नई दिल्ली: मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि डॉक्टर, चिकित्सा व्यवस्था की आत्मा हैं. अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों जैसी चिकित्सा अधो-संरचना का संचालन चिकित्सकों से ही संभव है. उनकी उपस्थिति और सक्रियता से ही कोई स्थान निरोगधाम बन जाता है. डॉक्टर का कार्य का एक मिशन के समान है. वे मरीज का दर्द दूर करने में अपने दिन-रात खपा देते हैं. उनके द्वारा किये गये अथक परिश्रम से ही वे भगवान के समान दर्जा पाते हैं.
मुख्यमंत्री श्री चौहान निवास कार्यालय स्थित समत्व भवन में मेडिकल कॉलेज सतना के नव-नियुक्त चिकित्सा शिक्षकों को नियुक्ति-पत्र प्रदान कर संवाद कर रहे थे. अपर मुख्य सचिव चिकित्सा श्री मोहम्मद सुलेमान तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित थे. मुख्यमंत्री श्री चौहान ने 35 नव नियुक्त चिकित्सा शिक्षकों को नियुक्ति पत्र प्रदान किए.
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हमारी संस्कृति में निरोगी काया को उत्तम सुख माना गया है. लोग स्वस्थ्य रहें, इसमें चिकित्सकों की महत्वपूर्ण भूमिका है. नव नियुक्त चिकित्सा शिक्षक, लोगों को स्वस्थ भी करेंगे और शिक्षा देने का कार्य भी करेंगे. आप सब प्रदेश के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. इसलिये दायित्व ग्रहण करने से पहले आपको संवाद के लिए आमंत्रित किया गया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में चिकित्सा संस्थानों का लगातार विस्तार हो रहा है. वर्ष 1965 के बाद प्रदेश में मेडिकल कॉलेज वर्ष 2006 में सागर में आरंभ किया गया. प्रदेश में जनसंख्या के अनुपात में डॉक्टरों की संख्या बहुत कम है. प्रदेश में चिकित्सा अधो-संरचना के विस्तार के साथ चिकित्सकों की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है. दवाओं और उपकरणों की पर्याप्त व्यवस्था उपलब्ध है. शासकीय चिकित्सा व्यवस्था लगातार उन्नत हो रही है. मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि हमने तय किया है कि प्रदेश में मेडिकल की पढा़ई में भाषा को बाधा नहीं बनने देंगे, जो विद्यार्थी हिन्दी माध्यम से मेडिकल की पढ़ाई करना चाहते हैं, वे हिन्दी में अध्ययन कर सकते हैं.
चिकित्सा शिक्षकों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की
चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री विश्वास सारंग ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान के नेतृत्व में प्रदेश स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में उत्तरोत्तर प्रगति कर रहा है. मुख्यमंत्री श्री चौहान ने जब पदभार ग्रहण किया था, तब प्रदेश में केवल 5 चिकित्सा महाविद्यालय थे, जो अब बढ़ कर 14 हो गए हैं. प्रदेश में 12 प्रायवेट मेडिकल कॉलेज हैं और लगभग 10 मेडिकल कॉलेज प्रक्रिया में है. श्री सारंग ने नव नियुक्त चिकित्सा शिक्षकों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की.
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