एक समय था जब भोजपुरी म्युजिक इंडस्ट्री में नाम बनाने का सपना देख रहे लोगों का ठिकाना मुंबई था. बॉलीवुड से मिले रिकॉर्डिंग स्टूडियों और नई नई प्रतिभा की खेप ने भोजपुरी को ऊपर ले जाने में मदद की. लेकिन अब, कुकुरमुत्ते की तरह उग आए नए-नए रिकॉर्डिंग स्टूडियो और अगला यूट्यूब स्टार बनने का सपना देख रहे लोगों के आने के कारण दिल्ली भोजपुरी की नई राजधानी बन गई है.
पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मी नगर इलाके की गलियों में एक बार घूमने से आपको समझ आ जाएगा कि यहां 200 से ज्यादा रिकॉर्डिंग स्टूडियो और 500 भोजपुरी म्युजिक लेबल हैं. यहां स्टूडियो जर्जर घरों में बिना किसी लाइसेंस के लुके छुपे किसी नाम के काम कर रहे हैं, जहां यूपी और बिहार से पलायन कर के आए मजदूरों की भरमार हैं. इन लोगों के पास दो चीजें होती हैं दिमाग में नौकरी और यूट्यूब स्टार बनने का सपना.
कैसेट्स और सीडी ने यूट्यूब के लिए रास्ता बनाया फिर लाखों जियो उपभोक्ता स्क्रीन से चिपक गए. जिससे म्यूजिक इंडस्ट्री का पूरा स्वरुप बदल गया और स्टारडम पाने में आने वाली शुरुआती स्तर पर कठिनाईयां कम हो गईं.
यूपी-बिहार का दिल्ली से सटे होने के साथ ही शहर में कमाई की नई संभावना बनाने से इसने महत्वकांक्षी खानाबदोश और बिहार के युवक दीपक बिहारी के लिए नए मौके बना दिए हैं. दीपक ने भोजपुरी के स्टार गायक, गीतकार और संगीतकार पवन सिंह के प्रसिद्ध भोजपुरी गाने ‘रात दिया बुता के पिया तूने क्या-क्या किया’ की धुन तैयार की थी.
‘मेरा पहला गाना रोई-रोई लिखतानी पतिया’ को यूट्यूब पर 4 मिलियन(40 लाख लोगों ने देखा).’
10 साल की उम्र में घर से भागे दीपक इस समय एक स्टूडियो के केयरटेकर हैं. तेजी से बढ़ती ये इंडस्ट्री पूरी तरह से व्यू (कितने लोगों द्वारा देखा गया), लाइक्स और शेयर पर निर्भर करती है और यह पाने के लिए आपको स्टार होने की जरूरत नहीं है.
रिकॉर्डिंग स्टूडियो
रविवार की सुबह है और भोजपुरी इंडस्ट्री में कुछ करने की चाह रखने वाले पांच युवा पूर्वी दिल्ली के गणेश नगर में हल्की रोशनी से सराबोर राज स्टूडियो पहुंचते हैं. स्टूडियो में एक कंप्यूटर और एक हारमोनियम के साथ एक डेस्क, एक माइक्रोफोन और एक संगीत स्टैंड के साथ एक रिकॉर्डिंग रूम है.
डीएन मिश्रा, स्टूडियो का मालिक वीकेंड ट्रैफिक के लिए तैयार हैं. मिश्रा पान चबाते हुए कहते हैं, ‘आज रविवार है, इसलिए लगभग 30 से 40 लोग गाने रिकॉर्ड करेंगे. भोजपुरी संगीत दिल्ली में तेजी से अपनी पहचान बना रहा है, उनके ग्राहक पूरे यूपी, बिहार से आते हैं, जबकि कुछ दिल्ली के भी निवासी हैं.’
मुंबई में रिकॉर्डिंग स्टूडियो केवल प्रसिद्ध भोजपुरी गायकों की उम्मीदों को पूरा करते हैं. इसके अलावा, मुंबई में रहने और उत्पादन की लागत नए शौक के लिए बहुत महंगा पड़ता है. दिल्ली में, एक गीत रिकॉर्ड किया जाता है और 2,500 रुपये में तैयार हो जाता है और स्टूडियो हाथों-हाथ लेते हैं.
उससे कुछ दूर आगे बढ़ने पर आरसीएम भोजपुरी नाम से एक और म्यूजिक स्टूडियो है जहां बिहार से आने वाले अमित आशिक अपना गाना रिकॉर्ड कराने आते हैं. उनके गाने द्वारका मोड़ पर चलने वाली नूतन फिल्म के बैनर तले ‘भोजपुरिया मस्ती ’ के लेबल से निकलते हैं.
आशिक बताते हैं, ‘भोजपुरी में गायक बनने का रास्ता कठिन है. आप पवन भईया (पवन सिंह) और खेसारी भईया (खेसारी लाल यादव) का ही उदाहरण ले लीजिए. ’ वो हमारे प्रेरणास्रोत हैं लेकिन वो रातों-रात स्टार नहीं बने हैं. हम भी उन्हीं की तरह प्रयास में हैं.’
फैक्ट्री में बतौर मजदूर काम करने वाले अन्य प्रतिभागी गायकों की अपेक्षा आशिक पूरी तरह से अपने सपनों के प्रति समर्पित हैं. बहुत सारे गानों के मिलियन व्यू होने का बेंचमार्क छूने के बाद वो अपने आप को खुशी-खुशी ‘उभरता सितारा’ बताते हैं.
आशिक कहते हैं, ‘मैं आठ महीने से घर नहीं गया हूं. मैं जब पॉपुलर नहीं था तो अक्सर घर जाया करता था.’
भोजपुरिया इंडस्ट्री को दिल्ली में फलते-फूलते देख बिहार के मोतिहारी जिले से आए 26 साल के ग्राफिक डिजाइनर विकास राज ने म्यूजिक रिकॉर्डिंग की बेसिक सीखी और अगस्त 2018 में पूर्वी दिल्ली में अम्बे स्टूडियो के नाम से एक नया स्टूडियो खोल दिया.
वो और उनका भतीजा अब एक रिकॉर्डिंग स्टूडियो खोलने की तैयारी में हैं. राज कहते हैं, ‘आज इस इंडस्ट्री का स्कोप इतना है कि अगर हम तीन-चार स्टूडियो भी खोल दें तो वो कम ही होगा. ’
उनके मुताबिक एक स्टूडियो खोलने में 6-7 लाख रुपये लगते हैं लेकिन उसका रिटर्न उसमें किए निवेश से ज्यादा है.
आकाश सीरीज, भोजपुरिया मस्ती, आरसीएम हिट के नाम से यूट्यूब लेबल लिए हुए प्रोड्यूसर, अपने प्रॉफिट का शेयर व्यू और लाइक से पाते हैं. आरा जिले के सूरज सावरका का रंगरेज म्यूजिक के नाम से यूट्यूब लेबल है. जब वो किसी नए इंसान से मिलते हैं तो वो उससे अपना यूट्यूब चैनल लाइक करवाना नहीं भूलते हैं.
‘यूट्यूब का सब्स्क्राइब बटन हमारा दाल,रोटी और चावल है. प्रति गाने तीन लाख व्यू पर यूट्यूब प्रोडयूसरों को 6000-6500 रुपया देता है.’
नवप्रवेशी गायक जब तक अपने आप को साबित न कर लें और मिलियन व्यू न पा जाए, उन्हें पैसे नहीं मिलते. इसलिए वे अपना पैसा लगाकर नए गाने रिकॉर्ड करते हैं. यूपी और बिहार के युवा अपना खर्चा चलाने के लिए प्राइवेट कंपनियों और फैक्ट्रियों में मजदूरी का काम करते हैं. पॉपुलर होने की चाह में वे अपनी कमाई का एक हिस्सा अपने स्टारडम पाने में लगाते रहते हैं.
नरेला में स्थित एक जूते की फैक्ट्री में काम करने वाले सूरज सावरिया हर महीने 4000-5000 रुपये खर्च करते हैं, इस उम्मीद में कि उसके गानों को मिलियन व्यू मिलेंगे और फेमस लेबल से ऑफर मिलेंगे.
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सपने देखने वाले
ये भोजपुरी गायक दिल्ली से सटे इंडस्ट्रियल इलाके में रहते हैं. अब स्थापित हो चुके भोजपुरी गायक प्रवीण सम्राट अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हैं. ‘पहले एक पूरा एल्बम रिकॉर्ड करना पड़ता था, जिसमें आठ गाने होते थे. और 40 से 50 हजार रुपये खर्च होते थे. लेकिन अब यूट्यूब के कारण हम एक गाना एक समय रिकॉर्ड करते हैं.’
हालांकि, यूट्यूब के साथ दिक्कतें भी बहुत हैं. गला-काट प्रतियोगिता है. ज्यादा गाने बनाने के चक्कर में क्वालिटी से समझौता करना पड़ता है और धुने चुराई जाती हैं. लेकिन पवन सिंह और खेसारी लाल यादव जैसे लोगों की अर्श से फर्श तक पहुंचने की कहानी बहुत सारे सपनों को जिंदा रखे हैं.
खेसारी दिल्ली के ओखला में लिट्टी चोखा बेचा करते थे, लेकिन उनके गाने ‘प्रेमिका मिल गईल’ ने उन्हें रातों-रात स्टार बना दिया. वे उन सेलिब्रिटियों की लिस्ट में शामिल हो गए हैं जो कपिल शर्मा के प्रसिद्ध शो ‘कॉमेडी नाइट विद कपिल’ में आ चुके हैं. पवन सिंह का गाना ‘लॉलीपॉप लागेलू’ 92 मिलियन व्यू के साथ लोगों के बीच देखा गया और उसने सारे पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए. ये गाना नाइट क्लब की शान तो बना ही बॉलीवुड पार्टियों का भी हिस्सा बना.
स्टारडम के बाद
जैसे ही कोई गायक लोकप्रिय होना शुरू होता है, स्टेज शो के प्रस्ताव आने शुरू हो जाते हैं – जो उनकी आय का स्रोत बन जाता है. लेकिन इन नए गायकों और उभरते सितारों का शोषण बड़े पैमाने पर होता है. उनमें से अधिकांश में मूलभूत शिक्षा का अभाव है और भोजपुरी संगीत स्टार बनने के व्यावसायिक पहलू को नहीं समझते हैं.
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एक उभरते हुए सितारा होने के बावजूद, अमित आशिक जैसे गायक अभी भी एक महीने में मात्र 13,000-15,000 रुपये पर अपना जीवन गुजारते हैं. उनके वीडियो से अधिकांश लाभ प्रोड्यूसरों को होता है. लेकिन आशिक को ज्यादा शिकायत नहीं है. अब कई भोजपुरी दुनिया से जुड़े खानाबदोश उनके पास आते हैं. वह कहते हैं कि उन्हें एक दिन में लगभग 200 कॉल मिलते हैं. लेकिन वह अपने महिला फैन्स को अपना नंबर देने से बचते हैं.
हालांकि, लोकप्रियता उसके लिए सिर्फ आशिर्वाद नहीं रही है. उसके साथ बहुत नफरत भी आई है. आशिक कहते हैं, ‘बहुत बार, मुझे उन लोगों से धमकियां मिलती हैं जो दावा करते हैं कि मेरे गाने अश्लील हैं लेकिन वे वास्तव में ईर्ष्या करते हैं.’ हलचल भरी दिल्ली में, अमित, आशिक उन ही लोगों में से एक हैं, जो भोजपुरी संगीत इंडस्ट्री में कुछ हद तक पहचान बनाने में कामयाब रहे हैं. दूसरे लोग वीकेंड पर अपने दिलों में आशाओं और फोन पर यूट्यूब को ध्यान में रखे रिकॉर्डिंग स्टूडियो में जाते हैं.
(रजत मिश्र और मिदहत फातिमा स्वतंत्र पत्रकार हैं. यहां व्यक्त विचार उनके निजी विचार हैं.)
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