नई दिल्ली: गुजरात हाई कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बड़ा झटका देते हुए उनकी उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने ‘‘मोदी सरनेम वाली टिप्पणी’’ को लेकर आपराधिक मानहानि मामले में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने का अनुरोध किया था.
हाई कोर्ट ने गुरुवार को जारी सूची के अनुसार, न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक की अदालत में शुक्रवार सुबह 11 बजे फैसला सुनाया गया. कोर्ट ने राहुल गांधी की दो साल की सज़ा को बरकरार रखा है.
गुजरात हाई कोर्ट ने कहा, ‘‘ट्रायल कोर्ट का दोषी ठहराने का आदेश उचित है, उक्त आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई ज़रूरत नहीं है, इसलिए आवेदन खारिज किया जाता है.’’
कोर्ट ने आगे कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ कम से कम 10 आपराधिक मामले लंबित हैं.
इस बीच, कांग्रेस नेताओं ने गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है.
अगर उनकी दोषसिद्धि पर रोक लग जाती तो, गांधी की संसद सदस्यता बहाल होने का मार्ग प्रशस्त हो सकता था.
राहुल गांधी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे या संसद सदस्य (सांसद) के रूप में अपनी स्थिति के निलंबन को रद्द करने की मांग नहीं कर पाएंगे. हालांकि, वे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं.
न्यायमूर्ति प्रच्छक ने मई में राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि वे ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद अंतिम आदेश पारित करेंगे.
राहुल गांधी के वकील ने 29 अप्रैल को सुनवाई के दौरान गुजरात हाई कोर्ट में तर्क दिया था कि जमानती एवं गैर-संज्ञेय अपराध के लिए अधिकतम दो साल की सज़ा का मतलब है कि उनके मुवक्किल अपनी लोकसभा सीट खो सकते हैं.
गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर 2019 के मामले में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सज़ा सुनाई थी.
फैसले के बाद गांधी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. राहुल गांधी 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे.
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