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Saturday, 16 November, 2024
होमदेश‘कालीन, कटलरी और कलर’, महाराष्ट्र की प्रसिद्ध ‘डेक्कन ओडिसी’ लग्जरी ट्रेन को मिला नया लुक

‘कालीन, कटलरी और कलर’, महाराष्ट्र की प्रसिद्ध ‘डेक्कन ओडिसी’ लग्जरी ट्रेन को मिला नया लुक

डेक्कन ओडिसी 2.0 में 21 कोच, 40 डीलक्स केबिन और चार प्रेसिडेंशियल सुइट हैं.

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मुंबई: अगर राजस्थान के पास लग्जरी ट्रेन ‘पैलेस ऑन व्हील्स’ है, तो महाराष्ट्र का ‘डेक्कन ओडिसी’ चार साल बाद वापस लौट आया है. उत्तम प्रेसिडेंशियल सुइट्स, कोचों में सुसज्जित हॉलवे से लेकर स्वादिष्ट भोजन तक, महाराष्ट्र की लक्जरी ट्रेन मेहमानों को विलासिता के दौरे पर ले जाने के लिए तैयार है.

आधुनिक सुविधा के साथ पुरानी दुनिया का आकर्षण ‘डेक्कन ओडिसी 2.0’ में दिया गया है. इसमें यात्रा करने पर ऐसा अनुभव होगा जो बीते युग की याद दिलाएगा. इसे भीतर से अत्याधुनिक जीवंत भारतीय शैली में सजाया गया है.

रेस्तरां कोच, जिसका नाम ‘उत्सव’ रखा गया है को लाल रंग से रंगा गया है. बार वाले कोच को पीले रंग से रंगा गया है, जो आंखों को सुकून देता है. ‘वावर’ नाम का एक अन्य कोच पीले और नीले रंग में रंगा गया है, जो किसानों की कड़ी मेहनत, खेत के रंग और नीले आसमान का प्रतीक है.

महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम (MTDC) के अधिकारियों का कहना है कि ट्रेन का प्रत्येक कोच महाराष्ट्र की विविधता और उसके शाही अतीत को दर्शाता है, जो उन विभिन्न राजवंशों को प्रदर्शित करता है जिन्होंने कभी इस पर शासन किया था.

रेस्तरां में भारतीय हस्तनिर्मित चांदी के बर्तन के साथ-साथ तुर्की बोना ब्रांड चीनी मिट्टी के कटलरी भी है.

MTDC की प्रबंध निदेशक श्रद्धा जोशी शर्मा ने दिप्रिंट से कहा, “कोविड के बाद लोग दुनिया देखना चाहते हैं. वे दुनिया का आनंद लेना चाहते हैं. और जब हम परिवहन के विभिन्न साधन अपनाते हैं तो हम बदलाव भी देखते हैं. जब आप कार्बन फुटप्रिंट की तुलना करते हैं तो ट्रेन हमेशा बेहतर होती है. इसलिए, हम लोगों की प्रतिक्रिया से बहुत खुश हैं. मार्च तक बुकिंग फुल हो चुकी है.”

भारत की पांच लक्जरी ट्रेनों में से एक, डेक्कन ओडिसी ने अपने ऑपरेटर कॉक्स एंड किंग्स के दिवालिया होने के बाद 2019 में परिचालन बंद कर दिया. उसके बाद दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में आ गई थी. MTDC के पास अब अगले पांच सालों तक ट्रेन परिचालन चलाने के लिए एक नया भागीदार, एबिक्सकैश है. ट्रेन का उद्घाटन गुरुवार 21 सितंबर को हुआ और यह 23 सितंबर को पटरी पर वापस आने वाली है.

Restaurant in the Deccan Odyssey | Purva Chitnis, ThePrint
डेक्कन ओडिसी ट्रेन का रेस्तरां | फोटो: पूर्वा चिटणीस | दिप्रिंट

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कटलरी, कालीन और कलर स्कीम

ट्रेन के विनाइल फर्श को लकड़ी के फर्श से बदल दिया गया है. उसे गंध और नमी से बचने के लिए पॉलीप्रोपाइलीन कालीन से ढक दिया गया है. सुरक्षा के लिए रसोई में इलेक्ट्रिक इंडक्शन का उपयोग किया जाता है. कांच की बोतलों की जगह अब प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल किया जाएगा. पर्दे और पेंट गर्मी प्रतिरोधी लगाए गए हैं.

एबिक्सकैश के महाप्रबंधक सिमरपाल विरदी कहते हैं, “हम क्या कर रहे हैं या क्या सेवा दे रहे हैं, उसके आधार पर विषयगत महत्व को ध्यान में रखते हुए क्लर स्कीम बनाने का प्रयास करते हैं.”

डेक्कन ओडिसी इंटरकॉम और वाई-फाई सेवाओं से सुसज्जित है. ट्रेन में 21 कोच है, जिनमें 10 कोच चार डीलक्स केबिन वाले और दो कोच दो-दो प्रेसिडेंशियल सुइट वाले हैं. डीलक्स केबिन में दो ट्विन बेड, एक राइटिंग टेबल, वॉशरूम और अलमारी हैं. सुइट्स में एक अतिरिक्त बैठने की जगह और एक रानी आकार का बिस्तर है.

यात्रा को और भी खास बनाने के लिए एक कोच कॉन्फ्रेंस के लिए रखा गया है. इसके अलावा डाइनिंग के लिए दो हेल्थ स्पा के लिए, एक बार के लिए, एक स्टाफ क्वार्टर के लिए, जनरेटर और स्टोरेज के लिए दो कोच हैं.

डेक्कन ओडिसी को अन्य भारतीय लक्जरी ट्रेनों – पैलेस ऑन व्हील्स, गोल्डन चैरियट, रॉयल राजस्थान ऑन व्हील्स, महाराजा एक्सप्रेस – से अलग करने वाली बात रसोई में एलपीजी सिलेंडर के बजाय इलेक्ट्रिक इंडक्शन की शुरूआत है. पारंपरिक ट्रॉलियों के बजाय एयर सस्पेंशन ट्रॉलियां यात्रियों को पारगमन में कम अस्थिर अनुभव प्रदान करती हैं.

ट्रेन के प्रत्येक कोच में अग्निशामक यंत्र भी है और यात्रियों के लिए इसे कम शोर और आरामदायक बनाने के लिए गैंगवे और बाकी जगहों पर फर्श पर कालीन बिछाए गए हैं.

The presidential suite | Purva Chitnis, ThePrint
प्रेसिडेंशियल सुइट | फोटो: पूर्वा चिटणीस | दिप्रिंट

कांच, चीनी मिट्टी और चांदी के कटलरी से सजी रसोई में ट्रेन के स्थान के अनुसार भारत के विभिन्न राज्यों का भोजन होगा. मेनू में एक अंतरराष्ट्रीय व्यंजन भी है. टॉयलेटरीज़ से भरे वॉशरूम में कांच के दरवाजे, खड़े शॉवर, तौलिए, कपड़े और पानी की अलमारी हैं – बिल्कुल किसी पांच सितारा होटल के कमरे की तरह.

पहले के विपरीत, अब ट्रेन में कचरों के प्रबंधन के लिए बायो टैंक है.

MTDC के एक अधिकारी का कहना है, “पहले सभी कोचों के शौचालयों की गंदगी रेलवे स्टेशन क्षेत्र में सड़ जाती थी क्योंकि वहां कोई बायो टैंक नहीं थे.”

यदि सब कुछ ठीक रहा, तो MTDC द्वारा मौजूदा डीजल इंजन को इलेक्ट्रिक इंजन से बदलने की भी उम्मीद है. हालांकि, इसके लिए समयसीमा भारतीय रेलवे की मंजूरी पर निर्भर करती है.

डेक्कन ओडिसी में 90 यात्रियों और 34 क्रू सदस्यों को ले जाने की क्षमता है. वर्ष 2023-24 के लिए, MTDC ने पर्यटकों के लिए छह अलग-अलग टूर पैकेज बनाए हैं, जिनमें दिल्ली, राजस्थान, वाराणसी, आगरा और महाराष्ट्र की लोकप्रिय अजंता-एलोरा गुफाएं और ताडोबा जंगल जैसे गंतव्य शामिल हैं.

दिप्रिंट से जोशी शर्मा कहती हैं, “जैसा कि हम सभी जानते हैं, दिल्ली कई पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है और क्योंकि कई पर्यटक दिल्ली से अपनी यात्रा शुरू करना पसंद करते हैं, इसलिए हमने इसे अपने पैकेज में शामिल किया है. इसके अलावा, हाल ही में हमने देखा कि वाराणसी के लिए मांग बढ़ गई है इसलिए हमने उसे भी जोड़ दिया है.”

ये यात्राएं सात रातों और आठ दिनों की होंगी, जिसमें प्रति व्यक्ति 6.5 लाख रुपये से अधिक का खर्च आएगा. एक जोड़े के लिए किराया 10 लाख रुपये तक जाएगा, जबकि एक प्रेसिडेंशियल सुइट में एक परिवार लगभग 15 लाख रुपये में रह सकता है.

Deccan Odyssey bar | Purva Chitnis, ThePrint
डेक्कन ओडिसी बार | फोटो: पूर्वा चिटणीस | दिप्रिंट

MTDC के एक अधिकारी ने कहा, “डेक्कन ओडिसी लक्जरी ट्रेन का मुख्य उद्देश्य महाराष्ट्र के पर्यटन स्थलों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आनंदमय तरीके से पेश करना और महाराष्ट्र के पर्यटन स्थलों, सांस्कृतिक कला-वैभव और खाद्य संस्कृतियों को बढ़ावा देना था.” वह उसी ट्रेन की बात कर रहे हैं जिसे 2003 में बनाया गया था.

डेक्कन ओडिसी का उद्घाटन पहली बार 2004 में तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था.

विरदी कहते हैं, “हमें बहुत सारे सुधार करने थे और ट्रेन को सौंदर्य की दृष्टि से बढ़ावा देना था. और इसके साथ ही हमने इसकी सुरक्षा सुविधाओं में भी सुधार किया है. गैंगवे में कभी भी ग्रैब बार नहीं थे जिन्हें आप पकड़ सकें लेकिन अब हमने वह सुविधा जोड़ दी है. इसी तरह, हमने इसे आधुनिक स्पर्श दिया है.”

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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