scorecardresearch
Friday, 17 May, 2024
होममत-विमतमोदी इस चुनावी मौसम में भोजपुरी संगीत जगत के ‘बलमा चौकीदार’ हैं

मोदी इस चुनावी मौसम में भोजपुरी संगीत जगत के ‘बलमा चौकीदार’ हैं

इन दिनों राजनीति का जलवा है और भोजपुरी गायक इसे खूब भुना रहे हैं.

Text Size:

अधिकांश भारतीयों ने कभी न कभी हिट भोजपुरी गाना ‘लॉलीपॉप लागेलू’ ज़रूर सुना होगा – 2015 में रिलीज़ होते ही इसने यूट्यूब पर सनसनी फैला दी और अब तक इसे 92 मिलियन लाइक्स मिल चुके हैं. इस गाने ने इसके गायक पवन सिंह को स्टार बना दिया.

भोजपुरी संगीत के बारे में आम धारणा यही है या तो इसके गानों के बोल अश्लील होते हैं या इसमें घर से दूर होने की तड़प होती है. असभ्य भाषा का चलन अब भी जारी है, पर यूट्यूब पर लाइक्स और व्यूज़ के लिए गलाकाट प्रतियोगिता और बाकियों से अलग दिखने के दबाव ने भोजपुरी संगीत उद्योग को नए विषय उठाने पर बाध्य कर दिया है. और 2019 के इस बड़े चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सत्ता में वापसी की कोशिशों के बीच, राजनीति इसकी जद से दूर नहीं रह सकती थी.

गानों में लालू और नीतीश एक साथ

देश के मौजूदा राजनीतिक माहौल ने भोजपुरी के नए और उभरते संगीतकारों के लिए उत्प्रेरक का काम किया है. यूट्यूब पर ‘भोजपुरी’, ‘राजनीति’ और ‘गाने’ जैसे शब्दों को सर्च करते ही लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी पर बने संगीत वीडियो की कतार सामने आ जाती है. इनमें से अधिकांश गानों में टेक्नो म्यूज़िक का इस्तेमाल किया गया है और गायकों की आवाज़ें ऑटो-ट्यून की हुई हैं. संगीत आकर्षक हैं और बोल सरल हैं – यही कारण है कि ये इतनी जल्दी लोकप्रिय हो जाते हैं.

राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल (यूनाइटेड) के बीच मतभेद को, जो कि बिहार की राजनीति की एक अहम घटना थी, भोजपुरी संगीत जगत में विशेष तौर पर जगह दी गई है. उदाहरण के लिए, राहुल रंजन का गाया और मैक्स स्टूडियो द्वारा निर्मित गाना ‘नीतीश छोड़ले साथ’ बताता है कि क्यों लालू से अलग होने का नीतीश कुमार का कदम ठीक नहीं है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

इसी तरह, छोटू छलिया के गाये ‘अचरा पसारी राबड़ी मैया’ गाने में लालू प्रसाद यादव की तारीफ और उनकी गिरफ्तारी पर दुख का इजहार है. गाने में लालू की पत्नी राबड़ी देवी को मैया यानि मां कहा गया है. इस गाने को 20 दिनों के भीतर करीब चार लाख बार देखा जा चुका है.

मोदी और भाजपा की स्तुति

भोजपुरी गाने क्षेत्रीय राजनीति तक ही सीमित नहीं हैं. हर चर्चित विषय पर गाने बन रहे हैं, जो कि यूट्यूब पर लोकप्रिय हो सकते हैं. बीएसडी भोजपुरी निर्मित और श्रेया यादव के गाये गाने ‘अबकी बार नो चौकीदार’ के बोल हैं: ‘सइकिलिया के बटन दबावे दा, फिर से अखिलेश के आबे दा’.

एक गाना हाल ही में उत्तर प्रेदश में गायक-अभिनेता ‘निरहुआ’ के भाजपा में शामिल होने पर है. ‘निरहुआ भैल गद्दार’ गाने में, जैसा कि शीर्षक से स्पष्ट है, गायक दीनू लाल यादव भाजपा से जुड़ने पर निरहुआ को कोसते हैं और उसे गद्दार करार देते हैं. पिछले दिनों पुलवामा-बालाकोट प्रकरण के बाद भारत-पाकिस्तान संबंधों पर कई गाने बनाए गए. इनमें से अधिकांश गानों में भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की जयजयकार है. इस वर्ग के गाने राष्ट्रवादी प्रकृति के हैं जिनमें अक्सर इस्लाम विरोधी पूर्वाग्रहों की अभिव्यक्ति होती है.

उदाहरण के लिए, धनंजय शर्मा के गाये गाने ‘सर्जिकल स्ट्राइक 2’ में कहा जाता है: ‘जैश के ठिकाना पर वार मोदी जी कैले बाड़े, पाकिस्तान में भारत के औकात फिर दिखौले बाड़े’. यूट्यूब पर इस गाने के कमेंट्स वाले हिस्से में भारी तादात में लोगों ने ‘जयहिंद’ लिखकर प्रतिक्रिया दी है.

फरवरी में पुलवामा में आतंकी हमले के कुछ दिनों बाद ही जारी गायक जल्लू राजा के गाने ‘पूरा पाकिस्तान जला देंगे’ में युद्धों, खून के प्यासे भारतीयों और पाकिस्तान के निराश पूर्व राष्ट्रपतियों से जुड़े दृश्यों का इस्तेमाल किया गया है. गाने में कहा गया है: ‘मांगबे जे कश्मीर, त धर के सीना फाड़ देब’. जीएसटी, तीन तलाक और नोटबंदी पर भी गाने बनाए जा चुके हैं.

हालांकि सारे गानों में भाजपा या मोदी के लिए प्यार ही नहीं झलकता है. ऐसे गानों की भी कमी नहीं जिनमें गत दिसंबर में तीन विधानसभा चुनाव हारने पर भाजपा की खिल्ली उड़ाई गई है. कुछ गाने ‘चायवाला‘ और ‘चौकीदार‘ नरेंद्र मोदी का भी मजाक उड़ाते हैं.

उद्धारक मोदी

ऐसा नहीं है कि सिर्फ भोजपुरी संगीत उद्योग में जगह बनाने के लिए तत्पर नए कलाकार ही राजनीतिक गाने गा रहे हैं, बल्कि बड़े स्टार भी ऐसा कर रहे हैं. ‘लॉलीपॉप लागेलू’ गाने वाले पवन सिंह ने पाकिस्तान से भारतीय वायुसेना के पायलट की वापसी पर केंद्रित गाने ‘अभिनंदन का अभिनंदन है’ को स्वर दिया है. यूट्यूब पर इस गाने को 82 लाख बार देखा जा चुका है.

युवा भोजपुरी गायक पवन पासवान कहते हैं, ‘हमें नहीं पता कि मोदी जी की नीतियां क्या हैं, पर हम जानते हैं कि वह इस देश का उद्धार कर सकते हैं.’ ‘यह है मेरे राम की धरती’ गाने वाले 23 वर्षीय संदीप चतुर्वेदी अयोध्या के हैं और खुद को ‘राष्ट्रवादी’ बताते हैं. उन्होंने हमसे कहा कि उनके गानों का उद्देश्य राष्ट्र और धर्म के बारे में जागरुकता फैलाना है. इंटरनेट पर उनके वीडियो का कमेंट्स वाला हिस्सा ‘जय श्रीराम’ के नारे से पटा पड़ा है और उनके प्रशंसक हिंदू राष्ट्र के विचार का समर्थन करते दिखते हैं. चतुर्वेदी दावा करते हैं कि बिहार में उनके स्टेजशो में नाममात्र के प्रचार के बावजूद आसानी से 15,000 लोगों की भीड़ जुट जाती है.

पाकिस्तानी साला’ और ‘सुन गुजराती साला’ गाने वाले युवा गायक पुष्पक राजा को यूट्यूब चैनल पर अपने गानों पर मिलने वाली प्रतिक्रियाओं को लेकर बहुत गर्व है.

राजा कहते हैं, ‘आज तक कोई भी नेता दुश्मन से मोदी की तरह बदला नहीं ले पाया था.’
वायरल हुआ एक भोजपुरी वीडियो आसानी से दस लाख व्यूज़ जुटा सकता है, पर राजा जैसे नवोदित गायकों के लिए हज़ार की संख्या में प्राप्त व्यूज़ भी बड़ी उपलब्धि हैं, जो उन्हें एक छोटे दायरे में पहचान दिलाने में सहायक साबित होते हैं.

राजनीतिक पर विवादमुक्त

पूर्वी दिल्ली के गणेश नगर की एक संकरी गली में बिना किसी खास पहचान वाला एक संगीत स्टूडियो भोजपुरी के अनेक उभरते संगीतकारों को मंच प्रदान करता है. अंबे स्टूडियो नामक इस रिकॉर्डिंग केंद्र में पांच लोग आपस में अपने आगामी गानों पर चर्चा कर रहे हैं. इस विचार सत्र में उठे मुद्दों में एक ये था कि कैसे राजनीतिक गानों को गाते हुए विवादों से बचा जाए.

बिहार के मोतिहारी जिले के 27 वर्षीय गायक प्रवीण सम्राट का भोजपुरी संगीत उद्योग में अच्छा नाम है. ‘अटल संग सोनिया फरार’ गाकर वह विवादों में घिर गए थे और उन्हें यूट्यूब से इस गाने को हटाना पड़ा था. स्टूडियो में मौजूद गायक भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी के ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान का विषय चुनते हैं. ‘यार चौकीदार’, ‘प्यार चौकीदार’ और ‘चौकीदार दिलदार’ जैसे विकल्पों पर विचार-विमर्श के बाद सम्राट ‘मेरा बलमा चौकीदार है’ गाने का फैसला करते हैं. बाकी संगीतकार इस पर मुस्कुराते है.

अंबे स्टूडियो के मालिक विकास को भोजपुरी संगीत उद्योग में राजनीतिक विषयों की लोकप्रियता का अहसास है. वह कहते हैं, ‘आजकल राजनीतिक चरम पर है, इसलिए संगीत उद्योग में राजनीति विषयक गानों की भरमार है.’
और श्रोताओं को इस पर कोई आपत्ति नहीं है.

(रजत मिश्र और मिदहत फातिमा स्वतंत्र पत्रकार हैं. यहां व्यक्त विचार उनके निजी विचार हैं.)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments