नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन को UNESCO की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल करने को “सभी भारतीयों के लिए गर्व का क्षण” बताया.
‘एक्स’ पर पीएम मोदी ने पोस्ट किया, “खुशी है कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के दृष्टिकोण और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक शांतिनिकेतन को UNESCO विश्व विरासत सूची में अंकित किया गया है. यह सभी भारतीयों के लिए गर्व का क्षण है.”
वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी रवींद्रनाथ टैगोर के निवास स्थान ‘शांतिनिकेतन’ को UNESCO द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा दिए जाने पर खुशी व्यक्त की.
रविवार को सऊदी अरब में विश्व धरोहर समिति के 45वें सत्र के दौरान ‘शांतिनिकेतन’ को UNESCO की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया. संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट के माध्यम से दी.
🔴BREAKING!
New inscription on the @UNESCO #WorldHeritage List: Santiniketan, #India 🇮🇳. Congratulations! 👏👏
➡️ https://t.co/69Xvi4BtYv #45WHC pic.twitter.com/6RAVmNGXXq
— UNESCO 🏛️ #Education #Sciences #Culture 🇺🇳 (@UNESCO) September 17, 2023
भारत के राजदूत और UNESCO में स्थायी प्रतिनिधि विशाल वी शर्मा की ‘एक्स’ पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए जयशंकर ने लिखा, “बधाई हो. हमारे पहले नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर और उन सभी लोगों को एक सच्ची श्रद्धांजलि जिन्होंने उनके संदेश को जीवित रखा है.”
इससे पहले, अपने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर विशाल वी शर्मा ने कहा कि यह भारतीयों के लिए एक महान दिन है क्योंकि शांतिनिकेतन को UNESCO की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है.
उन्होंने पोस्ट किया, “शांतिनिकेतन को UNESCO की विश्व धरोहर सूची (एजेंडा 45COM.8B.10) में शामिल किया गया. सभी भारतीयों के लिए एक महान दिन. भारत माता की जय.”
उन्होंने एक वीडियो भी शेयर किया, जो उस वक्त का था जब शांतिनिकेतन को UNESCO की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने की घोषणा की गई थी.
1901 में टैगोर द्वारा स्थापित, शांतिनिकेतन एक आवासीय विद्यालय और प्राचीन भारतीय परंपराओं और धार्मिक और सांस्कृतिक सीमाओं से परे मानवता की एकता की दृष्टि पर आधारित कला का केंद्र था.
मानवता की एकता या “विश्व भारती” को मान्यता देते हुए 1921 में शांतिनिकेतन में एक ‘विश्व विश्वविद्यालय’ की स्थापना की गई थी.
20वीं सदी की शुरुआत और यूरोपीय आधुनिकतावाद के प्रचलित ब्रिटिश औपनिवेशिक वास्तुशिल्प रुझानों से अलग, शांतिनिकेतन पूरे क्षेत्र की प्राचीन, मध्ययुगीन और लोक परंपराओं पर आधारित अखिल एशियाई आधुनिकता के दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है.
भारत बीरभूम जिले में स्थित इस सांस्कृतिक स्थल को UNESCO टैग दिलाने के लिए लंबे समय से प्रयास कर रहा था.
केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने मंगलवार को बताया कि शांतिनिकेतन को इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स (आईसीओएमओएस) द्वारा UNESCO की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई है.
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