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Friday, 22 November, 2024
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NCP के अजित पवार अब विपक्ष के नेता नहीं रहना चाहते, पार्टी से मांगी बड़ी जिम्मेदारी

मुंबई में एनसीपी के स्थापना दिवस समारोह में बोलते हुए, अजीत पवार ने कहा कि उनके पास प्रशासन को अच्छी तरह से चलाने का रिकॉर्ड है और उन्होंने 'पार्टी में कोई भी पद' मांगा, और कहा कि वह इसके साथ न्याय करेंगे.

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मुंबई: दो हफ्ते से भी कम समय में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने बेटी सुप्रिया सुले को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर और उन्हें महाराष्ट्र और पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण का प्रभार देकर अपनी राजनीतिक विरासत सौंपने का इरादा व्यक्त किया. इसके बाद भतीजे अजित पवार ने बुधवार को पार्टी संगठन में अधिक जिम्मेदारी की मांग की और इसके लिए अपने काम की वकालत की.

मुंबई में एनसीपी के स्थापना दिवस समारोह में बोलते हुए, एनसीपी विधायक अजीत पवार ने कहा कि वह अब महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता बने रहना नहीं चाहते हैं और उन्होंने पार्टी संगठन में काम करने के लिए एक और पद की मांग की है.

मुंबई के शनमुखानंद सभागार में पवार ने कहा, “मैं संगठन द्वारा दी गई जिम्मेदारी से अब कार्यमुक्त होना चाहता हूं. उसके बाद देखिये मैं पार्टी को कहां से कहां ले जाता हूं. बेशक, यह निर्णय वरिष्ठ नेतृत्व का है. मुझे पार्टी में कोई भी पद दीजिए जो आपको सही लगे. मैं इसके साथ न्याय करूंगा. ”

पार्टी ने 10 जून को दिल्ली में अपना स्थापना दिवस मनाया और इस दौरन सीनियर पवार ने घोषणा की कि पवार के गढ़ बारामती से लोकसभा सांसद सुले और राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल एनसीपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष होंगे. शरद पवार ने राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के काम के लिए अधिक नियुक्तियां कीं. हालांकि, उन्होंने अजित पवार का जिक्र नहीं किया. महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री घोषणा के दौरान मंच पर मौजूद थे और उन्होंने बाद में सुले और पटेल को बधाई दी.

पिछले महीने, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने पार्टी अध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्त होने के अपने फैसले की घोषणा की थी और अपने उत्तराधिकारी पर निर्णय लेने के लिए वरिष्ठ नेताओं की एक समिति का गठन किया था. हालांकि, पार्टी कार्यकर्ताओं के विरोध के बाद उन्होंने अपना फैसला वापस ले लिया.


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‘मैं प्रशासन अच्छे से चलाता हूं’

बुधवार को मुंबई कार्यक्रम में बोलते हुए, अजीत पवार ने कहा कि वह हमेशा से जानते थे कि वह केंद्र में काम नहीं करना चाहते हैं. उन्होंने याद किया कि कैसे उन्होंने पहली बार 1987 में पार्टी के बारामती तालुका कार्यालय में बैठना शुरू किया और फिर 1991 में सांसद बने.

अजित पवार ने कहा, “छह महीने तक वहां सब कुछ देखने के बाद मुझे एहसास हुआ कि यह मेरे तरह का काम नहीं है, मुझे महाराष्ट्र वापस जाना चाहिए. सुप्रिया को बताया कि यह उसका काम है और इसलिए उसने वहां (राष्ट्रीय स्तर पर) ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया, मैंने यहां (महाराष्ट्र में) ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया.”

उन्होंने कहा कि जब पिछले साल सरकार बदली और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में आई तो वह महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता नहीं बनना चाहते थे.

वह केवल इसलिए विपक्ष के नेता बने क्योंकि विधायकों ने जिद करके एक कागज पर हस्ताक्षर कर दिए और पार्टी नेतृत्व ने उन्हें यह पद संभालने के लिए कहा.

अजित पवार ने कहा, “मैंने एक साल तक विपक्ष के नेता के रूप में काम किया है. कुछ लोग कहते हैं कि मैं उतना आक्रामक नहीं हूं. अब मैं क्या करूं? उनकी गर्दन पकड़ूं?” .

उन्होंने यह भी बताया कि प्रशासन को अच्छे से चलाने का उनका रिकॉर्ड कैसा रहा है. अजित ने कहा, “मैंने मंत्रालय में काम किया है. मैं लोगों का काम हां या ना में तुरंत निपटा देता हूं.”

(अनुवाद -संपादन: पूजा मेहरोत्रा)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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