नई दिल्ली: भाजपा के सहयोगी नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के एकमात्र लोकसभा सांसद लोरहो एस फ़ोज़ का कहना है कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने लोगों का विश्वास खो दिया है और उनके नेतृत्व में चल रही हिंसा का समाधान संभव नहीं है. .
दिप्रिंट को दिए एक साक्षात्कार में, बाहरी मणिपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले फ़ोज़ ने कहा कि मणिपुर में स्थिति बहुत गंभीर है और उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि केंद्र राज्य में शांति लाने में क्यों विफल रहा है.
बीरेन सिंह सरकार में एनपीएफ भी गठबंधन में है, जिसके दो पार्टी सदस्य – एनपीएफ प्रमुख अवांगबो न्यूमाई और खाशिम वाशुम – राज्य में मंत्री के रूप में कार्यरत हैं. यह भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के पूर्वोत्तर-केंद्रित गठबंधन एनईडीए का हिस्सा है.
फ़ोज़े की टिप्पणियां मणिपुर में कुकी-मैतेई हिंसा पर एक भीड़ द्वारा दो महिलाओं को नग्न घुमाए जाने के वायरल वीडियो के बाद राज्य में एकबार फिर फैले सार्वजनिक आक्रोश के बाद सामने आई है. बता दें कि मणिपुर में हिंसा लगभग तीन महीने से जारी है, इसमें 150 से अधिक लोगों की जान गई है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं.
सीएम बीरेन सिंह मैतेई समुदाय का हिस्सा हैं, जो मणिपुर में बहुसंख्यक है. इस बीच, एनपीएफ आदिवासी नागाओं का प्रतिनिधित्व करता है, जो कुकी के बाद मणिपुर में तीसरा सबसे बड़ा जनसांख्यिकीय समूह है, जो आदिवासी भी हैं.
कई मुद्दों पर दोनों पक्षों में गहरे अविश्वास के कारण जातीय झड़पें, मैतेई लोगों की अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग पर ताजा संघर्ष के बीच शुरू हुई.
फ़ोज़ ने कहा, “ऐसा माना जाने लगा है कि बीरेन सिंह सरकार अन्य समुदायों के प्रति न्यूट्रल नहीं है और इससे मणिपुर में गुस्सा जारी है.” सांसद ने कहा कि राज्य में वैकल्पिक नेतृत्व की जरूरत है.”
उन्होंने कहा, ” मणिपुर में समस्या के शुरू होने से पहले तक राज्य तेजी से विकास, समृद्धि की ओर बढ़ रहा था.”
उन्होंने कहा, “अचानक, एक दिन, यह शुरू हुआ और राज्य 10-15 साल पीछे चला गया.”
फ़ोज़ ने कहा, “मणिपुर को बेहतरीन निवेश किए जाने वाले राज्य के रूप में देखा जा रहा था लेकिन इस हिंसा के बाद लोगों की आशा टूट गई है… लोग मणिपुर की यात्रा करने से डर रहे हैं. जब तक वे सख्त कदम नहीं उठाते, जब तक वे [अपराधियों] को सलाखों के पीछे नहीं डालते, चीजें आगे नहीं बढ़ेंगी.
‘समय-समय पर घटीं बेहद घिनौनी घटनाएं’
मणिपुर की मौजूदा स्थिति के बारे में पूछे जाने पर फ़ोज़ ने कहा कि मई में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की चार दिवसीय यात्रा के बाद सुधार की उम्मीद लगाई गई थी.
उन्होंने कहा, “कुछ समय शांति का दौर रहा भी, लेकिन उसके बाद स्थिति फिर से बिगड़ गई और यह ऐसे ही चल रहा है.”
उन्होंने आगे कहा, “समय-समय पर बहुत ही विभत्स घटनाएं यहां हो रहीं हैं. आगजनी अभी भी जारी है, हत्याएं अभी भी जारी हैं… यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य हिंसा को रोकने में असमर्थ है.”
फ़ोज़ ने कहा, हिंसा करने वाले लोग “बड़े पैमाने पर हैं, ख़ासकर जिनके पास अत्याधुनिक हथियार हैं”. “वे समुदाय के बीच बहुत आतंक और भय पैदा कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद थी कि गृह मंत्री के दौरे से कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार होगा, यहां तक कि धारा 355 भी लगाई जानी थी, लेकिन यह प्रभावी नहीं रही.”
भीड़ नियंत्रण से बाहर है, उन्होंने कहा, सच्चाई यह है कि “सरकार स्वयं [स्थिति] को नियंत्रित करने में असमर्थ है, जिससे लोगों में बहुत गुस्सा है.”
इस सवाल पर कि सरकार शांति लाने में क्यों विफल रही, एनपीएफ सांसद ने इसके “इरादे” का मुद्दा उठाया.
“यह समझना बहुत कठिन है कि यह विफल क्यों हुआ. मुझे लगता है, कुछ हद तक, कई लोगों को संदेह है कि सरकार ऐसा होने दे रही है, मुझे नहीं पता किस कारण से.”
फ़ोज़ ने कुकियों के बीच बीरेन सिंह के प्रति अविश्वास की बात करते हुए कहा कि ऐसी भावना है कि सरकार एक समुदाय का पक्ष ले रही है.
“कुकी समुदाय ने उन पर पूरी तरह से भरोसा खो दिया है. यहां तक कि कुकी समुदाय के 10 विधायकों ने भी एक ज्ञापन सौंपकर एक अलग प्रशासन का आग्रह किया है जो राज्य सरकार को खत्म करने का आह्वान करता है,” उन्होंने कहा. “जब ऐसी चीजें हो रही हैं, अगर वह अभी भी मामलों के शीर्ष पर हैं, तो मुझे नहीं लगता कि चीजें बेहतर होंगी. शांति का कोई भी आह्वान काम नहीं कर रहा है.”
समाधान के रूप में, एनपीएफ सांसद ने “तुरंत एक ऐसी सरकार स्थापित करने का सुझाव दिया जिस पर लोगों का भरोसा हो”.
“जब तक हमें लोगों का भरोसा नहीं होगा…और लोगों का विश्वास नहीं होगा…चीजें काम नहीं करेंगी. यह सारे काम केंद्र पर निर्भर हैं और केंद्र को फैसला लेना है.
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इस्तीफा “मंच-संचालित नाटक”
फ़ोज़ ने कहा कि वह “यह समझ नहीं पा रहे हैं कि क्यों केंद्र बीरेन सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने को तैयार क्यों नहीं है”, उन्होंने कहा कि कई लोगों ने सीएम के इस्तीफे की पेशकश को “मंच-संचालित नाटक” के रूप में देखा.
वह बीरेन सिंह की जून में इस्तीफा देने की कथित योजना का जिक्र कर रहे थे, जिसके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने समर्थन दिखाने और मंत्रियों द्वारा अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के अनुरोध के बाद इसे रद्द कर दिया था.
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि केंद्र थोड़ा इंतजार कर रहा होगा और निरीक्षण कर रहा होगा…” उन्होंने कहा कि अन्य “समुदाय जो हिंसा के प्रति तटस्थ रहे हैं (नागाओं सहित) भी बहुत असहज महसूस करने लगे हैं”.
उन्होंने कहा कि बीरेन सिंह सरकार को लेकर मौजूदा स्थिति ने एनपीएफ को दुविधा में डाल दिया है.
जब उनसे पूछा गया कि क्या एनपीएफ ने राज्य सरकार पर विश्वास खो दिया है, तो उन्होंने कहा, “जब हमारी सरकार के साथ ऐसी चीजें हो रही हैं, तो निश्चित रूप से हम भी प्रभावित होंगे.”
उन्होंने कहा, “एक ओर, हमें शांति, विकास और आगे बढ़ने की जरूरत है, दूसरी ओर, हम लोगों का भरोसा खो रहे हैं.’ हम इसी दुविधा में हैं.” इस बातचीत में उन्होंने आगे कहा,. “हमारा भरोसा बीरेन सिंह पर नहीं है, लेकिन हमें केंद्र के नेतृत्व पर भरोसा है. हमें उम्मीद है कि केंद्र कुछ ऐसा करेगा जिससे हमें लोगों का विश्वास फिर से हासिल करने में मदद मिलेगी.
यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी भावनाओं से केंद्र सरकार को अवगत कराया गया है, उन्होंने कहा कि उन्होंने गृह मंत्री और भाजपा के विभिन्न नेताओं से संपर्क किया है.
“हमने पहले ही बताया है कि क्या आवश्यक है. कुछ तो करना ही होगा, मणिपुर पर समीक्षा की जरूरत है.”
(अनुवाद/संपादन: पूजा मेहरोत्रा)
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