नई दिल्ली: फ्रांस की राजधानी पेरिस में प्रतिबंध के बावजूद 1000 से अधिक प्रदर्शनकारी राजधानी पेरिस में इकट्ठा हुए. एक शोक कार्यक्रम के लिए शहर में इकट्ठा होने के लोगों को एक अश्वेत व्यक्ति अदामा ट्राओरे के परिवार ने मनाया था, जिनकी साल 2016 में पुलिस की हिरासत में ठीक उसी तरह मौत हो गई थी जिस तरह अमेरिका में जार्ज फ्लॉयड की मौत पुलिस हिरासत में हुई थी. ट्राओरे की बहन ने इस मार्च का नेतृत्व किया और लोगों को अधिक से अधिक संख्या में मार्च में शामिल होने का आमंत्रण दिया था.
इसके साथ ही नस्ल या जात को आधार मानकर किसी शख्स पर अपराध के लिए संदेह करने और पुलिस की बर्बरता का विरोध करने के लिए पूरे फ्रांस में दर्जनों मार्च आयोजित किए गए.
ट्राओरे की बहन ने कहा, “सरकार ने आग में घी डालने का काम किया है. सरकार मेरे भाई का सम्मान नहीं कर रही है. मृतको को भी जीने का अधिकार है.”
बता दें कि राजधानी पेरिस में किसी भी प्रकार के प्रर्दशन पर सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है.
27 जून को एक फ्रांसीसी पुलिस अधिकारी द्वारा नाहेल एम नाम के युवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. नाहेल एम मोरक्कन और अल्जीरियाई मूल का एक किशोर था जो बिना लाइसेंस के स्पोर्ट्स कार चला रहा था. पुलिस ने सिगन्ल पर जब उसे रोकना चाहा तो वह तेज गाड़ी भगाने लगा जिसके बाद पुलिस ने उसपर गोली चला दी. नाहेल एम की हत्या के बाद पूरे देश में विरोध प्रदर्शन होने लगे.
नाहेल एम की मौत के बाद पेरिस उपनगर में हिंसा भड़क गई जो पूरे देश में फैल गई. हालांकि, हिंसा के बाद देश के नागरिकों को ओर राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से आपात स्थिति की घोषणा करने की मांग की, लेकिन मांग को ठुकरा दिया गया. साल 2005 में इसी तरह की परिस्थितियों में इस विकल्प का इस्तेमाल किया गया था लेकिन सरकार छुट्टी पर गए अधिकारियों को बुलाने के साथ सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने पर जोर दे रही है.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, नाहेल की मौत के बाद से हो रहे विरोध प्रदर्शनों के सिलसिले में कम से कम 1,160 नाबालिगों सहित 3,700 से अधिक लोगों को पुलिस हिरासत में लिया गया है.
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