उन्हें उनका बड़ा बेटा लौटाया जाए. वहीं जब गांववालों से गीता का पक्ष बताया कि वो चाहती है कि दोषी जेल जाएं तो कुछ बुज़ुर्ग कहते हैं, ‘हम गांव में किसी से बिगाड़ के ना रह सकते. हम किसी की गवाही नहीं देंगे. एक बार दुश्मनी मोल ले ली तो हमारी भी बहन–बेटी पढ़ने लिखने जाती हैं. उनके साथ छेड़खानी हो गई तो? इस गांव में लोगों ने मर्डर तक पर गवाही ना दी. अब गीता पर है कि माफ करके हमारे बच्चों का नाम हटा दे. वो जो कहेगी हम करने को तैयार हैं.’
अनुज का कहना है,’ प्रोटेक्शन के लिए लगाये गये पुलिसवाले बहुत परेशान कर रहे हैं. किसी से बात भी नहीं करने दे रहे. जो गांववाले कहते हैं, ये भी वही रटते हैं. इससे बेहतर था बिना प्रोटेक्शन के रहना. हर चीज़ पहले से दिमाग में सोचकर बैठे हैं. वहं गांववाले मुझे पागल साबित करने की कोशिश कर रहे हैं. कहते हैं कि मुझे दुनियादारी की समझ नहीं है. बस रेप की बात नहीं कर रहे. लेकिन ज़रूरत पड़ी तो हम योगी आदित्यनाथ के पास भी जाएंगे.’
वहीं अनुज के पिताजी का कहना है,’ कौन बाप अपने बेटे को ऐसे फंसते देखना चाहेगा. गांव का मामला है, हम हर बात पर आवाज़ नहीं उठा सकते. पुलिस-थाने के मामले में बेटा फंस जाएगा.’