नई दिल्ली: उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार ने राज्य में “अवैध” धार्मिक संरचनाओं और वन भूमि के अतिक्रमण पर अपनी कार्रवाई तेज कर दी है.
राज्य के एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने गुरुवार को दिप्रिंट को बताया कि “इस साल मई से लेकर अब तक, 465 मजार (मकबरे), 45 मंदिर और 2 गुरुद्वारा को वनभूमि से हटाया गया है.”
जबकि विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश बताकर इस अभियान की आलोचना की है. हालांकि, बीजेपी ने इस बात से इनकार किया है कि इसमें कोई “धार्मिक एंगल” है, और कहा है कि यह अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए चलाया जा रहा है.
राज्य वन विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, 11,814 हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण किया गया है.
राज्य सरकार के सूत्रों ने कहा कि पिछले साल मई में धामी के दूसरी बार सीएम पद की शपथ लेने के तुरंत बाद, उन्होंने वन विभाग को वन भूमि पर बने अनधिकृत मजारों, मस्जिदों, मंदिरों और चर्चों की पहचान करने का आदेश दिया था. इसे हटाने का अभियान आख़िरकार इस साल मई में शुरू हुआ.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, “अतिक्रमण हटाने के अभियान के दौरान 2,508 एकड़ वन भूमि से अतिक्रमण हटाया गया. यह कार्रवाई प्रभागीय वन अधिकारियों द्वारा की गई. सबसे अधिक अतिक्रमण देहरादून, नैनीताल, हरिद्वार और उधम सिंह नगर जिलों से हटाया गया है.”
मुख्य वन संरक्षक और अतिक्रमण विरोधी अभियान के नोडल अधिकारी डॉ पराग मधुकर धकाते ने दिप्रिंट को बताया कि उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार वन भूमि और अन्य राज्य भूमि दोनों पर अतिक्रमण हटाने के उपाय किए गए हैं.
उन्होंने गुरुवार को दिप्रिंट से कहा, “कानूनी प्रावधानों के अनुसार धार्मिक संरचनाओं, दुकानों, भोजनालयों, खेतों और आवासों जैसे गैरकानूनी अतिक्रमणों को हटाने के लिए कार्रवाई की गई है. यह देखते हुए कि राज्य का पर्यावरण और अर्थव्यवस्था इसके वन क्षेत्रों के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं. इन मूल्यवान प्राकृतिक पार्सल की सुरक्षा और संरक्षण करना महत्वपूर्ण हो जाता है.”
उन्होंने कहा, “वक्फ बोर्ड द्वारा उल्लिखित/अधिसूचित मजारों को छुआ भी नहीं गया है. केवल अवैध धार्मिक संरचनाओं को हटाया गया है, चाहे वे किसी भी धर्म के हों. यह बिल्कुल भी राजनीतिक कार्रवाई नहीं है. जिला वन अधिकारियों ने संबंधित व्यक्तियों को पहले ही नोटिस दिया था. कुछ मजार प्रबंधकों ने इसको लेकर अधिकारियों को अपनी राय भी दी थी.”
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‘मजार जिहाद’
इस साल अप्रैल में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हिंदी मुखपत्र पांचजन्य के साथ एक इंटरव्यू में धामी ने दावा किया था कि मजारों से “असामाजिक तत्व निकलते हैं” और उनकी सरकार ऐसी संरचनाओं के खिलाफ “कड़ी कार्रवाई” करेगी.
उन्होंने कहा, “यह सच है कि 1,000 से अधिक ऐसी मजारें वन भूमि पर बनाई गई हैं. ये मजारें पीर बाबाओं की नहीं हैं, बल्कि मजार जिहाद का हिस्सा हैं और इनसे असामाजिक तत्व निकलते हैं. हम यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि किस अधिकारी के कार्यकाल में ये अनधिकृत मजारें बनीं.”
मई में जब अभियान शुरू हुआ और उत्तराखंड में जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क के आसपास स्थित ‘थपली बाबा’ मजार के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई, तो वहां विरोध में लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई. हालांकि, वन अधिकारियों ने आरोप लगाया कि यह अवैध रूप से वन भूमि पर बनाया गया था और इसलिए इसे तोड़ दिया गया.
विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले उत्तराखंड में अतिक्रमण विरोधी अभियान को “ध्रुवीकरण की कोशिश” करार दिया है. हालांकि, बीजेपी ने इस आरोप से इनकार किया है. कांग्रेस ने भी इस अभियान को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लाने के कदम की एक कोशिश के रूप में वर्णित किया है.
गुरुवार को दिप्रिंट से बात करते हुए, उत्तराखंड कांग्रेस की प्रवक्ता सुजाता पॉल ने कहा: “मूल रूप से, यह समाज में ध्रुवीकरण लाने के लिए किया जा रहा है. यह राज्य में यूसीसी लाने का एक पहला कदम है. वे हमेशा चुनाव से पहले हिंदू-मुस्लिम नाटक करते हैं. अतिक्रमण हटाना तो ठीक है, लेकिन समाज में दरार पैदा करने के लिए एक खास समुदाय को निशाना बनाना स्वीकार्य नहीं है.”
आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए, बीजेपी प्रवक्ता मनवीर सिंह ने कहा: “हमारे राज्य में, धामीजी देव भूमि (देवताओं की भूमि) की पवित्रता बनाए रखने के लिए कई कदम उठा रहे हैं. अवैध अतिक्रमण हटाना उसी का हिस्सा है.”
उन्होंने कहा, “मज़ारों सहित (अवैध) संरचनाओं को हटाने का अभियान बिना किसी भेदभाव के चलाया गया है. इसमें कोई धार्मिक एंगल नहीं है. कार्रवाई पहले ही की जा चुकी है और आने वाले दिनों में इस तरह की और कवायदें की जाएंगी.”
(संपादन: ऋषभ राज)
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