गुरुग्राम/गाजियाबाद: इलेक्ट्रिक पिंक स्लीवलेस ड्रेस और गले में क्रॉस लटकाए क्रिस्टी मैसी एक समर्पित गौरक्षक हैं. पालम विहार के एक कैफे में बैठी 21 वर्षीय ईसाई महिला गर्व से अपना गौ रक्षा दल कार्ड दिखा रही है. नीला और सफेद कार्ड क्रिस्टी को गाय, भैंस और बछड़ों के स्वास्थ्य की जांच करने की अनुमति देता है. जब भी वह किसी गौ तस्कर को देखती है तो यह उसे गुरुग्राम पुलिस से मदद लेने में सहायता पहुंचाता है.
भारत के गौरक्षक बदलाव ला रहे हैं और अधिक मुख्यधारा में शामिल होने के साथ साथ शहरी हो रहे हैं.
स्प्राउट्स खाने वाले बॉडीबिल्डर से लेकर इंजीनियर और अमेरिकन एक्सप्रेस के बैंकर तक, एनसीआर के गौरक्षक बिल्कुल अलग हैं. उनके पास दैनिक नौकरियां हैं, अंग्रेजी बोलते हैं, एड शीरन और बेयॉन्से के गाने कॉलर ट्यून के रूप में रखते हैं और स्टारबक्स में कैपचिनो ऑर्डर करते हैं. वे पारंपरिक नारंगी वस्त्रधारी, बांस की लाठियों वाले तिलकधारी और बनावटी आचरण वाले नहीं हैं.
और वे सभी गुरुग्राम के गोरक्षा सरगना मोनू मानेसर की ओर देखते हैं, जो हाल ही में भिवानी में दो मुसलमानों की हत्या का आरोपी है.
क्रिस्टी ने कहा,“लोग सोचते हैं कि गौरक्षक केवल ग्रामीण पुरुष हैं. लेकिन अब यह बदल रहा है. अधिक से अधिक लोग यह महसूस कर रहे हैं कि भारत में गायों को संरक्षित करने की आवश्यकता है. अब संभ्रांत लोगों में कुत्तों के प्रति प्रेम से गायों के प्रति प्रेम में बदलाव आ रहा है.”
एनसीआर के गौरक्षक अपनी डिमांडिंग नौकरियों और गौ सेवा के बीच जूझ रहे हैं. वे अक्सर मुसीबत में फंसी गायों के बारे में कॉल करने, मौके पर पहुंचने, अपने दोस्तों को जुटाने और पुलिस और मोनू मानेसर को सूचित करने में अपनी रातों की नींद हराम कर देते हैं.
बचाव अभियान
मोनू मानेसर की मौत से मुठभेड़ की शानदार कहानियां ही वह प्रेरणा है जो इन नए जमाने के गौरक्षकों को जिंदा रखती है. उनका दृढ़ विश्वास है कि पिछले साल गाय तस्करों द्वारा सीने में गोली मारे जाने के बाद भी मोनू की जान गायों के आशीर्वाद से बच गई, यह लगातार चर्चा का विषय है. गौरक्षक व्हाट्सएप ग्रुपों और व्हिस्पर नेटवर्कों पर तेजी से प्रसारित होने वाली इस प्रकार की कहानियों ने उनके अनुयायियों को एक पंथ जैसा बना दिया है.
“अब संभ्रांत लोगों में बदलाव आ रहा है और उनमें कुत्तों के प्रति प्रेम की जगह गायों के प्रति हो रहा है.”
– क्रिस्टी मैसी
एनसीआर के गौरक्षक ज्यादातर गुरुग्राम, गाजियाबाद, फ़रीदाबाद और ग्रेटर नोएडा के उपनगरों में काम करते हैं.
कॉन्वेंट शिक्षा प्राप्त अमेरिकन एक्सप्रेस की एक कर्मचारी क्रिस्टी ने कहा कि वह मोनू के खिलाफ आरोप के बारे में जानती हैं लेकिन अभी तक उसे दोषी साबित नहीं किया गया है. उन्होंने कहा, “मेरे लिए, मोनू एक गोरक्षक है और उसने सक्रिय रूप से गुरुग्राम में गायों की रक्षा की है.”
गायों के प्रति उनका स्नेह दो साल पहले शुरू हुआ जब उन्होंने सेक्टर 56 में सड़क के बीच में एक ऐसी गाय देखी जिसक कोई देखभाल करने वाला नहीं था. उसके अंग टूटे हुए थे और त्वचा डैमेज हो गई थी. उसने तुरंत पुलिस को सूचना दी.
उस रात वह सो नहीं सकी; उसने कहा, कुछ बदल गया है. अगली सुबह, वह घायल गायों की सुरक्षा और देखभाल करने के तरीके सीखने के लिए सदर बाजार में पास की गौशाला में गई. यहां क्रिस्टी गौ रक्षा दल के सदस्यों से मिलीं और उनके साथ काम करना शुरू किया.
उन्होंने कहा, गौरक्षक वे हैं जो हमेशा जानवरों के प्रति स्नेह रखते हैं लेकिन उन्हें लगता है कि पशु अधिकार कार्यकर्ता गायों पर पर्याप्त ध्यान नहीं देते हैं.
34 वर्षीय नितिन शर्मा, जो गाजियाबाद में एक गौशाला चलाते हैं, मानेसर से प्रेरित एक और गौरक्षक हैं. एक दुबले-पतले सज्जन व्यक्ति, जिसकी शर्ट अंदर की ओर है और बाल करीने से संवारे हुए हैं, शर्मा एक अंतरराष्ट्रीय बैंक के लिए ऑडिटर के रूप में काम करते हैं. उनके वेतन का आधा हिस्सा, 20,000 रुपये से अधिक, आश्रय के किराए और गायों को बचाने के लिए अलग रखा जाता है.
वह सीधे गौ रक्षा दल के साथ काम करते हैं और दिल्ली-एनसीआर से घायल गायों को बचाते हैं. शर्मा की यात्रा 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू हुई, जब उन्होंने, दिल्ली के पटपड़गंज के निवासी, अपने इलाके में एक गाय को कीड़ों द्वारा खाए जाने के बाद मरते देखा.
तभी उनका संपर्क गाजियाबाद में बजरंग दल के गोरक्षक सुमित से हुआ. अब वह सुमित के साथ मिलकर गायों को बचाते हैं और उन्हें अपने आश्रय स्थल में ले जाते हैं जहां उनका इलाज किया जाता है.
उन्होंने कहा,“गौ रक्षा दल भारत में गायों की रक्षा करने वाला एकमात्र संगठन है. इसलिए, जब मैंने पहली बार गाय को बचाया और आसपास से मदद मांगी. एकमात्र वहीं से मदद मिली.
नितिन उतना ज्यादा लग के काम नहीं कर पा रहे हैं जितना वह चाहते हैं. उनके पिता, जो एक सरकारी कर्मचारी थे, उनकी दो साल पहले मृत्यु हो जाने के बाद, उन्हें परिवार की देखभाल के लिए आगे आना पड़ा. उनकी पत्नी, गणित में स्नातकोत्तर, यूपीएससी परीक्षा देने की तैयारी कर रही हैं. वह नितिन की गतिविधियों से जुड़े जोखिम से सावधान रहती हैं, खासकर जब से उनकी छह महीने की बेटी है.
उनकी मां, जो अंग्रेजी में एमए हैं, गायों की रक्षा करने की नितिन की महत्वाकांक्षा का कड़ा विरोध करती हैं.
लेकिन वह अडिग है. उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “मेरी इच्छा गायों को तस्करों से छुड़ाने के अभियान में भाग लेने की है. एक दिन मैं ऐसा करूंगा.”
गाजियाबाद की संजय कॉलोनी में हनुमान मंदिर में, नितिन और सुमित गायों के बारे में बात करते हैं जैसे कि ज्यादातर पुरुष अपनी प्रेमिकाओं – उनकी आंखों इत्यादि के बारे में बातें करते हैं.
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गायों का पीछा करना
19 जून की आधी रात को, फ़रीदाबाद से शैलेन्द्र गौतम (28) को फोन आया और उन्हें पलवल पहुंचने के लिए कहा गया – एक सैंट्रो कार कथित तौर पर नूंह जिले में गायों की तस्करी कर रही थी. आधे घंटे के अंदर शैलेन्द्र अपनी बोलेरो से संदिग्ध तस्करों का पीछा करते हुए पलवल जिले के मठेपुर छांयसा गांव में थे. स्थानीय पुलिस बल भी उनके साथ शामिल हो गया और अंततः गायों को बरामद कर लिया गया और लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया.
शैलेन्द्र को पिछले छह साल से ये सूचनाएं मिल रही हैं. महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) के एक मैकेनिकल इंजीनियर, शैलेन्द्र गायों के वध के वीडियो देखकर इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना उपनाम हिंदू रख लिया.
लेकिन वह आधुनिक गौरक्षक हैं. आहार के प्रति जागरूक इंजीनियर नाश्ते में अंकुरित अनाज खाते हैं, चीनी से परहेज करते हैं और खुद को “पर्यावरणविद्” कहते हैं.
“गायों को बचाना पर्यावरण की रक्षा करने जैसा है. तो मुझे एक पर्यावरणविद् के रूप में क्यों नहीं जाना जा सकता.’
उन्होंने अपनी शुरुआत एक इंजीनियरिंग फर्म के साथ काम करते हुए की. वह फ़रीदाबाद की सड़कों से घायल गायों को बचाते थे. उनके काम ने उन्हें गौ रक्षा दल में शामिल होने के लिए प्रेरित किया. मोनू मानेसर और उनकी टीम के काम से शैलेन्द्र इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपने परिवार और गर्लफ्रेंड को छोड़कर खुद को पूरी तरह से बचाव कार्य में समर्पित कर दिया.
शैलेंद्र ने फर्श पर घूरते हुए कहा,“मैं जो कर रहा था, मेरा परिवार उसका समर्थन नहीं कर रहा था. वे चाहते थे कि मैं नौकरी करूं. इसलिए, मैंने घर छोड़ दिया. गौ रक्षा अधिक महत्वपूर्ण थी. आपने नहीं देखा कि वे गायों को कैसे मारते हैं.”
शैलेन्द्र का तीन साल का रिश्ता भी तब टूट गया जब वह अपनी गर्लफ्रेंड को उतना समय नहीं दे सके जितना उसको चाहिए था. लेकिन ब्रेक-अप से निपटने के लिए उनका दृष्टिकोण यह दर्शाता है कि कैसे वह अपने काम के लिए एक असामान्य उम्मीदवार हैं – वह लोकप्रिय धारणा में व्याप्त गोरक्षकों की मर्दवादी छवि के विपरीत हैं. वह एक संवेदनशील, नए जमाने का लड़का है.
उन्होंने याद किया कि जब उनकी प्रेमिका चली गई थी तो वह कितनी रातों तक रोए थे और कहा था कि “पुरुषों को भी रोना चाहिए.”
अब जब भी शैलेन्द्र को अपनी गर्लफ्रेंड की याद आती है तो वह पंजाबी गायक बब्बू मान का गाना रब ना करे सुनते हैं.
बीजेपी का जोर
क्रिस्टी, नितिन और शैलेन्द्र भारत में गाय संरक्षण को आसान बनाने के लिए भाजपा सरकार की प्रशंसा करते हैं. हरियाणा और उत्तर प्रदेश के एनसीआर क्षेत्र में, गौ संरक्षण मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और योगी आदित्यनाथ का मुख्य फोकस रहा है.
2021 में, हरियाणा सरकार ने राज्य के प्रत्येक जिले के लिए एक राज्य स्तरीय विशेष गाय संरक्षण कार्य बल समिति और विशेष गाय संरक्षण कार्य बल (एससीपीएफ) की स्थापना को अधिसूचित किया.
हरियाणा सरकार ने के मुताबिक टास्क फोर्स के गठन के पीछे मुख्य उद्देश्य जनता से पशु तस्करी और वध के बारे में जानकारी एकत्र करके हरियाणा गौवंश संरक्षण और गौसंवर्धन अधिनियम 2015 को लागू करना था.
“मैं जो कर रहा था, मेरा परिवार उसका समर्थन नहीं कर रहा था. वे चाहते थे कि मैं नौकरी करूं. इसलिए, मैंने घर छोड़ दिया. गौ रक्षा अधिक महत्वपूर्ण थी. तुमने देखा नहीं कि वे गायों को कैसे मारते हैं.”- शैलेंद्र गौतम
उत्तर प्रदेश सरकार ने भी गायों की रक्षा के लिए अवैध बूचड़खानों पर प्रतिबंध लगाया था. “गौ माता की रक्षा की जाएगी. हर कसाई सब्जी बेचता नजर आएगा. वे पापों के जीवन से मुक्त हो जाएंगे,” सीएम योगी ने अयोध्या में रैलियों को संबोधित करते हुए कहा था. गाय भी चुनावी मुद्दा रही है – यूपी सरकार ने किसानों को प्रति गाय 900 रुपये का वजीफा देने का वादा किया था.
नितिन शर्मा ने कहा,“अब आप शायद ही गाजियाबाद में गोहत्या होते देखेंगे. गोकशी करने वाले उत्तर प्रदेश से गायों की तस्करी करते हैं और उन्हें वध के लिए विभिन्न राज्यों में ले जाते हैं. भाजपा सरकार और योगी बाबा का यही डर है,”
एक ईसाई महिला होने के नाते, गौ रक्षा में क्रिस्टी की भागीदारी ने उन्हें एनसीआर के गौ रक्षकों के बीच लोकप्रिय बना दिया है. वह अब अपने मुद्दे और गोरक्षकों द्वारा दूसरों को भाग लेने के लिए कहते समय की जाने वाली वकालत के लिए एक पोस्टर गर्ल की तरह है.
“जब एक ईसाई महिला गायों का मूल्य समझ सकती है, तो आप हिंदू क्यों नहीं? वह अपनी मां की तरह गाय की रक्षा करती है. उन्हें गाय से सारा आशीर्वाद मिल रहा है,” शैलेन्द्र अपने साथी गौरक्षकों से कहते हैं.
और यह काम कर रहा है, वह कई लोगों के लिए प्रेरणा बन गई है. उनमें से एक हैं गुरुग्राम के ब्रिजेश. एमबीए छात्र और एक व्यवसायी का बेटा अब क्रिस्टी के साथ गायों को बचाता है और ‘मोनू मानेसर टीम’ गाय बचाव व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा है.
ब्रृजेश ने कहा, “जब मैं क्रिस्टी से मिला. मैंने सोचा कि जब उनके जैसी महिला गायों के लिए काम कर सकती है. मैं क्यों नहीं कर सकता?”
लेकिन क्रिस्टी खुद को पुरुषों के समुद्र में अकेला पाती है. उन्होंने कहा, “मेरे मन में मोनू मानेसर की टीम में शामिल होने का ख्याल आया, लेकिन सुरक्षा कारणों से मैंने इस भावना को नजरअंदाज कर दिया.”
क्रिस्टी का सपना है कि किसी दिन उसकी अपनी महिला गौ रक्षा दल हो, जहां वे गायों को बचाएं और संदिग्ध तस्करों का पीछा करें.
(संपादन: शिव पांडेय)
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