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Monday, 4 November, 2024
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‘NCP महाराष्ट्र की BSP है’- 2024 से पहले अजित पवार के पाला बदलने से BJP को क्या फायदा मिलेगा

बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि अजित पवार लंबे समय से बीजेपी के संपर्क में थे, लेकिन शरद पवार द्वारा एनसीपी का पुनर्गठन करने और सुप्रिया सुले तथा प्रफुल्ल पटेल को प्रभार सौंपने के बाद उन्होंने पाला बदलने का फैसला किया.

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नई दिल्ली: महाराष्ट्र के वरिष्ठ राजनेता और शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने चार साल में दूसरी बार अपनी पार्टी से विद्रोह किया और राज्य में एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से हाथ मिला लिया. इस राजनीतिक परिदृश्य में हुए नाटकीय बदलाव से उनके चाचा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार स्तब्ध हैं.

इस बीच महाराष्ट्र की राजनीति से दूर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के मास्टर रणनीतिकार माने जाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अन्य कार्यक्रमों में व्यस्त हैं.

इस दौरान उन्होंने साबरमती नदी पर एक क्रूज सेवा का उद्घाटन किया और उत्तर प्रदेश के कुर्मी नेता सोनेलाल पटेल की जयंती के अवसर पर एक समारोह में भाग लिया. हालांकि, इन सबके बीच वह महाराष्ट्र की घटना पर भी बारीकी से नजर रख रहे थे.

दिप्रिंट को पता चला है कि अजित पवार को बीजेपी में लाने की योजना पिछले हफ्ते ही बन गई थी, जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपने डिप्टी देवेंद्र फडणवीस के साथ गुरुवार को दिल्ली में शाह से मिले थे. यह उनकी गठबंधन सरकार की पहली वर्षगांठ से ठीक एक दिन पहले का दिन था.

पार्टी के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि बुधवार को ही शाह ने लोकसभा चुनाव की रणनीति और महाराष्ट्र में बदलते परिदृश्य पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा से पांच घंटे तक मुलाकात की.

बीजेपी के एक पदाधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, “अजित पवार लंबे समय से बीजेपी के संपर्क में थे, लेकिन उनपर किसी भी प्रकार का निर्णय नहीं लिया गया था. उन्होंने पहली बार अप्रैल में कर्नाटक चुनाव के दौरान सकारात्मक संकेत दिए थे, लेकिन शरद पवार ने उनकी योजना को भांप लिया और उन्हें रोक दिया.”

बीजेपी पदाधिकारी के मुताबिक, अजित पवार ने बीजेपी नेतृत्व से कहा था कि अभी ठीक समय नहीं है और वह पार्टी में शामिल होने के लिए उचित कारण की तलाश में हैं.

उन्होंने कहा, “जब शरद पवार ने पार्टी का पुनर्गठन किया और सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को प्रभार दिया, तो उन्हें अपना मन बनाने का एक कारण मिल गया और वे औपचारिक रूप से पार्टी तोड़ने और बीजेपी के साथ गठबंधन करने के लिए सहमत हो गए. यह बस समय की बात थी.”

हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि बीजेपी नेता महाराष्ट्र में गठबंधन तोड़ने में कामयाब रहे हैं. 2022 में, इन्होंने शिवसेना में सेंध लगाई और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी गुट के साथ मिलकर सरकार बनाई.

बीजेपी सूत्रों के मुताबिक इस बार, एनसीपी को तोड़ना आसान था, क्योंकि अजीत पवार और कई अन्य एनसीपी नेता शरद पवार के फैसले से नाखुश थे और उनके खिलाफ ईडी और सीबीआई मामलों से बचने के लिए बीजेपी में शामिल होना चाहते थे.

भ्रष्टाचार के कथित आरोपों को लेकर अजित पवार अपने मंत्रियों छगन भुजबल और हसन मुश्रीफ के साथ केंद्रीय एजेंसियों की जांच का सामना कर रहे हैं.

महाराष्ट्र के एक अन्य बीजेपी नेता ने कहा, “न केवल अजित पवार फडणवीस के संपर्क में थे, बल्कि प्रफुल्ल पटेल भी अमित शाह के संपर्क में थे, तब भी जब शरद पवार ने उन्हें एनसीपी का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया था. यह स्पष्ट नहीं है कि शरद पवार को इसके बारे में पता था या नहीं, लेकिन उन्हें अजित पवार की फडणवीस के साथ बैठकों के बारे में पता था.”

पवार बनाम पवार

अप्रैल में अजीत पवार के पार्टी से निकलने की अफवाहें फैली थी जब उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल से पार्टी का लोगो हटा दिया था और उनके द्वारा विधायकों की बैठक बुलाने की खबरें सामने आईं थी.

हालांकि, एनसीपी प्रवक्ता महेश तापसे ने तब इन अटकलों को खारिज कर दिया था और कहा था कि अजित पवार “एनसीपी में हैं”.

तपसे ने उस वक्त मीडिया से बातचीत में कहा था, “मुझे यह बताना चाहिए कि अजित पवार ने तात्या टोपे (1857 के विद्रोह के दौरान एक स्वतंत्रता सेनानी) की पुण्यतिथि पर उनकी एक तस्वीर ट्वीट की थी, जिसमें एनसीपी का लोगो भी है. मुझे नहीं पता कि पवार के ट्विटर और फेसबुक अकाउंट को कौन संभालता है और एनसीपी वॉलपेपर (पार्टी लोगो और शरद पवार की तस्वीर के साथ) क्यों हटाया गया, लेकिन मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि एनसीपी के भीतर अभी कोई समस्या नहीं है.”

17 अप्रैल को, अजीत पवार ने कथित तौर पर पुणे जिले में अपने कार्यक्रम रद्द कर दिए थे. अटकलें थीं कि उन्होंने उस दिन मुंबई में विधायकों की बैठक बुलाई थी. बाद में उन्होंने एक बयान जारी कर एनसीपी छोड़ने या बैठक बुलाने की किसी भी योजना से इनकार किया था.

लेकिन इसके तुरंत बाद, शरद पवार ने 2 मई को पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर एक आश्चर्यजनक कदम उठाया.

उस समय वरिष्ठ नेता छगन भुजबल और प्रफुल्ल पटेल नाराज थे, लेकिन अजीत पवार ने भीड़ को सांत्वना दी और कहा कि वह “नए नेता को नेतृत्व सौंपने के बारे में सोच रहे हैं, चाहे पद पर कोई भी हो, पार्टी शरद पवार के नेतृत्व में काम करेगी.”

अगले दिन, शरद पवार ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया और जून में प्रफुल्ल पटेल और सुप्रिया सुले को पार्टी का कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया गया.


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सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया, तभी अजित पवार का असंतोष बढ़ गया और उन्होंने पाला बदलने तथा बीजेपी में शामिल होने का फैसला किया.

लेकिन, इससे पहले कि शरद पवार हस्तक्षेप कर पाते, अजित ने विपक्ष के नेता का पद छोड़ने और इसके बजाय पार्टी के लिए काम करने के अपने फैसले की घोषणा की.

एनसीपी के स्थापना दिवस कार्यक्रम में शरद पवार की उपस्थिति में उन्होंने कहा, “मैंने विभिन्न पदों पर पार्टी की सेवा की है. मैंने विपक्ष के नेता का पद नहीं मांगा था. यह मुझे पार्टी विधायकों ने दिया था. लेकिन अब मैं इस पद से इस्तीफा देना चाहता हूं. मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि मुझे पार्टी संगठन में काम करने दें. आप मुझे जो भी पद सौंपेंगे, मैं उसे स्वीकार करूंगा और एक उचित परिणाम दूंगा.”

लेकिन यह पहली बार नहीं था जब अजित ने पार्टी को झटका दिया हो. 2012 में, उन्होंने कांग्रेस-एनसीपी सरकार में उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और इस संकट को हल करने के लिए शरद पवार को हस्तक्षेप करना पड़ा था.

2022 में शिंदे और फडणवीस का क्रमशः सीएम और डिप्टी सीएम के रूप में शपथ लेने के बाद, कैबिनेट विस्तार किए बिना 41 दिनों तक सरकार चलाई गई. इसके बाद उन्होंने पिछले साल कैबिनेट का विस्तार किया, लेकिन शिवसेना कार्यकर्ताओं के दबाव के बावजूद 23 पद खाली छोड़ दिए गए. फडणवीस ने कहा था कि इन पदों को उचित समय पर भरा जाएगा.

पिछले हफ्ते, कई इंटरव्यू में फडणवीस ने संवाददाताओं से कहा कि मंत्रालय का विस्तार जुलाई में किया जाएगा.

ऊपर उद्धृत बीजेपी नेता ने दिप्रिंट को बताया, “फडणवीस सत्ता परिवर्तन के लिए अजीत पवार की मंजूरी का इंतजार कर रहे थे ताकि सरकार को उन आकांक्षी लोगों से किसी भी खतरे से बचाया जा सके जो शिंदे के खेमे से शीघ्र विस्तार की मांग कर रहे थे. इस नए कदम के साथ, बीजेपी आलाकमान ने न केवल सरकार की स्थिरता सुनिश्चित की, बल्कि लोकसभा चुनावों के लिए सत्ता साझेदारी और सीट आवंटन में भी अधिक लाभ प्राप्त करने की कोशिश की.”

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी की गणना

जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, बीजेपी का महाराष्ट्र में बड़ा दांव है, जहां पार्टी ने शिवसेना और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के साथ गठबंधन में 2019 में 48 में से 41 सीटें जीतीं, जबकि अन्य पार्टियां केवल 7 सीट जीत पाई थी.

पार्टी नेताओं के बीच इस बात को लेकर चर्चा थी कि शिंदे की शिवसेना गठबंधन से पार्टी अपने पुराने 41 सीटों के प्रदर्शन को दोहरा नहीं पाएगी जो असंभव लग रहा था. एक अन्य बीजेपी पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि शरद पवार विपक्षी एकता का नेतृत्व कर रहे थे और शिंदे द्वारा दरकिनार किए जाने के बावजूद महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के पास अभी भी लोगों में कुछ सहानुभूति थी.

बीजेपी और शिंदे दोनों जानते थे कि उनके पास आम चुनाव का सामना करने के लिए एक साल से भी कम समय है और अक्टूबर 2024 में राज्य विधानसभा चुनावों में एक साल से थोड़ा अधिक समय है.

लोकसभा चुनाव में सीटों की संख्या को देखते हुए, पदाधिकारी ने कहा, नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद, बीजेपी बिहार में कई सीटें जीतने को लेकर अनिश्चित है. बिहार में कुल 40 लोकसभा सीटें हैं.

42 और 48 सीटों के साथ, बंगाल और महाराष्ट्र बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण राज्यों में से एक हैं. जहां बंगाल से उसके 18 सांसद हैं, वहीं महाराष्ट्र से 23 सांसद हैं. बीजेपी पदाधिकारी ने कहा कि पार्टी के लिए लोकसभा में इन तीन राज्यों, खासकर बिहार और महाराष्ट्र में अपनी सीटें बरकरार रखना काफी महत्वपूर्ण है.

पार्टी सूत्रों के मुताबिक राज्य के कुछ बीजेपी नेताओं ने पिछले महीने केंद्रीय नेतृत्व से कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाने की आवश्यकता के बारे में शिकायत की थी, क्योंकि वे उपमुख्यमंत्री के रूप में फडणवीस को कम भूमिका में देखकर हतोत्साहित थे.

लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने उनसे साफ तौर पर कहा कि शिंदे की शिवसेना के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखें और जितना संभव हो सके उनका समर्थन करें. सूत्रों में से एक ने कहा, शाह ने उनसे कहा कि “हम शिवसेना के कारण सत्ता में हैं और हमें यह नहीं भूलना चाहिए.”

लेकिन यह धारणा बढ़ती जा रही थी कि “शिवसेना की सीटों पर भी प्रधानमंत्री मोदी के पक्ष में लहर है, लेकिन अगर महा विकास अघाड़ी और बीजेपी-शिवसेना के बीच लड़ाई होती है तो शिंदे की शिवसेना ज्यादा योगदान नहीं देगी.”

बीजेपी के एक पदाधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, “बीजेपी अपनी सीटों की रक्षा करेगी, लेकिन शिंदे की शिवसेना किसी भी सीट पर मजबूत नहीं है और महाराष्ट्र जीतने के लिए एनसीपी को कमजोर करने की जरूरत है.”

कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों में से एक, जो हाल ही में महाराष्ट्र की एक कमजोर सीट के दौरे से लौटे हैं, ने दिप्रिंट को बताया, “प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता बरकरार है और लोग उनकी कल्याणकारी योजनाओं के लिए उन्हें पसंद करते हैं. केवल एक चीज की कमी है वह है कार्यकर्ताओं का उत्साह. इसके लिए, माहौल बनाना पड़ेगा. हमें एक लहर पैदा करने की जरूरत है.”

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 23 सीटें जीती थी, जबकि अविभाजित शिवसेना ने 18 सीटें हासिल की थी. कुल 18 शिवसेना सांसदों में से 13 शिंदे के गुट में शामिल हो गए हैं.

पिछले महीने, शिंदे गुट के एक नेता ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी से 22 सीटों का दावा किया था, जिससे दोनों सहयोगियों के बीच बेचैनी पैदा हो गई थी. हालांकि बीजेपी ने इस दावे को खारिज कर दिया, लेकिन कई बीजेपी नेताओं ने कहा कि शिंदे के पास 20 सीटें जीतने की ताकत नहीं है. इसकी जानकारी महाराष्ट्र बीजेपी के एक बड़े नेता ने दिप्रिंट को दी.

बीजेपी के एक वरिष्ठ महासचिव ने दिप्रिंट को बताया, “यह नया गठबंधन (अजित पवार के साथ) दोनों पार्टियों के लिए फायदेमंद है क्योंकि बीजेपी लोकसभा और विधानसभा में अधिक सीटें पाने के लिए एनसीपी को कमजोर करना चाह रही थी.”

उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के साथ तुलना करते हुए उन्होंने कहा, “एनसीपी की स्थिति महाराष्ट्र में ठीक वैसी ही हो गई है जैसी यूपी में बीएसपी की हो गई है.”

उन्होंने आगे कहा, “मायावती का वोट शेयर घट रहा है और उनके दलित और जाटव वोटों के लिए प्रतिस्पर्धा है. यूपी विधानसभा चुनाव में बीएसपी के ज्यादातर वोट हमें मिले. इसी तरह, जब तक शरद पवार सक्रिय हैं, तब तक एनसीपी का दबदबा है.”

अजित पवार की भूमिका के बारे में बीजेपी महासचिव ने कहा, ”वह भी अपना भविष्य तलाश रहे थे क्योंकि वह शरद पवार की तरह बूढ़े नहीं हैं. हम भी एक ऐसे साथी की भी तलाश कर रहे थे जिसकी मराठा राजनीति में पकड़ हो. अजित पवार एक अनुभवी राजनेता हैं और इस संयोजन के साथ, हम लोकसभा और विधानसभा में महाराष्ट्र की लगभग सभी सीटें जीतने के लिए आश्वस्त हैं.”

पवार के पार्टी में शामिल होने के तीन फायदे गिनाते हुए बीजेपी महासचिव ने कहा, “एनसीपी को तोड़कर हमने विपक्षी एकता को कमजोर कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिवसेना विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की स्थिति में हमने सरकार की स्थिरता सुरक्षित कर ली है. और हमें मराठा राजनीति के लिए एक विश्वसनीय एनडीए पार्टनर मिल गया है. इस तरह एनडीए काफी मजबूत हो गया है.”

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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