scorecardresearch
Tuesday, 7 May, 2024
होमराजनीति'सवाल ही नहीं उठता', पूर्व सहयोगी BJP और अकाली दल ने 2024 के लिए हाथ मिलाने की संभावना को किया खारिज

‘सवाल ही नहीं उठता’, पूर्व सहयोगी BJP और अकाली दल ने 2024 के लिए हाथ मिलाने की संभावना को किया खारिज

लोकसभा चुनाव से पहले पुराने सहयोगियों के एक साथ आने की अटकलों के बीच पंजाब बीजेपी प्रभारी विजय रूपाणी और शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल का बयान आया है.

Text Size:

चंडीगढ़: पूर्व सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने गुरुवार को 2024 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन की संभावना से इनकार कर दिया.

गुरुवार दोपहर स्वर्ण मंदिर की यात्रा के दौरान मीडियाकर्मियों से बात करते हुए, पंजाब भाजपा प्रभारी विजय रूपाणी ने साफ किया कि उनकी पार्टी राज्य की सभी 13 संसदीय सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी.

उन्होंने कहा कि पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ के नेतृत्व में चुनाव होंगे.

शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल, जो अभी एक महीने की छुट्टी से लौटे हैं, ने चंडीगढ़ में मीडियाकर्मियों से कहा कि पार्टी का भाजपा के साथ गठबंधन करने का सवाल ही नहीं उठता. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का बसपा के साथ गठबंधन है और शिअद-बसपा गठबंधन जारी रहेगा.

बादल ने गुरुवार को शिअद विधानसभा और जिला प्रमुखों की एक बैठक बुलाई थी, जिसे उन्होंने राज्य में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार से मुकाबला करने के लिए रणनीति तैयार करने के लिए एक नियमित बैठक बताई.
दोनों नेताओं का बयान अगले साल संसदीय चुनाव से पहले पुराने सहयोगियों के एक साथ आने की अटकलों के बीच आया है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें


यह भी पढ़ें: किसान विद्रोह, दंगे और बाहुबल – बंगाल की राजनीति में हिंसा इतनी गहराई में क्यों बैठी है


अकाली-भाजपा गठबंधन

दोनों दल, जो तीन दशकों तक एक साथ थे, मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को लेकर सितंबर 2020 में अलग हो गए. तीन कानूनों के कारण पंजाब में भारी विरोध हुआ, जो बाद में दिल्ली के बॉर्डर पर करीब एकसाल तक जारी रहा था.

हरसिमरत बादल, जो उस समय मोदी कैबिनेट का हिस्सा थीं, ने विरोध में इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद अकाली दल ने गठबंधन खत्म करने की घोषणा की.

अकालियों ने बसपा के साथ गठबंधन किया और दोनों दलों ने 2022 का विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ा. इस बीच, भाजपा ने पंजाब लोक कांग्रेस (पीएलसी) से हाथ मिलाया, जो पूर्व कांग्रेस मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा शुरू किया गया एक नया राजनीतिक संगठन है.

2021 में अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले कांग्रेस आलाकमान द्वारा मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी.

117 सदस्यीय विधानसभा में शिअद-बसपा गठबंधन को तीन सीटें मिलीं. भाजपा-पीएलसी गठबंधन ने दो सीटें हासिल कीं. चुनाव के बाद, अमरिंदर ने पीएलसी को भंग कर दिया और भाजपा में विलय कर लिया. अमरिंदर के अलावा कांग्रेस के सुनील जाखड़, राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी, गुरप्रीत सिंह कांगड़, राज कुमार वेरका, सुंदर शाम अरोड़ा, बलबीर सिंह सिद्धू और मनप्रीत बादल बीजेपी में शामिल हो चुके हैं.

चूंकि अलग होने के बाद से अकाली दल और भाजपा दोनों की राजनीतिक किस्मत ने साथ नहीं दिया, इसलिए अटकलें लगाई जा रही थीं कि वे अंततः अगले संसदीय चुनावों के लिए एक साथ आएंगे.

हालांकि, पंजाब भाजपा के सूत्रों ने बताया कि राज्य इकाई में बड़ी संख्या में नेता पूर्व कांग्रेसी थे, जिनका पूरा राजनीतिक करियर अकाली दल और उनके नेताओं को कोसने पर आधारित था, और उनका अकाली नेतृत्व के साथ आना मतदाताओं स्वीकार नहीं करेंगे.


यह भी पढ़ें: शरद पवार को लालू का समर्थन, बोले- राजनीति में रिटायरमेंट की कोई उम्र नहीं होती, विपक्षी एकता कायम रहेगी


 

share & View comments