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Saturday, 23 November, 2024
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12 राज्यों को विशेष दर्जा: अनुच्छेद 371 क्या है, जिसमें संशोधन करने की सरकार की ‘कोई योजना नहीं’ है

केंद्र सरकार द्वारा 2019 में जम्मू-कश्मीर के मिले अनुच्छेद 370 के तहत विशेषाधिकार को खत्म करने के बाद, अनुच्छेद 371 को लेकर भी चिंताएं जाहिर की गई हैं जो कुछ अन्य राज्यों को 'विशेष दर्जा' प्रदान करता है.

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नई दिल्ली: सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि केंद्र सरकार का पूर्वोत्तर और भारत के अन्य क्षेत्रों पर लागू किसी भी कानूनी प्रावधान में संशोधन करने का कोई इरादा नहीं है. सॉलिसिटर जनरल खासकर संविधान के अनुच्छेद 371 का उल्लेख कर रहे थे, जो मणिपुर, असम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और मिजोरम सहित 12 राज्यों को “विशेष दर्जा” प्रदान करता है.

अनुच्छेद 371 का विषय, जो अलग-अलग राज्यों को अलग-अलग विशेषाधिकार देता है, अदालत में तब आया जब वकील और कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने “आशंका” व्यक्त की कि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर को मिले इस विशेष प्रावधान भी उसी तरह रद्द कर सकती है जैसे उन्होंने अनुच्छेद 370 के साथ किया था. बता दें कि अनुच्छेद 370, जो जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देता था, को केंद्र सरकार ने खत्म कर दिया था.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली एक एससी पीठ वर्तमान में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और उसके बाद जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे हैं.

जम्मू-कश्मीर के विभाजन के समय भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मीडिया से कहा था कि “धारा 371 को छुआ भी नहीं जाएगा”.

मेहता ने बुधवार को यह रुख दोहराया और अदालत को “अनुच्छेद 370 जैसे अस्थायी प्रावधान और अनुच्छेद 371 के तहत विशेष प्रावधानों के बीच अंतर” बताया.

दिप्रिंट संविधान के अनुच्छेद 371 और इसके द्वारा विभिन्न राज्यों को दिए जाने वाले विभिन्न विशेष प्रावधानों और सुविधाओं के बारे में बताता है.


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अलग-अलग राज्यों के लिए अलग-अलग ‘विशेष प्रावधान’

अनुच्छेद 371 और उसके खंड संविधान के भाग XXI के अंतर्गत आते हैं, जो विभिन्न राज्यों के लिए “अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान” प्रदान करता है.

अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 371 दोनों 1950 में इसके गठन के बाद से भारत के संविधान का हिस्सा रहे हैं. जबकि अनुच्छेद 370 ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया, अनुच्छेद 371 ने महाराष्ट्र और गुजरात के लिए विशेष प्रावधान प्रदान किए.

अनुच्छेद 371 के तहत अन्य राज्यों से संबंधित खंडों को बाद में संशोधनों के माध्यम से शामिल किया गया था.

नागालैंड में, अनुच्छेद 371A को 1960 में केंद्र सरकार और नागा पीपुल्स कन्वेंशन (एनपीसी) के बीच 16-सूत्रीय समझौते के बाद पेश किया गया था. इस समझौते के कारण 1963 में नागालैंड राज्य का निर्माण हुआ और अनुच्छेद 371A ने राज्य के लोगों को असाधारण सुविधाएं प्रदान कीं.

नागालैंड में संसद राज्य विधानसभा की सहमति के बिना धार्मिक या सामाजिक प्रथाओं, प्रथागत कानून, प्रक्रिया, नागरिक या आपराधिक न्याय, स्वामित्व और भूमि के मामलों पर कानून नहीं बना सकती है.

मिजोरम में भी, अनुच्छेद 371 के तहत विशेष प्रावधानों के कारण संसद ऐसे मामलों पर तब तक कानून नहीं बना सकती जब तक कि विधानसभा ऐसा निर्णय न ले.

असम पर लागू अनुच्छेद 371B, राष्ट्रपति को राज्य विधान सभा की एक समिति गठित करने की अनुमति देता है जिसमें राज्य के आदिवासी क्षेत्रों से चुने गए सदस्य और ऐसे अन्य सदस्य शामिल होंगे जिन्हें वह निर्दिष्ट कर सकते हैं.

मणिपुर में भी, अनुच्छेद 371C राज्य के आदिवासी क्षेत्रों से निर्वाचित सदस्यों की एक समान समिति के गठन का प्रावधान करता है. इसमें राज्यपाल को राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में राष्ट्रपति को वार्षिक या “अनुरोध पर” रिपोर्ट देने का भी प्रावधान है.

सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश को भी क्रमशः अनुच्छेद 371F और 371H के माध्यम से कुछ विशेषाधिकार प्राप्त है.

लोकसभा में सिक्किम को एक विशेष सीट आवंटित की गई है, जिसके सदस्य का चुनाव सिक्किम विधानसभा द्वारा किया जाता है.

अरुणाचल प्रदेश में राज्यपाल को कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने की विशेष जिम्मेदारी दी गई है.

इसी तरह, अनुच्छेद 371 के तहत विशेष प्रावधान महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना पर लागू होते हैं.

उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र और गुजरात में, राज्यपाल को क्षेत्र-विशिष्ट विकास, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा तथा रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने की विशेष जिम्मेदारी दी गई है.

आंध्र प्रदेश में, अनुच्छेद 371 के खंड D और E के तहत, राष्ट्रपति को सार्वजनिक रोजगार और शिक्षा के मामलों में राज्य के विभिन्न हिस्सों से संबंधित लोगों के लिए समान अवसर और सुविधाएं प्रदान करने का अधिकार देते हैं.

2014 में, जब तेलंगाना का निर्माण हुआ, तो आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम द्वारा अनुच्छेद 371D को राज्य में बढ़ा दिया गया.

अनुच्छेद 371J में कर्नाटक के लिए विशेष प्रावधान हैं, जबकि अनुच्छेद 371I में प्रावधान है कि गोवा विधानसभा में कम से कम 30 सदस्य होने चाहिए.

संपत्ति की बिक्री पर अनुच्छेद 370 के प्रतिबंध भी अनुच्छेद 371 के तहत विभिन्न प्रावधानों का हिस्सा हैं.

उदाहरण के लिए, गैर-निवासियों को नागालैंड में जमीन खरीदने पर प्रतिबंध है. निजी क्षेत्र के उद्योगों को छोड़कर मिजोरम में भी यही स्थिति है.

सिक्किम में राज्य सरकार को स्वामित्व के सभी अधिकार दिये गये हैं.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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