नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय मासिक धर्म स्वच्छता नीति तैयार करने पर काम कर रहा है, जिसका मकसद सुरक्षित और स्वच्छ मासिक धर्म उत्पादों तक पहुंच सुनिश्चित करना, स्वच्छता सुविधाओं में सुधार करना, सामाजिक वर्जनाओं से निपटना और एक बेहतर माहौल को बढ़ावा देना है.
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि इन उपायों के माध्यम से बाधाओं को दूर करना, झिझक खत्म करना और एक ऐसा समाज तैयार करने की कोशिश करना है, जिसमें मासिक धर्म स्वच्छता को प्राथमिकता दी जाए और लैंगिक समानता, शिक्षा व समग्र विकास को बढ़ावा मिले.
सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि विभिन्न हितधारकों के साथ एक राष्ट्रीय परामर्श आयोजित किया गया और व्यक्तिगत रूप से जानकारी एकत्र की गई.
एक सूत्र ने कहा, “इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मासिक धर्म से गुजरने वाली सभी महिलाएं सुरक्षित, स्वस्थ और झिझक से मुक्त तरीके से मासिक धर्म का सामना कर सकें.”
सूत्र ने कहा कि मासिक धर्म को लेकर समय के साथ जागरूकता बढ़ी है, लेकिन महिलाओं की विविध आवश्यकताओं को व्यापक रूप से पूरा करने के लिए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है.
सूत्र ने कहा कि भारत की विशाल और विविधता भरी आबादी को देखते हुए देश को एक व्यापक मासिक धर्म स्वच्छता नीति तैयार करने की ज़रूरत है.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार, 15-24 आयु वर्ग की 78 प्रतिशत महिलाएं अपने मासिक धर्म चक्र के दौरान स्वच्छ तरीका अपनाती हैं. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 की तुलना में इसमें 58 प्रतिशत से वृद्धि देखी गई है.
नवीनतम सर्वेक्षण के अनुसार, इनमें से 64 प्रतिशत महिलाएं सैनिटरी नैपकिन, 50 प्रतिशत कपड़े, और 15 प्रतिशत स्थानीय रूप से तैयार नैपकिन का उपयोग करती हैं.
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