सिंगूर से बाहर निकालने को लेकर मध्यस्थता के जरिए टाटा को 766 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाना एक सबक है. यह बंगाल के लिए एक प्रतिष्ठित रोजगार पैदा करने वाली परियोजना थी और भारतीय कम्युनिस्टों के लिए खुद को फिर से स्थापित करने का एक अवसर था. यह इतिहास बनने वाली थी- अदूरदर्शी बौद्धिक वामपंथियों ने इसको रास्ते में ही रोक दिया.