नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर की उन दो महिलाओं की याचिका सुनवाई की जिन्हें एक वीडियो में कुछ लोगों द्वारा निर्वस्त्र करके परेड कराते हुए देखा गया था. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सवाल किया कि राज्य में मई महीने से इस तरह की घटनाओं के मामले में कितनी प्राथमिकी दर्ज की गयी हैं?
वहीं सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि, “यह वीडियो सामने आया लेकिन यह एकमात्र घटना नहीं है जहां महिलाओं के साथ मारपीट या उत्पीड़न किया गया है. यह कोई अकेली घटना नहीं है. हमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा के व्यापक मुद्दे को देखने के लिए एक तंत्र भी बनाना होगा.”
मणिपुर वायरल वीडियो मामला | सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ का कहना है कि यह वीडियो सामने आया लेकिन यह एकमात्र घटना नहीं है जहां महिलाओं के साथ मारपीट या उत्पीड़न किया गया है। यह कोई अकेली घटना नहीं है। हमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा के व्यापक मुद्दे को देखने के लिए एक तंत्र भी बनाना होगा।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 31, 2023
मणिपुर हिंसा से संबंधित याचिकाओं पर प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ सुनवाई कर रही है.
केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि यदि शीर्ष अदालत मणिपुर हिंसा के मामले में जांच की निगरानी करती है तो केंद्र को कोई आपत्ति नहीं है.
जब मामला सुनवाई के लिए आया तो वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने उन दो महिलाओं की ओर से पक्ष रखा जिन्हें चार मई के एक वीडियो में कुछ लोगों द्वारा निर्वस्त्र करके उनकी परेड कराते हुए देखा गया था. सिब्बल ने कहा कि उन्होंने मामले में एक याचिका दायर की है. उनका कहना है कि, महिलाएं मामले की CBI जांच और मामले को असम स्थानांतरित करने के खिलाफ हैं.
मणिपुर वायरल वीडियो मामला | मणिपुर की 2 पीड़ित महिलाओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल का कहना है कि महिलाएं मामले की CBI जांच और मामले को असम स्थानांतरित करने के खिलाफ हैं।
सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि हमने कभी भी मुकदमे को असम स्थानांतरित… pic.twitter.com/iZRAWpsSyC
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मामले में सुनवाई चल रही है.
शीर्ष अदालत ने 20 जुलाई को कहा था कि वह हिंसाग्रस्त मणिपुर की इस घटना से बहुत दुखी है और हिंसा के लिए औजार के रूप में महिलाओं का इस्तेमाल करना एक संवैधानिक लोकतंत्र में पूरी तरह अस्वीकार्य है.
प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने वीडियो पर संज्ञान लेने के बाद केंद्र और मणिपुर सरकार को निर्देश दिया था कि तत्काल उपचारात्मक, पुनर्वास और रोकथाम संबंधी कदम उठाये जाएं और उसे कार्रवाई से अवगत कराया जाए.
मणिपुर में 4 मई की घटना का यह वीडियो सामने आने के बाद राज्य में तनाव पैदा हो गया था.
केंद्र ने 27 जुलाई को शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि उसने मणिपुर में दो महिलाओं की निर्वस्त्र परेड से संबंधित मामले में जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी है. केंद्र ने कहा था कि महिलाओं के खिलाफ किसी भी अपराध के मामले में सरकार कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति रखती है.
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
(भाषा के इनपुट्स के साथ)
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