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Sunday, 24 November, 2024
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रक्षाबंधन के दिन आसमान में दिखेगा सुपर ब्लू मून, तो क्या नीला दिखेगा चांद

30 अगस्त को शाम ढलने के बाद सुपर ब्लू मून की घटना देखी जा सकती है. यह उन दुर्लभ घटनाओं में से एक है जो कई सालों में एक बार होता है.

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नई दिल्लीः इस अनंत ब्रह्मांड ने हमेशा से ही मानव मन को अपनी और खींचा है. हमारे चारों ओर तमाम ऐसी खगोलीय घटनाएं होती हैं जो हमें हैरत में डाल देती हैं. इसी क्रम में एक, ‘सुपर ब्लू मून’ एक ऐसी घटना है जो कल यानी रक्षाबंधन के दिन 30 अगस्त को घटित होने वाली है. यह ऐसी दुर्लभ घटना है जो कि कई सालों में एक बार घटित होती है.

कल्पना कीजिए एक ऐसे चांद के बारे में जो न केवल अपनी चांदी जैसी चमक बिखेरता है बल्कि अपने सामान्य आकार से अधिक बड़ा और जीवंत दिखाई देता है. ‘सुपर ब्लू मून’ ऐसी ही एक घटना है.

क्या होता है ‘सुपर ब्लू मून’

‘सुपर ब्लू मून’ के बारे में जानने के लिए हमें ‘सुपर मून’ और ‘ब्लू मून’ दोनों को जानना होगा. तो पहले ब्लू मून के बारे में जानते हैं. दरअसल, जब किसी एक सीज़न (तीन महीने) में तीन के बजाय चार ‘पूर्णिमा’ या ‘फुल मून’ होते हैं तो तीसरे महीने में पड़ने वाले दूसरे फुल मून को ‘ब्लू मून’ कहते हैं. चंद्र चक्र या लूनर साइकिल 29.5 दिनों का होता है. यानी कि चंद्रमा 29.5 दिनों में पृथ्वी का एक चक्कर लगा लेता है, जो कि एक कैलेंडर माह से थोड़ा ही कम है. एक कैलेंडर माह 30 या 31 दिनों का होता है. तो इस हिसाब से 12 लूनर साइकिल 354 दिनों में ही पूरा हो जाता है.

कैलेंडर माह और लूनर साइकिल के बराबर न होने के नाते एक महीने में एक पूर्णिमा यानी कि फुल मून पड़ता है लेकिन बचे हुए दिनों के कारण दो से तीन सालों में एक बार ऐसा भी होता है कि किसी एक महीने में दो बार फुल मून की घटना होती है. इसी दूसरे फुल मून या पूर्णिमा को ब्लू मून कहते हैं. बता दें कि फरवरी के महीने में ब्लू मून की घटना नहीं होती है क्योंकि फरवरी में 28 या 29 दिन ही होते हैं जबकि लूनर साइकिल 29.5 दिनों की होती है.

अब जानते हैं कि क्या होता है सुपर मून. दरअसल, पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा का जो पथ है वह अंडाकार है. यानी कि पृथ्वी का चक्कर लगाते वक्त चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी एक जैसी नहीं रहती बल्कि कम-ज्यादा होती रहती है. तो जब चंद्रमा पृथ्वी नज़दीक होता है, जिसे पेरिजी कहते हैं, तो इसका आकार समान्य से कुछ बड़ा दिखाई पड़ता है. इसे ही ‘सुपर मून’ कहते हैं.जब ऐसा होता है, तो चंद्रमा आकाश में काफी चमकीला भी दिखाई देता है.

तो क्या होता है “सुपर ब्लू मून”. दरअसल, जब यह दोनों घटनाएं एक साथ घटित होती हैं तो इसे सुपर ब्लू मून कहते हैं. यानी कि किसी एक महीने में पड़ने वाला दूसरा फुल मून भी हो और उस वक्त चंद्रमा पृथ्वी के नजदीक भी हो. यही घटना इस 30 अगस्त को घटित होने वाली है.


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कितने दिनों में आता है सुपर ब्लू मून

सुपर ब्लू मून काफी दुर्लभ खगोलीय घटना है जो कई सालों में एक बार घटित होती है. ब्लू मून की घटना तो 2 से 3 सालों में एक बार घटित होती है जबकि सुपर ब्लू मून लगभग दस सालों में एक बार आता है. हालांकि, कभी-कभार यह घटना बीस सालों में भी एक बार घटित हो सकती है. अनुमान के मुताबिक अगला सुपर ब्लू मून साल 2037 में पड़ने की संभावना है.

क्या नीला दिखता है ब्लू मून

नहीं. ब्लू मून का नीला दिखने से कोई संबंध नहीं है. इसे ब्लू मून इसलिए नहीं कहा जाता क्योंकि यह नीला दिखता है बल्कि इसे ब्लू मून कहने के पीछे अन्य कारण है.

दरअसल, दुर्लभ चीज़ों के लिए अंग्रेजी में “वंस इन ए ब्लू मून” वाक्यांश का प्रयोग किया जाता है. और ऐतिहासिक रूप से एक महीने में दूसरी पूर्णिमा का पड़ना काफी दुर्लभ घटना थी जो कि लोगों को काफी आश्चर्य में डाल देती थी क्योंकि इसका कारण लोगों को पता नहीं था. तो, प्रचलन में इस घटना को “ब्लू मून” कहा जाने लगा.

हालांकि, कभी-कभी ऐसा होता है कि अगर वातावरण में धूल इत्यादि के कण ज्यादा मात्रा में हों तो उनकी वजह से चंद्रमा में हल्का नीलापन दिख सकता है.

जब 24 महीनों तक नीला दिखा था चांद

वैसे तो चांद नीला नहीं दिखता है, लेकिन 1883 में इंडोनेशिया के क्राकाताओ में ज्वालामुखी फटने की वजह से आसमान में ढेर सारी मात्रा में धूल के कण बिखर गए. वातावरण में फैले ये कण प्रकाश की किरणों में स्कैटरिंग की प्रक्रिया हुई. इसी वजह से चांद का रंग नीला दिखने लगा. इसका असर लगभग 24 महीनों तक बना रहा जिससे लगभग दो सालों तक चांद नीला दिखता रहा.

क्या होता है डबल ब्लू मून

जब किसी एक साल में दो बार ब्लू मून की घटना होती है तो इसे डबल ब्लू मून कहते हैं. यह घटना एक शताब्दी में केवल चार बार ही घटित होती है. इसके पहले डबल ब्लू मून की घटना 2018 में घटित हुई थी और उसके पहले 1999 में व उसके पहले 1961 में घटित हुई थी. यह घटना आमतौर पर जनवरी से मार्च में होती है लेकिन अप्रैल या मई में भी यह घटित हो सकती है.

किसी कैलेंडर वर्ष में सिर्फ तभी डबल ब्लू मून हो सकते हैं जब उस साल 13 फुल मून पड़े और साथ ही फरवरी में फुल मून न पड़ा हो. साल 2018 में ऐसा ही हुआ था. उस साल 31 जनवरी और 31 मार्च दोनों ही महीनों में दो-दो फुल मून पड़े थे. जिससे डबल ब्लू मून की दुर्लभ घटना देखने को मिली थी.


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