भोपाल: मध्य प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय इंदिरा भवन में शनिवार को उत्सव जैसा माहौल था, क्योंकि यह पार्टी में शामिल हुए नए लोगों के स्वागत के लिए तैयार किया गया था. तथ्य यह है कि नौ नए सदस्य मध्य प्रदेश के आठ जिलों के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व नेता थे, जिन्होंने कांग्रेस में शामिल होने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी को छोड़ दिया.
भोपाल में पार्टी मुख्यालय को पार्टी के रंगों से सजाया गया था और जिस वक्त नौ नेताओं ने राज्य कांग्रेस प्रमुख कमल नाथ और राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला की उपस्थिति में औपचारिक रूप से पार्टी ज्वाइन किया उस वक्त बैकग्राउंड में देशभक्ति के गाने बज रहे थे.
राज्य भाजपा से दलबदल की घटनाओं में यह सबसे ताज़ा थी. दो दिन बाद, सोमवार को, पन्ना जिले के पूर्व भाजपा विधायक महेंद्र बागरी भोपाल में कमलनाथ के आवास पर कांग्रेस में शामिल हो गए.
दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक पिछले पांच महीनों में एक मौजूदा विधायक, एक पूर्व संसद सदस्य और छह पूर्व विधायकों सहित कम से कम 30 भाजपा पदाधिकारी और नेता कांग्रेस में शामिल हुए हैं.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ जी के नेतृत्व से प्रभावित होकर पन्ना जिले की गुन्नौर विधानसभा से भाजपा के पूर्व विधायक महेंद्र बागरी जी ने भाजपा छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की।
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— MP Congress (@INCMP) September 4, 2023
मध्य प्रदेश कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार, हाल के हफ्तों में कम से कम 40 नेता कांग्रेस में शामिल हुए हैं, जिनमें से 30 से अधिक पहले भाजपा में थे. सूत्रों ने कहा कि इनमें से कई पूर्व भाजपा नेताओं को प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों में ‘भाजपा बनाम भाजपा’ प्रतियोगिता का लाभ उठाने के उद्देश्य से आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा के दिग्गजों और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के वफादारों के खिलाफ खड़ा किया जाएगा.
उन 30 में से प्रमुख नामों में तीन बार के पूर्व विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी का नाम शामिल है, जिन्होंने इस साल मई में कांग्रेस में शामिल होने के समय कथित तौर पर भाजपा पर अपने मूल कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करने का आरोप लगाया था. भाजपा छोड़ने वाले एक और महत्त्वपूर्ण नेता नरयावली से भाजपा विधायक प्रदीप लारिया के भाई हेमंत लारिया थे, जिन्होंने मीडिया को बताया कि वह पिछले साल स्थानीय निकाय चुनावों के लिए टिकट नहीं दिए जाने से पार्टी से नाराज थे.
शनिवार को कांग्रेस में शामिल होने वालों में शिवपुरी के कोलारस निर्वाचन क्षेत्र से विधायक बीरेंद्र रघुवंशी और दो बार के पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखवत शामिल थे, जो 2018 के चुनावों में धार के बदनावर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार से हार गए थे.
यह संकेत देते हुए कि और भी दलबदल हो सकते हैं, एमपी कांग्रेस के मीडिया सेल के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने मंगलवार को दिप्रिंट को बताया, ‘वही बीजेपी जिसने कांग्रेस-मुक्त मध्य प्रदेश का आह्वान किया था, अब विधानसभा चुनाव के समय बीजेपी-मुक्त मध्य प्रदेश देखेगी.’ मिश्रा ने दावा किया कि कई अन्य मौजूदा भाजपा विधायक भी ”जल्द ही पार्टी (कांग्रेस) में शामिल होंगे.”
उन दावों को खारिज करते हुए कि इन नेताओं का कांग्रेस ज्वाइन करना पार्टी पर खराब प्रभाव डालता है, राज्य भाजपा प्रवक्ता हितेश बाजपेयी ने इसे उन नेताओं द्वारा “चुनावी दिखावा” करार दिया, जिन्हें लगता था कि जीतने की क्षमता की कमी के कारण उन्हें टिकट नहीं मिल सकता है. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “भाजपा छोड़ने वाले लोग पूरी तरह से स्थानीय समीकरणों के आधार पर ऐसा कर रहे हैं. इसका किसी नेता से कोई लेना-देना नहीं है. पार्टी छोड़ने और शामिल होने का ये चलन टिकट वितरण समाप्त होने तक जारी रहेगा.”
कांग्रेस को भी अपने प्रदेश मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा, प्रवक्ता शिवम शुक्ला, रीवा से पूर्व विधायक अभय मिश्रा और नीलम मिश्रा के भाजपा में शामिल होने से कुछ नुकसान हुआ है. पति-पत्नी अभय और नीलम के पीछे उनके समर्थक भी थे, जिनमें जिला पंचायत सदस्य सुंदरिया आदिवासी, जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष मिश्रीलाल तिवारी और जिला परिषद सदस्य राजेंद्र सिंह भी शामिल थे.
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‘उपेक्षित महसूस कर रहे हैं बीजेपी नेता, कार्यकर्ता’
हालांकि कांग्रेस ने अभी तक अपने उम्मीदवारों की पहली सूची घोषित नहीं की है, लेकिन पदाधिकारियों ने संकेत दिया है कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए वरिष्ठ भाजपा नेताओं को निशाना बनाना पार्टी की रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा.
शनिवार को भोपाल में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, मध्य प्रदेश के कांग्रेस प्रभारी, रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, “2018 में, 13 भाजपा मंत्री हार गए थे और इस बार, यह बिल्कुल उलट होगा [अंकों में बदलाव का संकेत देते हुए] और बीजेपी के 31 मंत्री हार जाएंगे.”
मार्च 2020 में सिंधिया के नेतृत्व में भाजपा में शामिल होने वाले कई कांग्रेस नेता – जिसके कारण मध्य प्रदेश में तत्कालीन कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई – अब से कांग्रेस में लौट आए हैं. इनमें प्रदेश भाजपा कार्यकारी समिति के पूर्व सदस्य शिवपुरी के बैजनाथ यादव, शिवपुरी में भाजपा के जिला उपाध्यक्ष राकेश गुप्ता और नीमच के जावद से प्रमुख ओबीसी चेहरा समंदर पटेल शामिल हैं, जो एक समय में सिंधिया के समर्थकों में गिने जाते थे.
अपनी “घर वापसी” का प्रदर्शन करते हुए, कांग्रेस में शामिल होने से पहले बैजनाथ ने इस साल जून में शिवपुरी से भोपाल तक 300 किलोमीटर की दूर तय करते हुए कई भाजपा जिला-स्तरीय पदाधिकारियों के साथ करीब 400 से अधिक कारों के काफिले का नेतृत्व किया. इसी को दोहराते हुए पिछले महीने समंदर पटेल ने नीमच से भोपाल तक 500 से अधिक कारों के काफिले का नेतृत्व किया, जहां उन्हें कांग्रेस में शामिल किया गया.
लेखक और राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई ने बताया कि इस चुनाव में कांग्रेस का नेतृत्व पूरी तरह से कमलनाथ के हाथों में होगा जिसमें केंद्रीय नेतृत्व का बहुत कम या कोई हस्तक्षेप नहीं होगा, जबकि भाजपा के लिए यह बात सच नहीं है.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “भाजपा की बात करें तो पार्टी का नेतृत्व राज्य में पूरी तरह से शिवराज सिंह चौहान के हाथों में नहीं होगा. अमित शाह और ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित कई वरिष्ठ नेता अपनी बात रखेंगे. कम से कम 50 ऐसी सीटें हैं जहां कई नेताओं की हिस्सेदारी है, जिसके कारण कार्यकर्ता उपेक्षित महसूस कर रहे हैं.”
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने खुद को दरकिनार किए जाने का संकेत दिया है. इस सप्ताह की शुरुआत में, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती से पार्टी की चुनाव पूर्व ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ में शामिल होने के लिए आमंत्रित नहीं किए जाने के बारे में पूछा गया था. मध्य प्रदेश भाजपा में अपने सहयोगियों पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “शायद वे घबराए हुए हैं कि अगर मैं वहां रहूंगी, तो ध्यान मुझ पर होगा.”
उनकी बयान पर टिप्पणी करते हुए, राजनीतिक विश्लेषक दिनेश गुप्ता ने दिप्रिंट को बताया, “उमा भारती की तरह, बड़वानी के पूर्व सांसद माखन सिंह सोलंकी जैसे अन्य वरिष्ठ नेता हैं, जिन्हें लगता है कि उन्हें पार्टी में वह जगह नहीं दी जा रही है जिसके वे हकदार हैं.” यह इन गुस्साए नेताओं को शांत करने में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की विफलता को भी दर्शाता है.
गुप्ता ने कहा, “यह पहली बार नहीं है कि विभिन्न नेताओं के बीच ये मतभेद सामने आए हैं. यह समस्या लगभग दो साल से बनी हुई है, लेकिन भाजपा अपने असंतुष्ट नेताओं को मनाने में विफल रही.
कई हाई-प्रोफ़ाइल नेता कांग्रेस में हुए शामिल
हाल के महीनों में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वालों में से कई या तो सिंधिया के गढ़ ग्वालियर-चंबल के नेता हैं या जिन्होंने सिंधिया के वफादारों को उस क्षेत्र में प्रमुखता दिए जाने पर अपनी असहमति व्यक्त की है जो कभी उनका क्षेत्र हुआ करता था.
पिछले हफ्ते कांग्रेस में शामिल होने के समय, कोलारस के विधायक रघुवंशी और पूर्व विधायक और आरएसएस पदाधिकारी शेखावत, जिन्होंने एपेक्स बैंक के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया था, दोनों ने कथित तौर पर सिंधिया के वफादारों पर भ्रष्टाचार और राजनीतिक उत्पीड़न का आरोप लगाया था.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ जी के नेतृत्व से प्रभावित होकर विधायक वीरेंद्र रघुवंशी जी, पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत जी, गुड्डू राजा बुंदेला जी, शिवपुरी से अरविंद धाकड़ जी, गुना से सुश्री अंशु रघुवंशी जी, भिंड से डॉ. केशव यादव जी, भोपाल से डॉ. आशीष अग्रवाल जी एवं नर्मदापुरम से… pic.twitter.com/OfTskpEgX6
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रघुवंशी ने प्रद्युम्न सिंह तोमर और महेंद्र सिंह सिसौदिया – दोनों सिंधिया के वफादार और शिवराज के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में मंत्री – पर भ्रष्टाचार और विकास कार्यों में देरी का आरोप लगाया. दूसरी ओर, सिंधिया के वफादार और राज्य मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव के मुखर आलोचक शेखावत ने यहां तक आरोप लगाया था कि “सिंधिया और उनके समर्थकों के भाजपा में शामिल होने के बाद लूट और भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया.”
देवास जिले से तीन बार के पूर्व विधायक दीपक जोशी 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मनोज चौधरी से हारने से पहले शिवराज सरकार में मंत्री थे. हालांकि, 2020 में, चौधरी उन 20 से अधिक विधायकों में से एक बन गए, जो सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हो गए.
मई में कांग्रेस में शामिल होते वक्त जोशी ने मीडिया से कहा था, ”बीजेपी में अब जनसंघ की विचारधारा के लिए कोई जगह नहीं है. भाजपा एक हाईटेक पार्टी बन गई है जिसमें आम कार्यकर्ताओं के लिए कोई जगह नहीं है.”
इससे पहले, मार्च में, दिवंगत भाजपा नेता देशराज यादव के बेटे, यादवेंद्र सिंह यादव, जो अशोक नगर की मुंगावली सीट से तीन बार पूर्व विधायक थे, कांग्रेस में शामिल हो गए. यादव ने भी कथित तौर पर भाजपा पर सिंधिया और उनके वफादारों के प्रवेश के बाद अपने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करने का आरोप लगाया.
हाल के महीनों में कांग्रेस में शामिल होने वाले अन्य लोगों में वरिष्ठ भाजपा नेता अवधेश नायक, दतिया के पूर्व आरएसएस पदाधिकारी और राजकुमार धनोरा शामिल हैं. सुरखी के एक पार्टी नेता धनोरा ने कथित तौर पर राज्य परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत द्वारा टारगेट किए जाने का आरोप लगाया है.
अपनी ओर से, कांग्रेस अपनी चुनावी संभावनाओं को बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. यहां तक कि इसने अपने अभियान को गति देने के लिए पूर्व चंबल डाकू मलखान सिंह और पर्वतारोही मेघा परमार को भी पार्टी में शामिल किया – जो पहले मध्य प्रदेश में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान का चेहरा थे.
पारमेर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर से आते हैं.
कांग्रेस ज्वाइन करने वाले दो अन्य हाई-प्रोफाइल लोग कवयित्री अंजुम रहबर और विक्रम मस्तल हैं. अंजुम रहबर प्रसिद्ध उर्दू शायर स्वर्गीय राहत इंदौरी की पत्नी हैं – जो पहले आम आदमी पार्टी (आप) में थीं और पिछले महीने इंदौर में कांग्रेस में शामिल हुईं. वहीं, विक्रम मस्तल ने रामानंद सागर के रामायण के टीवी रूपांतरण में भगवान हनुमान की भूमिका निभाई थी. जुलाई में छिंदवाड़ा में उनके द्वारा बनाए गए हनुमान मंदिर में कमलनाथ द्वारा उन्हें पार्टी में शामिल किया गया.
(संपादनः शिव पाण्डेय)
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