नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (सीएबीई) का पुनर्गठन किया जा रहा है क्योंकि इसका पुराना संस्करण वास्तव में काफी व्यापक है.
सीएबीई शिक्षा के क्षेत्र में नीतिगत निर्णयों पर सरकार को सलाह देने वाली एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति है.
प्रधान ने ‘पीटीआई-भाषा’ से एक साक्षात्कार में कहा कि ऐसे समय में जब नई शिक्षा नीति को लागू करके एक महत्वपूर्ण बदलाव किया जा रहा है, सीएबीई के पुनर्गठन की जरूरत है क्योंकि आज की शिक्षा प्रणाली की मांगें अलग हैं.
बोर्ड के सदस्यों में केंद्रीय शिक्षा मंत्री, शिक्षा राज्य मंत्री, विभिन्न राज्यों के शिक्षा मंत्री, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) जैसे निकायों के प्रमुख शामिल हैं.
सीएबीई की आखिरी बैठक सितंबर, 2019 में हुई थी और प्रधान ने सलाहकार बोर्ड की किसी भी बैठक की अध्यक्षता नहीं की है.
तीन साल से बोर्ड की बैठक नहीं होने का कारण पूछे जाने पर प्रधान ने कहा, ‘‘सीएबीई का पुनर्गठन किया जा रहा है.’’
प्रधान ने कहा, ‘‘इसका पुराना संस्करण बहुत व्यापक है. आज की शिक्षा व्यवस्था की मांगें अलग हैं. हम पहली बार बालवाटिका की अवधारणा पेश कर रहे हैं, लेकिन सीएबीई में कोई बाल विशेषज्ञ नहीं है, अनुसंधान और विकास में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है, उद्योग से जुड़ने की बात की जा रही है… इन सभी को ध्यान में रखते हुए, सीएबीई को फिर से तैयार करने की जरूरत है.’’
शिक्षा मंत्रालय के रिकॉर्ड के अनुसार, बोर्ड की सामान्य परंपरा हर साल एक बैठक आयोजित करने की रही है जबकि पिछले कुछ साल से कोई बैठक नहीं हुई है. एक दशक में यह पहली बार है कि समिति की तीन साल की अवधि में कोई बैठक नहीं हुई है और निकट भविष्य में बैठक की कोई योजना नहीं है.
वर्ष 2019 की बैठक भी डेढ़ साल से अधिक की देरी के बाद हुई. इस बैठक का मुख्य एजेंडा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के मसौदे पर चर्चा थी. नीति के कार्यान्वयन पर सीएबीई की कोई बैठक नहीं हुई है.
प्रधान ने कहा, ‘‘अंततः सीएबीई को केवल इसी की समीक्षा करनी है…नया पाठ्यक्रम, नई पाठ्यपुस्तकें, नया नियामक ढांचा, नया पेशेवर मानक निकाय, नया तंत्र. विभिन्न विभाग एनईपी के कार्यान्वयन की दिशा में काम कर रहे हैं और उन्हें एक चरण में समन्वित किया जायेगा.’’
सीएबीई के पुनर्गठन की समय सीमा के बारे में पूछे जाने पर, प्रधान ने कहा, ‘‘यह एजेंडे में है लेकिन समीक्षा आखिरकार किसकी की जायेगी. पहले, हम पाठ्यक्रम विकसित कर रहे हैं, फिर पाठ्यपुस्तकें, नियामक सुधार कर रहे हैं और बहु-विषयक शिक्षा की ओर बढ़ रहे हैं.’’
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति ने एनईपी में सिफारिश की थी कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर समग्र ध्यान केंद्रित करने के वास्ते समन्वय सुनिश्चित करने के लिए सीएबीई को सुदृढ़ किया जाए.
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