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Friday, 15 November, 2024
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बेंगलुरु में होने वाली बैठक से पहले विपक्षी दलों को बड़ा झटका, शरद पवार नहीं लेंगे हिस्सा

कांग्रेस द्वारा आयोजित बैठक की पूर्व संध्या पर पार्टी ने स्पष्ट किया कि वह संसद में दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश का विरोध करेगी.

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नई दिल्ली: कांग्रेस ने सोमवार को होने वाली यानि आज से कर्नाटक के बेंगलुरु में शुरू होने वाली दूसरी विपक्षी एकता बैठक के लिए कुल 25 पार्टियों से समर्थन जुटाया. जहां वे 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने के लिए अपनी रणनीति तैयार करेंगे. सूत्रों ने यह जानकारी दी.

वहीं दूसरी तरफ एनसीपी प्रमुख शरद पवार बेंगलुरु में संयुक्त विपक्ष की बैठक में भाग नहीं लेंगे, शरद पवार एनसीपी गुट के प्रवक्ता ने इस बात की पुष्टि की.

सूत्रों के मुताबिक, नेताओं के एक संयुक्त घोषणापत्र जारी करने को लेकर चर्चा करने और अधिकांश लोकसभा सीट पर साझा विपक्षी उम्मीदवारों को खड़ा करने के अपने प्रस्ताव पर आगे बढ़ने की संभावना है.

उन्होंने कहा कि सोमवार को रात्रिभोज से पहले चर्चा कर वार्ता के एजेंडे को अंतिम रूप दिया जाएगा.

सूत्रों ने कहा कि 2024 के आम चुनावों के मद्देनजर विपक्षी गठबंधन के लिए एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम और संचार बिंदुओं का मसौदा तैयार करने के लिए एक उपसमिति गठित करने का प्रस्ताव है.

सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा, दलों के संयुक्त कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक उपसमिति गठित करने की भी योजना है, जो रैलियां, सम्मेलन और आंदोलन की रूपरेखा तैयार करेगी.

सूत्रों ने कहा कि राज्य-दर-राज्य आधार पर सीट बंटवारे को तय करने की प्रक्रिया पर भी चर्चा हो सकती है. उन्होंने कहा कि विपक्षी नेता ईवीएम के मुद्दे पर भी चर्चा कर सकते हैं और निर्वाचन आयोग को सुधारों का सुझाव दे सकते हैं.

विपक्षी नेता गठबंधन के लिए एक नाम सुझाने की भी योजना बना रहे हैं.

कांग्रेस द्वारा आयोजित बैठक की पूर्व संध्या पर पार्टी ने स्पष्ट किया कि वह संसद में दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश का विरोध करेगी. आम आदमी पार्टी ने शर्त रखी थी कि कांग्रेस द्वारा संसद में अध्यादेश का विरोध करने की सूरत में ही वह विपक्षी दलों की बैठक में भाग लेगी.

पटना में 23 जून को हुई विपक्षी दलों की पहली बैठक में 15 दलों ने भाग लिया था.

एक सूत्र ने कहा, ‘‘इस बार हम 26 दलों के नेताओं के बैठक में शामिल होने की उम्मीद कर रहे हैं.’’

विपक्ष की यह बैठक शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में विभाजन और पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में व्यापक पैमाने पर हुई हिंसा के बीच हो रही है, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई.

बंगाल में हुई चुनावी हिंसा को लेकर कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई और वाम दलों ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की आलोचना की है.

सूत्रों ने कहा कि विपक्षी दल भाजपा की नीतियों के खिलाफ देश भर में एक संयुक्त आंदोलन की योजना बनाएंगे. उन्होंने कहा कि खासकर महाराष्ट्र में राकांपा के विभाजन के बाद रणनीति पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.

सूत्रों ने कहा कि विपक्षी नेता भाजपा से मुकाबला करने के लिए विपक्षी एकता को मजबूत करने के कदमों की घोषणा करेंगे और ‘‘विपक्षी सरकारों को गिराने और राज्यपालों के माध्यम से गैर-भाजपा शासित राज्यों पर नियंत्रण करने के भाजपा के प्रयासों को उजागर करेंगे.’’

शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा, ‘‘यह एक निर्णायक बैठक होगी. कई मुद्दों पर चर्चा की जाएगी.’’

भाकपा महासचिव डी. राजा ने कहा कि दो दिवसीय सत्र भाजपा को हराने के लिए विपक्ष के संयुक्त संकल्प को दर्शाएगा.

राजा ने कहा, ‘‘बेंगलुरु बैठक भाजपा को हराने और देश एवं लोकतंत्र को बचाने के लिए धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक पार्टियों को एकजुट करने की दिशा में एक और कदम होगी.’’

इस बार बैठक में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी के भी शामिल होने की संभावना है.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी, राकांपा सुप्रीमो शरद पवार, टीएमसी प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के मुख्यमंत्री एवं जद(यू) नेता नीतीश कुमार, द्रमुक नेता एवं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन, झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता एवं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और आम आदमी पार्टी के नेता एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बैठक में शामिल हो सकते हैं.

दो दिवसीय सत्र की शुरुआत कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया द्वारा आयोजित रात्रिभोज के साथ होगी और मंगलवार को एक और औपचारिक बैठक होगी.


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