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Saturday, 27 April, 2024
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हापुड़ रेप केस: 16 आदमी, 6 साल और अनगिनत बार बलात्कार

गीता को अस्पताल में उनके बच्चों की फोटो दिखाई तो वो रो पड़ीं. कहती हैं, "मेर बच्चों को भी प्रमोद ने रख लिया. पिछले साल मई 2018 में हमने गांव छोड़ा था. तभी मैंने उनकी शक्लें देखी थीं. आज फिर देख पाई हूं.'

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नई दिल्ली: ‘जब इस शरीर की वजह से ही सब हो रहा था तब मैंने इसे ही खत्म कर देने की सोची.’ घर में रखे मिट्टी तेल के केन को मैंने पलट लिया और आग लगा दी. दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती हापुड़ रेप पीड़िता के 70-80 प्रतिशत झुलसे हुए शरीर में सिर्फ चेहरा ही है जो नजर आ रहा है. दिप्रिंट से बात करते हुए गीता बताती हैं, ‘मैं सबसे ज्यादा आहत उस घिनौने मजाक से हुई जो समाज ने मेरा बनाया.’

‘उस दिन घर पर सात-आठ लोग आए. धमकी दी कि क्या पुलिस शिकायत करने में लगे हो. ये सारे लोग हमारे गांव के ही हैं. मैं घर आया तो देखा कि इसने खुद को आग लगा ली है. मैंने गेट तोड़ा और जब इसे हाथ में लिया तो ऐसा लगा जैसे जिंदा लाश हो. मैं इसे उठाकर मुरादाबाद अस्पताल ले गया. इस दौरान मेरे भी हाथ जल गए.’

गीता के पति अनुज जब यह बता रहे थे तो उनकी आंखों में उस दर्द का पूरा मंजर उभर रहा था..अनुज 27 साल के हैं और पिछले एक साल से गीता इनके साथ रह रही हैं. 29 वर्षीय गीता धुना जाति से आती हैं. तीन दिन पहले ये मामला तब नेशनल मीडिया में छाया जब दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा. इस पत्र में उन्होंने यूपी पुलिस के काम करने के तरीके पर सवाल उठाए हैं. और बार बार महिला के शिकायत करने पर एफआईआर दर्ज न किए जाने पर भी सवाल उठाया है.

दिप्रिंट से बातचीत करते हुए अनुज, पीड़िता के साथ हुए एक-एक अन्याय के बारे में बताते हैं, ‘मेरे पिताजी आर्मी से रिटायर्ड हैं. मेरे चाचा-ताऊ भी आर्मी से हैं. मैं मेरठ के आर्मी स्कूल से पढ़ा हूं. बीए के दौरान ही मैं आर्मी की भर्ती देख रहा था. मेरा फिज़िकल होना था. मैं गीता को नहीं जानता था. लेकिन मैं कुछ सामाजिक कार्यों से जुड़ा तो मेरे सामने गीता का मामला आया. इसने मुझे बताया कि किस तरह पिछले छह-सात साल से इसके साथ बलात्कार हुए हैं और ये रुक नहीं रहे हैं. मैं इसके मामले को लेकर प्रधान (सरपंच) तक गया लेकिन कोई साथ देने के लिए राजी नहीं हुआ. उल्टा इसी को बदचलन साबित करने में लग गए.’

दिप्रिंट से बात करते हुए अपनी दबी आवाज़ में गीता उस दिन के बारे में बताती हैं जिस दिन उन्होंने खुद को खत्म करने का सोचा, ‘उस दिन अनुज बाहर गया तो पीछे से मेरे बलात्कारी ही मेरे घर आ गए. उन्होंने पुलिस के पास ना जाने को लेकर धमकी दी. मेरा मजाक उड़ाया. जबसे गांव में पता चला था कि 16 आदमी मेरे साथ ऐसा कर चुके हैं तो सब खिल्ली उड़ाते थे. इस मजाक ने मुझे इतना प्रताड़ित किया कि मैं खुद की जान लेने पर मजबूर हो गई.’

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दिल्ली महिला आयोग के दबाव और सोशल मीडिया पर मामला आने के बाद हापुड़ पुलिस ने दर्ज एफआईआर की. इस एफआईआर के मुताबिक, ’29 वर्षीय गीता की पहली शादी 14 साल की उम्र में हापुड़ के ही किसी गांव मे सोनू नाम के व्यक्ति से हुई थी. एक बच्चा भी हुआ. उसके बाद अनबन हुई तो वो वापस अपने मायके आ गईं. उसके बाद गीता के पिता और उनकी एक मुंहबोली बुआ ने श्यामपुर जट्ट गांव के प्रमोद नाम के व्यक्ति से शादी करा दी. गीता का आरोप है कि उनकी पिता शराबी हैं और महज दस हजार में उन्होंने गीता को शादी के नाम पर बेच दिया.’

गीता ने अपने साथ हुई ज्यादती को लेकर कहा, ‘श्यामपुर जट्ट में ही मेरी मुंहबोली बुआ की ससुराल भी है. प्रमोद गांव के ही बाबू के खेतों में काम करता था. उसने बाबू से कुछ कर्ज भी ले रखा था. शादी के बाद दोनों ने मिलकर मजदूरी करके पैसे तो उतार दिये लेकिन उसका ब्याज रह गया. इसी बात का फायदा उठाकर बाबू नाम के व्यक्ति ने रेप करने की शुरुआत की. वो लगातार कई सालों तक बलात्कार करता रहा. प्रमोद को यह बात पता होते हुए भी उसने कुछ नहीं किया. फिर गांव के ही और पुरुषों को यह बात पता चली तो गांव के 15 पुरुषों ने अलग-अलग मौकों पर मेरा रेप किया. अगर खेतों में अकेला पाया तो भी किया और अगर घर में अकेला पाया तो भी किया.’

गीता का यह भी कहना है कि एक बच्चा भी बाबू के बलात्कार की वजह से ही पैदा हुआ. गीता और अनुज दोनों ने बताया कि मामला कोर्ट तो जाएगा, तभी तो पता चलेगा की बच्चा किसका है.

बलात्कार से ज्यादा उपहास से हुई आहत

इस पूरे प्रकरण में गीता को सबसे ज्यादा सामाजिक उपहास ने दुखी किया. साल 2018 में वो गांव के जट परिवार से नाता रखने वाले अनुज से मिली. गीता ने अनुज को सारी बात बताई और गैंगरेप की चेन को रोकने की बात कही. गीता से जुड़कर अनुज को सामाजिक बहिष्कार झेलना पड़ा. अनुज के खुद के परिवार ने उनसे नाता तोड़ लिया. गीता और अनुज फिलहाल इतने अकेले पड़ गए हैं कि उनसे अस्पताल में मिलने आने वालों में सिर्फ पत्रकारों के नाम हैं. अस्पताल में आए मरीजों के एक-दो परिवार लगातार अनुज की भागादौड़ी देख रहे हैं. बरेली से अ्पनी बेटी का जले हुए पैर का इलाज कराने आए एक व्यक्ति कहते हैं, ‘4 दिन से ना खा-पी रहा है, ना सो रहा है. दो दिन से लगातार मीडिया आ रही है. ये लड़का एक मिनट भी आराम नहीं कर रहा है. इनके मामले का तो हमें नहीं पता लेकिन लड़का सही है.’

अनुज के छोटे भाई-बहन हैं लेकिन गीता के साथ जुड़ने उन्होंने भी बात करनी बंद कर दी है. एक बहन तो नोएडा में ही रहती है. अनुज के फोन में चार-पांच लोगों के नाम दुश्मन से सेव किये हुए हैं तो कुछ धमकी के नाम से. अनुज बताते हैं, जब-जब किसी गांव के बलात्कार करने वालों में से किसी की धमकी का फोन आता है तो मैं सारी रिकॉर्डिंग कर लेता हूं और नंबर दुश्मन या धमकी से सेव कर लेता हूं. इस महिला को इतना प्रताड़ित किया है कि मैं बता नहीं सकता. मेरे खुद के पिताजी चार-पांच दिन से फोन कर रहे हैं और इस मामले से हट जाने को कह रहे हैं. लेकिन इसके आगे-पीछे कोई नहीं है. मैं कैसे छोड़ दूं. हमने 50 रुपए की स्टांप लेकर शादी कर ली थी.

गीता को अस्पताल में उनके बच्चों की फोटो दिखाई तो वो रो पड़ीं. कहती हैं, “मेर बच्चों को भी प्रमोद ने रख लिया. पिछले साल मई 2018 में हमने गांव छोड़ा था. तभी मैंने उनकी शक्लें देखी थीं. आज फिर देख पाई हूं. मैं लगातार अपने बच्चों को वापस लेने की कोशिश कर रही हूं लेकिन प्रमोद नहीं दे रहा है. खुद बलात्कारियों के पक्ष में खड़ा हो गया है.’

अनुज सामाजिक रवैये पर बात करते हुए कहते हैं, ‘जब मैं गीता को लेकर पुलिस के पास गया हूं तो मुझे धमकाते हुए एसएचओ ने कहा कि इस तीन बच्चों की मां के पास क्या रखा है. छोड़ दे इसे. हमारी एफआईआर तक दर्ज नहीं की.’

दिल्ली महिला आयोग द्वारा मामला उठाए जाने पर हापुड़ पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है. अखबारों ने पहले भी इस मामले पर छोटी-छोटी खबरे प्रकाशित की हैं. इस एफआईआर में 16 आदमियों को नामजद किया गया है, जिसमें मुख्यत: जाट और ब्राह्मण व कुछ दलित भी शामिल हैं. श्यामपुर गांव के ही 15 लोग इसमें शामिल हैं जबकि एक पुरुष दूसरे गांव का भी है. मामले में अभी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. अनुज के बार-बार कहने पर अब उन्हें पुलिस सुरक्षा भी दी गई है.

पीड़ितों का ये आरोप भी है कि इस एफआईआर में गीता के पिता और पति प्रमोद का नाम नहीं है जबकि वो भी उतने ही दोषी हैं. दिप्रिंट ने पीड़िता के सरपंच से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन बातचीत नहीं हो पाई है.

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