नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त मंत्रालय और कॉर्पोरेट मंत्रालय के तीन दिवसीय चिंतन शिविर के दौरान जोर देकर कहा कि ‘चीन में विकास की कहानी और हाल के घटनाक्रम’ और यहां तक कि ‘चीनी मॉडल को बेहतर बनाने’ का अध्ययन करने की जरूरत है. यह शिविर 22 अगस्त को केवडिया, गुजरात में संपन्न हुआ था.
बैठक में कहा गया, “भारत को चीन का अनुकरण करने की जरूरत नहीं है और न ही उसे ऐसा करना चाहिए, लेकिन वह उसकी विकास यात्रा से बहुत कुछ सीख सकता है. हम इसे भारतीय स्थिति के अनुसार कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं इसपर काम करने की जरूरत है. शायद हम चीनी मॉडल से भी बेहतर कर सकते हैं.”
वित्त मंत्री ने केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी और डॉ भागवत किसनराव कराड की उपस्थिति में चिंतन शिविर की अध्यक्षता की. कार्यक्रम में वित्त मंत्रालय और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया.
सीतारमण ने बताया कि वित्त मंत्रालय को “सोने के आयात (800 मिलियन टन सालाना) पर निर्भरता को कैसे कम किया जाए, इस पर अधिक अध्ययन करना चाहिए ताकि आयात बिल पर बोझ कम किया जा सके. चूंकि एक उपकरण के रूप में सीमा शुल्क तस्करी को नहीं रोकता है, वित्त मंत्रालय इस बात पर विचार-विमर्श कर सकता है कि सोने के आयात पर खर्च होने वाले विदेशी मुद्रा संसाधनों को कैसे संरक्षित किया जाए.
वित्त सचिव, आर्थिक मामलों के सचिव, निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन सचिव (डीआईपीएएम), राजस्व विभाग (डीओआर), वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस), और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के सचिव , मुख्य आर्थिक सलाहकार, सीबीडीटी के अध्यक्ष और सीबीआईसी भी इस विमर्श का हिस्सा थे.
वित्त मंत्री ने “एमओएफ/एमसीए (वित्त मंत्रालय और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय) के अधिकारियों को उन पहलुओं पर विचार करने के लिए कहा, जहां सरकार को पीछे हटना चाहिए और खिलाड़ियों को नीति निर्माण के साथ आने देना चाहिए.”
उन्होंने कहा, “उदाहरण के तौर पर एक मामला यह है कि नियामक व्यापक नतीजे पेश करते हैं और इसे खिलाड़ियों पर छोड़ देते हैं कि वे उस फॉर्मूलेशन के साथ आएं जो उनके क्षेत्र के लिए सबसे उपयुक्त है. इससे यह सुनिश्चित हो सकता है कि हितधारकों के हितों और विचारों को स्वचालित रूप से संबोधित किया जाता है.”
सीतारमण ने अधिकारियों से अपनी सामान्य भूमिकाओं से आगे बढ़ने और अन्य क्षेत्रों पर भी अतिरिक्त प्रभाव डालने का आग्रह किया ताकि अलग-अलग विचार सामने आएं, जो पूरे मंत्रालय के लिए उपयोगी साबित हो सकता है.
बैठक के दौरान, उन्होंने अधिकारियों को सरकार में उपलब्ध संसाधनों और अनुभव का बेहतर उपयोग करने की भी सलाह दी. मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, “वित्त मंत्री ने अमृत काल में 2047 के विकसित भारत की दिशा में प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए युवा पीढ़ियों के मार्गदर्शन को रेखांकित किया.”
वित्त मंत्रालय ने कहा कि सीतारमण ने एमओएफ और एमसीए के वरिष्ठ अधिकारियों से नए प्रवेशकों और युवा सहयोगियों को अमृत काल और उसके बाद परिणाम देने के साधन विकसित करने के लिए लगातार सलाह देने का आग्रह किया, जिससे 2047 तक विकसित भारत का निर्माण हो सके.
मंत्रालय ने कहा, “केंद्रीय वित्त मंत्री ने ‘दक्षता के साथ प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए सांस्कृतिक संदर्भ’ में नीति को लगातार पुन: पेश करने और निर्णय लेने में ‘स्वामित्व की भावना पैदा करने’ की आवश्यकता पर भी जोर दिया.”
(संपादन: ऋषभ राज)
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