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Friday, 22 November, 2024
होमदेशविपक्ष की समीक्षा की मांग के बीच संसदीय पैनल ने आपराधिक कानून सुधारों पर ड्राफ्ट रिपोर्ट रोकी

विपक्ष की समीक्षा की मांग के बीच संसदीय पैनल ने आपराधिक कानून सुधारों पर ड्राफ्ट रिपोर्ट रोकी

विपक्षी नेता अधीर रंजन चौधरी, चिदंबरम, डेरेक ओ'ब्रायन और एनआर एलंगो ने मौजूदा आपराधिक कानूनों को बदलने के उद्देश्य से 3 विधेयकों के मसौदे की समीक्षा के लिए समय देने का अनुरोध किया.

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नई दिल्ली: गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति की शुक्रवार को हुई बैठक में मौजूदा आपराधिक कानूनों को बदलने वाले तीन विधेयकों पर मसौदा रिपोर्ट रोक दी गई.

सूत्रों ने कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के साथ-साथ कांग्रेस के पी चिदंबरम, टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन और डीएमके के एनआर एलंगो जैसे अन्य विपक्षी नेताओं ने ड्राफ्ट पर फिर से विचार करने के लिए कुछ समय की मांग की थी, जिसके बाद ऐसा किया गया. इन सांसदों ने बिल के नाम का मुद्दा भी उठाया.

समिति की अगली बैठक 6 नवंबर 2023 को होगी.

इससे पहले, भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजलाल की अध्यक्षता में गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति की बैठक आज शुरू हुई.

पैनल ने तीन विधेयकों- भारतीय न्याय संहिता 2023′, ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023’ और ‘भारतीय साक्ष्य 2023’ पर मसौदा रिपोर्ट की समीक्षा की, जो मौजूदा आपराधिक कानूनों को बदलने की मांग करते हैं.

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय न्याय संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को 11 अगस्त को संसद के निचले सदन में पेश किया गया था.

ये विधेयक क्रमशः भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 को प्रतिस्थापित करना चाहते हैं.

बिल पेश करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इन तीन नए कानूनों की आत्मा नागरिकों को संविधान द्वारा दिए गए सभी अधिकारों की रक्षा करना होगा.

उन्होंने कहा, “ब्रिटिश काल के कानून उनके शासन को मजबूत करने और उसकी रक्षा करने के लिए बनाए गए थे और उनका उद्देश्य न्याय देना नहीं, बल्कि दंड देना था.”

शाह ने कहा था, “हम (सरकार) इन दोनों मूलभूत पहलुओं में बदलाव लाने जा रहे हैं. इन तीन नए कानूनों की आत्मा भारतीय नागरिकों को संविधान द्वारा दिए गए सभी अधिकारों की रक्षा करना होगा. उद्देश्य किसी को दंडित करना नहीं बल्कि न्याय देना होगा और इस प्रक्रिया में, अपराध की रोकथाम की भावना पैदा करने के लिए जहां आवश्यक होगा वहां सजा दी जाएगी.”

गृह मंत्री ने कहा कि सीआरपीसी की जगह लेने वाले भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक में अब 533 धाराएं होंगी.

उन्होंने कहा, “कुल 160 धाराएं बदली गई हैं, नौ नई धाराएं जोड़ी गई हैं और नौ धाराएं निरस्त की गई हैं.”

मंत्री ने कहा, भारतीय न्याय संहिता विधेयक, जो आईपीसी की जगह लेगा, उसमें पहले की 511 धाराओं के बजाय 356 धाराएं होंगी, 175 धाराओं में संशोधन किया गया है, 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 22 धाराएं निरस्त की गई हैं.

साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले भारतीय साक्ष्य विधेयक में अब पहले के 167 के बजाय 170 खंड होंगे. शाह ने कहा कि 23 खंड बदले गए हैं, एक नया खंड जोड़ा गया है और पांच निरस्त किए गए हैं.


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