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Friday, 22 November, 2024
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बुनियादी ढांचे पर ध्यान, ‘भ्रष्टाचार’ की जांच- ठाकरे परिवार को कमजोर करने के लिए मुंबई पर शिंदे की नजर

इस साल होने वाले बृहन्मुंबई नगर निगम चुनावों से पहले सीएम शिंदे मुंबई में लोकप्रियता बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं, जहां ठाकरे का काफी प्रभाव है.

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मुंबई: असली सेना होने का दावा करते हुए 39 शिवसेना विधायकों के साथ उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी से बाहर निकलने के एक साल बाद, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अब मुंबई में अपनी लोकप्रियता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है, जो ठाकरे का गढ़ माना जाता है.

शिंदे पूरे एक साल तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहने और उनकी पार्टी को इस साल फरवरी में चुनाव आयोग द्वारा ‘शिवसेना’ नाम और तीर-धनुष चुनाव चिह्न मिलने के बावजूद, शिंदे के नेतृत्व वाली सेना संगठनात्मक संरचना बना पाने में धीमी रही है.

शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी के नेताओं का कहना है कि मुंबई शहर में इसकी लगभग सौ शाखाएं हैं, जबकि शिव सेना (यूबीटी) की 227 शाखाएं हैं- प्रत्येक नगरपालिका वार्ड में एक.

देश के सबसे अमीर नागरिक निकाय बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के चुनाव इस साल के अंत में होने की संभावना है, ऐसे में सीएम शिंदे ने मैदान में ताल ठोक दी है. खुद को एक ऐसे मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने के अलावा, जो बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को तेजी से पूरा करता है और बीएमसी के धन को उचित सार्वजनिक उपयोग में लाता है, शिंदे मुंबई में अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए भ्रष्टाचार के आरोपों और आधिकारिक पूछताछ के साथ शिवसेना (यूबीटी) पर निशाना साध रहे हैं.

राजनीतिक टिप्पणीकार संजय जोग के अनुसार, बाल ठाकरे की विरासत पर दावा करने वाले सेना के दोनों गुटों के लिए बीएमसी मुख्य केंद्र बिंदु है.

जोग ने दिप्रिंट को बताया, ‘शिंदे के पास शहरी विकास विभाग, महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी) और मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) हैं. अगर वह भाजपा (शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में एक सहयोगी) का मुकाबला करना चाहते हैं, तो उन्हें बीएमसी में अपनी (गुट की) उपस्थिति बढ़ाने की जरूरत है.’

सोमवार को नेस्को गोरेगांव में शिव सेना के स्थापना दिवस समारोह में शिंदे ने कहा, ‘मुंबई बदल रही है. हमने सड़कों को पक्का करने का निर्णय लिया है, पैसा उचित हाथों में जाना चाहिए और लोगों के काम में इस्तेमाल किया जाना चाहिए. मुंबई स्वच्छ और अधिक सुंदर हो रही है.’

शिंदे ने कहा कि, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस के साथ, उन्होंने मराठी माणूस (आम आदमी) को वापस लाने के लिए मुंबई में पुनर्विकास परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया. उन्होंने दावा किया कि पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के कारण लोगों ने ‘शहर छोड़ दिया’ था.

शिंदे की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए शिव सेना (यूबीटी) के प्रवक्ता आनंद दुबे ने दिप्रिंट से कहा, ‘शिंदे सिर्फ ‘महाशक्ति’ (भाजपा) की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं. मुंबई में उनकी कोई खास हैसियत नहीं है. अगर उनमें साहस है तो वे एक महीने के भीतर मुंबई निगम चुनाव कराएं. लोगों ने हमें (ठाकरे के नेतृत्व वाली सेना को) पिछले 25 वर्षों से जनादेश (बीएमसी में) केवल इसलिए दिया है क्योंकि हमने काम किया है. इसलिए अगर वह मुंबई आने की कोशिश करेगा तो हम उसका सामना करेंगे.


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शिंदे की चेतावनी और ईडी की तलाशी

सोमवार को उसी भाषण में, शिंदे ने ठाकरे परिवार को चेतावनी दी कि उन्हें ‘कोविड-19 के दौरान की गई धोखाधड़ी’ के लिए भुगतना होगा- जो कि कथित तौर पर करोड़ों के कोविड जंबो सेंटर घोटाले से जुड़ा था.

बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों ने कथित घोटाले के सिलसिले में उद्धव और उनके बेटे आदित्य ठाकरे के करीबी सहयोगियों से जुड़े कम से कम 15 परिसरों की तलाशी ली. जांच के दायरे में आने वालों में आदित्य के करीबी सूरज चव्हाण और आईएएस अधिकारी संजीव जयसवाल शामिल हैं- जो उस समय बीएमसी के अतिरिक्त नगर आयुक्त थे.

इस साल जनवरी में ईडी ने मामले के संबंध में बीएमसी कमिश्नर इकबाल सिंह चहल का बयान भी दर्ज किया था.

ईडी ने इस संबंध में इस साल जनवरी में भाजपा के किरीट सोमैया की शिकायत पर पिछले साल अगस्त में दर्ज एक पुलिस मामले के आधार पर मामला दर्ज किया था, जिसमें लाइफलाइन अस्पताल प्रबंधन सेवाओं को किए गए भुगतान के संबंध में बीएमसी द्वारा धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया था. जिसे महामारी के दौरान मुंबई में जंबो कोविड केंद्र स्थापित करने के लिए अनुबंधित किया गया था.

सेना (यूबीटी) नेता संजय राउत के करीबी सहयोगी माने जाने वाले सुजीत पाटकर पुलिस एफआईआर में नामित लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज के चार भागीदारों में से एक थे.

शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता सचिन अहीर ने बुधवार की छापेमारी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है और आश्चर्य जताया है कि क्या इरादा राजनीतिक बदला लेने का था.


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कैग निष्कर्षों की एसआईटी जांच

ईडी की यह तलाशी सीएम शिंदे की घोषणा के दो दिन बाद आई है कि एक विशेष जांच दल (एसआईटी) 28 नवंबर, 2019 और 2019 के बीच बीएमसी द्वारा दिए गए 12,000 करोड़ रुपये के ठेकों में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) के निष्कर्षों की जांच करेगा.

सीएजी ने पिछले साल नवंबर में राज्य सरकार के अनुरोध पर नागरिक निकाय द्वारा दिए गए ठेकों का विशेष ऑडिट किया था.

विशेष ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, जिसे दिप्रिंट ने देखा है, यह देखा गया कि बीएमसी ने बिना निविदाएं आमंत्रित किए दो विभागों (सूचना प्रौद्योगिकी और सड़क) में 214.48 करोड़ रुपये मूल्य के 20 ठेके दिए- जो कि बीएमसी के मैनुअल के प्रावधानों का उल्लंघन है.

अपनी रिपोर्ट में, सीएजी ने सड़कों, अपशिष्ट प्रबंधन और अन्य परियोजनाओं से संबंधित अनुबंधों के संबंध में धन के अनुचित प्रबंधन, पारदर्शिता की कमी और कुप्रबंधन के लिए बीएमसी की भी आलोचना की.

रिपोर्ट में कहा गया है कि टेंडरिंग प्रक्रिया का भी ठीक से पालन नहीं किया गया, जिसके परिणामस्वरूप ठेकेदारों को गलत तरीके से टेंडर दिए गए.

कैग के निष्कर्षों की जांच के लिए एसआईटी के गठन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार की मंशा पर सवाल उठाए.

उन्होंने ‘बीएमसी की एफडी (सावधि जमा) के 9,000 करोड़ रुपये’ के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए कहा, ‘शिंदे प्रशासन द्वारा धन के दुरुपयोग के खिलाफ हम 1 जुलाई को बीएमसी (मुख्यालय) तक एक बड़ी विरोध रैली निकालेंगे.’

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, जो कि ठाकरे के नेतृत्व वाली सेना (यूबीटी) की सहयोगी है, सुप्रिया सुले ने भी शिंदे सरकार के इरादों पर संदेह जताया.

उन्होंने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा, ‘मेरे पास सीएम के लिए केवल एक ही सवाल है. जो (शिंदे) अब आरोप लगा रहे हैं, वे ढाई साल तक एमवीए सरकार में थे, तब उन्हें नैतिकता क्यों याद नहीं आई? अब, (गठबंधन से) बाहर निकलने के बाद, उन्हें लगता है कि कुछ गड़बड़ है.’


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शिंदे का फोकस मुंबई पर

जोग ने कहा कि शिंदे की कोशिशें मुंबई में ठाकरे के नेतृत्व वाली सेना (यूबीटी) से मुकाबला करने की बहुआयामी रणनीति का हिस्सा हो सकती हैं.

जोग ने कहा, ‘वह (शिंदे) भाजपा को दिखाना चाहते हैं कि हम एक साथ हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप मुझे हल्के में लें.’ उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री खुद को मुंबई के विकास के लिए काम करने वाले व्यक्ति के रूप में भी पेश करना चाहते हैं.

जोग ने दिप्रिंट को बताया, ‘तीसरा, वह यह संदेश देना चाहते हैं कि बीएमसी की एफडी मुंबई के लोगों और उनके विकास के लिए हैं. मैं वह पैसा बाहर ला रहा हूं और फिर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं और साथ ही यह भी कहूंगा कि उन्होंने हिंदुत्व नहीं छोड़ा है.’

पिछले कुछ महीनों में, शिंदे ने यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए हैं कि वह व्यक्तिगत रूप से जमीन पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का जायजा लेते नजर आएं.

इस आशय से, प्रस्तावित मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (एमटीएचएल) के प्रत्येक मील के पत्थर का एक कार्यक्रम के रूप में उद्घाटन किया जाता है.

इसके अलावा, शिंदे यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि मुंबई में प्रस्तावित तटीय सड़क परियोजना- जो कि उद्धव की पसंदीदा परियोजना थी- इस साल के अंत तक या अगले साल की शुरुआत में मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान पूरी हो जाए. शिंदे पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि तटीय सड़क का नाम 17वीं सदी के मराठा शासक शिवाजी के पुत्र संभाजी के नाम पर रखा जाएगा.

मुख्यमंत्री पिछले महीने पूरी तरह से भूमिगत कोलाबा-बांद्रा-सीपज़ मेट्रो लाइन 3 के देर रात निरीक्षण के लिए भी उपस्थित थे, जिसके बाद उन्होंने रात 11.30 बजे के आसपास साइट पर मीडिया को संबोधित किया.

और सिर्फ बड़े-बड़े बुनियादी ढांचा प्रोजेक्ट ही नहीं, शिंदे- जिन्हें अब तक ठाणे में सेना के प्रमुख के रूप में देखा जाता था – मानसून से पहले मुंबई में नालों से गाद निकालने की निगरानी भी कर रहे हैं. मई में, उन्होंने बीएमसी की प्री-मानसून तैयारियों का निरीक्षण करने के लिए एक नाले के अंदर भी कदम रखा.

(संपादन: कृष्ण मुरारी)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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