नई दिल्ली: कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी केंद्र सरकार द्वारा ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के लिए बनाई गई कमेटी में शामिल नहीं होंगे. इसकी जानकारी कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद केसी वेणुगोपाल ने दी. उन्होंने कहा, “भारत सरकार जरूरी मुद्दे से लोगों को भटकाना चाहती है. हम अडाणी मुद्दे को लेकर सरकार से सवाल से पूछ रहे हैं, इसलिए वे ये सब चीजें कर रहे हैं. साथ ही वे संसदीय रीति-रिवाजों और परंपराओं को पूरी तरह से नुकसान पहुंचा रहे हैं. उनका सीधा उद्देश्य लोगों का ध्यान भटकाना है. इसलिए हमने तय किया है कि हम इस कमेटी में शामिल नहीं होंगे.”
उन्होंने कहा कि इसके लिए गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर सूचना दे दी गई है.
बता दें कि ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर जरूरी सुझाव देने के लिए केंद्र सरकार ने आठ सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी बनाई है. इस कमेटी के अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को बनाया गया है. कोविंद के अलावा इसमें गृहमंत्री अमित शाह, गुलाम नबी आजाद, लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ सुभाष कश्यप, वरिष्ट वकील हरीश साल्वे, पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी, 15वें वित्त आयोग के पूर्व चेयरमैन एन के सिंह और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी को शामिल किया गया था.
अधीर रंजन चौधरी को विपक्ष के नेता के तौर पर इस कमेटी में शामिल किया गया था.
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को इस कमेटी का विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया है. वह सभी महत्वपूर्ण बैठकों में शामिल होंगे. इसके अलावा विधि मंत्रालय के सचिव नितिन चंद्रा को इस कमेटी का सचिव नियुक्त किया गया है.
यह कमेटी तत्काल प्रभाव से अपना काम शुरू कर देगी. कमेटी ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को लेकर सभी कानूनी और संवैधानिक पहलुओं को देखेगी और एक साथ कैसे पूरे देश में चुनाव कराया जा सके, इसपर एक रोडमैप तैयार करेगी. इसके बाद कमेटी अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपेगी.
कई दल विरोध में
‘वन नेशन वन इलेक्शन’ का विरोध देश की अधिकतर विपक्षी पार्टियों ने किया है. अधिकतर विपक्षी पार्टियों ने इसे संघीय ढांचे पर हमला बताया. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत, राज्यों का संघ है और केंद्र सरकार का ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ संघवाद पर हमला है.
वहीं कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि “हमारा मानना है कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर उच्च स्तरीय समिति संसदीय लोकतंत्र को नष्ट करने के एक प्रयास के अलावा और कुछ नहीं है.”
इसके अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, सपा प्रमुख अखिलेश यादव आदि जैसे विपक्षी नेताओं ने केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं.
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