scorecardresearch
Thursday, 21 November, 2024
होमदेश2022-23 में 19 वेटलैंड्स घोषित हुए रामसर साइट, मोदी सरकार ने इनके रखरखाव पर संसद में क्या कहा

2022-23 में 19 वेटलैंड्स घोषित हुए रामसर साइट, मोदी सरकार ने इनके रखरखाव पर संसद में क्या कहा

मोदी सरकार ने संसद में बताया कि रामसर साइट अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है और विशेषज्ञों की सलाह और नवीनतम जानकारी तक पहुंच आसान बनाता है.

Text Size:

नई दिल्ली: भारत में पिछले साल के भीतर 19 वेटलैंड्स को रामसर साइट के तौर पर चिन्हित किया है. पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने गुरुवार को राज्य सभा में यह जानकारी दी.

राज्य सभा सांसद सुरेंद्र सिंह नागर के सवाल के जवाब में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि 2022-23 में वेटलैंड्स को लेकर रामसर कन्वेंशन के अंतर्गत 19 वेटलैंड्स को नामित किया गया है.

पिछले एक साल में सबसे ज्यादा सात रामसर साइट्स तमिलनाडु में नामित किया गया है. उसके बाद कर्नाटक में 5, मध्य प्रदेश में 3, महाराष्ट्र, गोवा और जम्मू-कश्मीर में एक-एक वेटलैंड्स को रामसर साइट्स घोषित किया गया है.

पश्चिम बंगाल में सुंदरबन भारत का सबसे बड़ा रामसर साइट है. लेकिन रामसर साइट का एक स्याह पक्ष भी है. पाया गया है कि वेटलैंड एरिया में अवैध ढंग से पक्षियों की तस्करी की जाती है और इन इलाकों में काफी अतिक्रमण भी हुआ है. बिहार का काबर झील इसका उदाहरण है.

रामसर साइट्स घोषित होने वाले वेटलैंड्स में सिरपुर वेटलैंड, साख्य सागर, यशवंत सागर, गल्फ ऑफ मन्नार,वदुवुर बर्ड सेंचुरी, नंदा लेक शामिल है. पूरी दुनिया में रामसर साइट्स की संख्या के मामले में भारत का पांचवा स्थान है.

वेटलैंड्स पर रामसर कन्वेंशन वेटलैंड्स को “दलदल, फेन, पीट भूमि या पानी के क्षेत्र, चाहे प्राकृतिक या कृत्रिम, स्थायी या अस्थायी, स्थिर या बहने वाला, ताजा, खारा या नमक वाला क्षेत्र” के रूप में परिभाषित करता है.

12 जुलाई को मध्य प्रदेश सरकार ने चंबल अभयारण्य के खातियार गिर ईको रीजन वेटलैंड को रामसर साइट में शामिल करने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया. वहीं पटना में हाल ही में हुई बैठक में तय किया गया कि बिहार चार वेटलैंड को रामसर साइट में शामिल कराने पर जोर देगी.

1981 से लेकर अब तक भारत ने 75 रामसर साइट घोषित किए हैं जिसका कुल क्षेत्र 13,26,678 हेक्टेयर है. अहमदाबाद के स्पेस एप्लिकेशंस सेंटर, इसरो द्वारा प्रकाशित “नेशनल वेटलैंड डेकेडल चेंज एटलस, 2017 के अनुसार कुल आर्द्रभूमि क्षेत्र अनुमानित 15.98 मिलियन हेक्टेयर है जिसमें नदियां भी शामिल हैं लेकिन धान के खेत क्षेत्र इसमें शामिल नहीं है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 4.86% है.

मोदी सरकार ने संसद में बताया कि रामसर साइट अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है और विशेषज्ञों की सलाह और नवीनतम जानकारी तक पहुंच आसान बनाता है. साथ ही वेटलैंड्स के सही तरह से उपयोग करने का मौका देता है.

1971 में ईरान के रामसर में इंटरनेशनल वेटलेंड संधि हुई थी. इसलिए इसे रामसर साइट कहा जाता है.


यह भी पढ़ें: PM मोदी की पसंदीदा बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को शिंदे सरकार का झटका, 3 जिलों में वन भूमि के लिए रूट डाइवर्ट


वेटलैंड्स का कैसे रखरखाव कर रही है सरकार

राज्य सभा में रामसर साइट्स को लेकर एक और सवाल दीपक प्रकाश ने पूछा जिसमें उन्होंने भारत में रामसर साइट के देखभाल, संरक्षण और विश्व में भारत की स्थिति का ब्योरा मांगा.

केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि पर्यावरण, वन और जलवायु मंत्रालय वेटलैंड्स के संरक्षण और प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार की नेशनल प्लान फॉर कंजर्वेशन ऑफ एक्वेटिक इको-सिस्टम्स (एनपीसीए) योजना चला रहा है. इस योजना में केंद्र और राज्य सरकार दोनों पैसा देती है.

सरकार ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय ने वेटलैंड्स (कंजर्वेशन एंड मैनेजमेंट) रुल्स, 2017 भी बनाया था जो देश के सभी रामसर साइट्स पर लागू होता है. इसके तहत राज्य और केंद्र-शासित प्रदेश में वेटलैंड प्रशासन का भी गठन किया गया है और राज्यों में यही प्रशासन रामसर साइट के संरक्षण का काम देखती है.

चौबे ने अपने जवाब में कहा, “रामसर साइट्स की महत्ता को समझते हुए भारत सरकार ने इस साल की बजट घोषणा में अमृत धरोहर शुरू की. अमृत ​​धरोहर का कार्यान्वयन विशेष रूप से रामसर साइट्स पर केंद्रित है.”


यह भी पढ़ें: ‘अगर UCC राज्य में लागू हुआ तो NDA में नहीं रहेंगे’, मिजोरम के CM ज़ोरमथांगा की BJP को चेतावनी


 

share & View comments