नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने शुक्रवार को भारत को G20 की अध्यक्षता की बधाई दी और उम्मीद जताई कि भारत की G20 अध्यक्षता दुनिया में “परिवर्तनकारी बदलाव लाने में मदद करेगी, जिसकी दुनिया को सख्त जरूरत है”.
G20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आए गुटेरेस ने राष्ट्रीय राजधानी में मीडिया से बातचीत के दौरान ये बातें कहीं.
यूएन प्रमुख ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित अंतरराष्ट्रीय मंच में बहुत जरूरी सुधारों का आह्वान करते हुए कहा कि दुनिया एक मुश्किल दौर से गुजर रही है, इस दौरान एक ‘बहुपक्षीय संस्थान’ की भूमिका अहम हो जाती है.
उन्होंने वैश्विक संस्थानों को “सार्वभौमिक और आज की वास्तविकताओं का प्रतिनिधि” बनाने के लिए “साहसिक कदम” उठाने का आह्वान किया.
यूएन प्रमुख ने कहा, “इस महत्वपूर्ण G20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत दोबारा आना बहुत खुशी की बात है. मैं ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ पर ध्यान केंद्रित करने के फैसले का स्वागत करता हूं. महान उपनिषद से प्रेरित यह वाक्यांश आज की दुनिया की जरूरत है.”
गर्मजोशी से किए गए स्वागत के लिए भारत का आभार व्यक्त करते हुए गुटेरेस ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि G20 में भारत की अध्यक्षता से उस तरह के परिवर्तनकारी बदलाव में मदद मिलेगी जिसकी हमारी दुनिया को सख्त जरूरत है.”
उन्होंने कहा, “मैं एक साधारण लेकिन जरूरी अपील के साथ G20 में आया हूं. हम इस तरह से नहीं चल सकते. हमें एक साथ आना चाहिए और आम लोगों की भलाई के लिए मिलकर काम करना चाहिए.”
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने घोषणा की कि दुनिया भर में विभाजन बढ़ रहे हैं, तनाव बढ़ रहा है और विश्वास कम हो रहा है, जो पूरी दुनिया में विखंडन और टकराव की आशंका को बढ़ा रहा है.
उन्होंने जोर देकर कहा, “अगर हम वास्तव में एक वैश्विक परिवार हैं, तो आज हमें एक बेबाक परिवार की तरह दिखना चाहिए.”
यूएन प्रमुख ने कहा, “हमारी दुनिया मुश्किल दौर से गुजर रही है. दुनिया का भविष्य बहुध्रुवीय है- लेकिन हमारे बहुपक्षीय संस्थान बीते युग की तरह का काम कर रहे है.”
उन्होंने कहा, “हमें संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर 21वीं सदी की वास्तविकताओं को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की आवश्यकता है.”
यूएन प्रमुख ने कहा, “दुनिया में युद्ध और संघर्ष बढ़ रहे हैं- लेकिन शांति को आगे बढ़ाने का प्रयास काफी कम हो रहा है. नई टेक्नोलॉजी कई तरह के खतरे बढ़ा रही है, लेकिन इसके जोखिमों को रोकने के लिए काफी कम काम हो रहा है.”
उन्होंने कहा कि गरीबी, भुखमरी और असमानताएं बढ़ रही हैं लेकिन इसे कम करने के लिए वैश्विक एकजुटता काफी कम है.
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