पुणे: पुणे में एक नया बुक क्लब खुला है. यहां पर वीकेंड मीटिंग के लिए किसी भी तरह की मेम्बरशिप, चाय-बिस्कुट और किसी कमरे की भी जरुरत नहीं है – यहां के पुस्तक प्रेमियों ने किताबें पढ़नें के लिए आउटडोर को चुना है.
पिछले हफ्ते शनिवार की सुबह, अलीशिया स्टेशनवाला, एक वास्तुकार, फर्ग्यूसन कॉलेज के पास कमला नेहरू पार्क में लगभग 9 बजे प्रवेश किया. एक पेड़ के नीचे छाया में एक जगह देखकर वह बैठ गई और अरुंधति रॉय की द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स को अपने टोट बैग से निकाला और उसमें झांकना शुरू कर दिया. उन्होंने अपने पानी के बोतल को बगल में ही रख दिया.
लेकिन वह पिकनिक मनाने नहीं आई थी. यह पुणे का सबसे बड़ा पढ़ने का कमरा है – पुणे रीड्स द्वारा स्थापित, एक पहल जो पढ़ाई और पढ़ने वालो को घर से बहार लेकर आते हैं.
कुछ मिनट बाद उनके आयु वर्ग के कुछ और लोग- गौरी गुराने, जो इंफोसिस में काम करते हैं, और आदित्य रजवाडे-उनके साथ जुड़ गए और पढ़ना शुरू कर दिया. किसी के हाथ में सलमान रुश्दी की हारून और कहानियों का सागर था; दूसरे के पास जॉर्ज ऑरवेल का एनिमल फ़ार्म था. कुछ पलों के बाद, उन्होंने आपस में बातचीत की और अपना परिचय दिया.
स्टेशनवाला कहती हैं, “मुझे पढ़ना पसंद है, लेकिन बाहर आना और पढ़ना दूसरों की ऊर्जा को भी बढ़ाने जैसा है. कभी-कभी, अकेले बैठना और पढ़ना बहुत मुश्किल हो जाता है. पांच दिनों के काम के बाद घर पर अकेले अपने कमरे में पढ़ना थोड़ा मुश्किल है, इसलिए यहां खुले में आना अच्छा है.”
हालांकि गर्मी तेज हो रही थी, लेकिन पक्षियों की चहचहाहट, ठंडी छाया और हवाएं सुबह को सुहावना बना रही थीं. अब अधिक से अधिक पाठक आने लगे थे.
घास पर अपनी चटाई बिछा कर सब पढ़ने लगे. कुछ लेट गए, कुछ वहां लगे बेंचों पर बैठ गए.
लेकिन अचानक ही उन्हें किसी ने परेशान किया, पार्क के रखरखाव कर्मचारियों ने उन्हें थोड़ी देर के लिए रोका क्योंकि उन्हें घास में पानी देना था.
पुणे रीड्स के संस्थापकों में से एक अदिति कपाड़ी ने पाठकों को बताया, “रुकावट के लिए खेद है, लेकिन यहां के कर्मचारियों का कहना है कि अगले सप्ताह से, वे समय बदल देंगे ताकि हम घास पर बैठ सकें.”
लेकिन यहां जगह की कोई कमी नहीं है. सभी ने जल्दी ही अपने लिए नए कोने खोज लिए और पढ़ना फिर से शुरू कर दिया.
एक साइलेंट एक्टिविटी
पुणे रीड्स की शुरुआत कंटेंट क्रिएटर अदिति कपाड़ी, सॉफ्टवेयर इंजीनियर अदिति चौहान और लेखिका सोनल धर्माधिकारी ने की थी. अपने 20 के दशक के मध्य में, वे बेंगलुरु स्थित एक पठन कार्यक्रम कब्बन रीड्स से प्रेरित थे, जो बाहरी स्थानों को भी पढ़ने के लिए सुरक्षित और शांत स्थानों में बदल देता है. जनवरी 2023 में शुरू हुआ, यह बेंगलुरु से आगे दिल्ली के लोदी गार्डन, मुंबई के कैफ़ी आज़मी पार्क, हैदराबाद के केबीआर पार्क और नोएडा के मेघदूतम पार्क जैसे अन्य स्थानों तक फैल चुका है.
तीनों महिलाओं ने पुणे अध्याय शुरू करने के बारे में व्यक्तिगत रूप से कब्बन रीड्स से संपर्क किया था. कपाड़ी कहती हैं, ”हमने पहल की और इसे यहां शुरू किया.”
इस आउटडोर रीडिंग रूम की शुरुआत करने में बेंगलुरु के आयोजक ने उनकी मदद भी की और वो इस पहल से बहुत खुश भी थे.
कपाड़ी ने आगे कहा, “उन्होंने दिशानिर्देश निर्धारित किए कि उन्होंने इसे वहां कैसे शुरू किया. यह [पुणे रीड्स] एक शांत तरह की एक्टिविटी हैं, अभी तक ग्रुप्स ने कब्बन की तरह आपस में पुस्तकों का आदान-प्रदान शुरू तो नहीं किया है. लेकिन अभी यह एक एक शुरुआत ही है.”
कमला नेहरू पार्क को इसलिए चुना गया क्योंकि यह पुणे के केंद्र में स्थित है और फर्ग्यूसन कॉलेज और बीएमसीसी कॉलेज के करीब है. 3 जून को यहां 30 से ज्यादा लोग आए थे.
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मुफ्त में पढ़ाई
इस डिजिटल युग में पुणे रीड्स पाठकों के लिए पुस्तकों को पढ़ने की खुशी का आनंद लेने का एक स्थान बन गया है – जहां ये किताब को हाथ में पकड़े पढ़ते है उसके पन्ने पलटते है. यहां केवल दो को ही आईपैड और किंडल हाथ में पकडे़ देखा गया.
इन पुराने समय के लोगों के लिए ही कपाड़ी, चौहान और धर्माधिकारी ने पुणे रीड्स की शुरुआत की थी. किसी को बस इतना करना है कि बस एक किताब लेकर आएं – हालांकि, डिजिटल पाठकों का भी स्वागत है – और सुबह 11 बजे तक चुपचाप पढ़ने में डूब जाएं.
धर्माधिकारी ने कहा, “इसका उद्देश्य समान विचारधारा वाले समुदाय के साथ खुले में पढ़ने का आनंद प्राप्त करना है क्योंकि यह कुछ ऐसा है जो आजकल कहीं देखने को ही नहीं मिलता है. हम लोगों के जीवन में खुशी वापस लाना चाहते हैं.”
अदिति खरे, एक प्रोफेसर, यहां अकेले में पढ़ने आती हैं. यह घर के कामों से दूर उनका ‘मी टाइम’ था. खरे का कहना है कि शादी के साथ आने वाली जिम्मेदारियों के कारण उनकी पढ़ने की आदतों पर असर पड़ा. पुणे रीड्स उन्हें किताबों के साथ जुड़ने में मदद करता है.
उन्होंने कहा, “यहां पर अच्छी शांति है, घर पर बहुत तरह का डिस्ट्रैक्शन होता है. यहां मैं मग्न होकर पढ़ सकती हूं.”
रीडर्स की भीड़
3 जून को, पाठक अपने साथ कई तरह की किताबें लेकर आए – पी साईनाथ की एवरीबडी लव्स ए गुड ड्रॉट, लुईस कैरोल की एलिस इन वंडरलैंड, सिद्धार्थ मुखर्जी की द जीन से लेकर मीना प्रभु की मराठी और पीयूष मिश्रा की हिंदी किताबें तक.
तन्मय कुलकर्णी, जो 20 वर्ष का है और पुणे में लाॅ की पढ़ाई कर रहा है, के लिए प्रकृति के साथ-साथ इस विविधता ने उसे रीडिंग क्लब की ओर आकर्षित किया. वह 12 वर्षों से एक उत्साही पाठक हैं.
वह कहते हैं, “मैं देखता हूं कि कुछ [जेम्स क्लीयर] एटॉमिक हैबिट्स पढ़ रहे हैं, कुछ फ्रेड्रिक बैकमैन के चिंताग्रस्त लोग. शैलियों की विशालता बहुत दिलचस्प है, और यह लोगों की विविधता को दर्शाती है. घर में टीवी और सब कुछ है, लेकिन यहां ऐसा लगता है [जैसे] आप प्रकृति के साथ हैं. आपको किसी विशिष्ट उपकरण की आवश्यकता नहीं है. आप अपने साथ हो.”
पाठकों का कहना है कि बगीचे का अनुभव कॉफी शॉप, कैफे या यहां तक कि एक पुस्तकालय से अलग है जहां मेम्बरशिप के लिए पैसे देने पड़ते है. कैफे में, अच्छी तरह से पढ़ने का आनंद लेने के लिए खाना या कॉफी का ऑर्डर देना पड़ता है. लेकिन प्रकृति की गोद में पढ़ना शनिवार की सुबह को खास बनाता है.
एक शनिवार खुद के साथ
पुणे रीड्स का अनुभव सिर्फ पढ़ने का नहीं है – यह एक पढ़ने वाले समुदाय का हिस्सा होने और पैशन शेयर करने के बारे में है.
पहले सत्र में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक रही. हालांकि यह एक शांत पठन अभ्यास माना जाता है, नए दोस्त बनाना एक इसका एक और फायदा है.
गुराणे, जो अभी 20 साल की हैं और इंफोसिस में काम करती हैं, कहती हैं कि वह बहिर्मुखी हैं. “मैं समान विचारधारा वाले लोगों से मिलना पसंद करती हूं.”
राजवाड़े को घर पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है. वे कहते हैं, “लेकिन यहां, पिछले 2 घंटों में मेरी एकाग्रता बहुत अच्छी रही है.”
अनुष्का गुप्ता, जो एक आईटी कंपनी में काम करती हैं, अभी भी शहर को एक्स्प्लोर कर रही हैं और विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों की तलाश कर रही हैं. “यह अपना समय बिताने और लोगों से मिलने का एक अच्छा तरीका है.”
यह तो सिर्फ शुरुआत है
पुणे रीड्स अब इंस्टाग्राम पर है. और कपाड़ी, चौहान और धर्माधिकारी प्रतिक्रिया से हैरान थे.
चौहान ने कहा, पार्क से 20-25 किमी दूर खराड़ी तक के लोगों ने रीडिंग सेशन के बारे में पूछा. हम उम्मीद कर रहे हैं कि अधिक से अधिक लोग हमसे जुड़ेंगे. हमारे पास पहले से ही 250 से अधिक फॉलोअर्स हैं.
कपाड़ी ने कहा, “शायद हम पुणे में कुछ और ओपन लाइब्रेरी खोल सकते हैं. चलो देखते हैं.”
वर्तमान में, समूह के लिए खुले में इकट्ठा होना आसान है. लेकिन मानसून आने के साथ, वे पार्क के भीतर एक इनडोर स्थान की तलाश कर रहे हैं.
फ़िलहाल हर कोई अपनी किताबें लेकर आता है, और क्यूरेटर कहते हैं कि वे भविष्य में एक विनिमय नीति भी पेश कर सकते हैं जहां पाठकों के बीच किताबों की अदला-बदली की जा सकती है, जिससे उन्हें और पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.
धर्माधिकारी कहते हैं, “लोग आमतौर पर पढ़नें के दौरान खुद में ही मग्न रहते हैं जो अन्य शैलियों को पढ़ने के प्रति लोगों के व्यवहार को भी बदल सकते हैं. यह तो बस शुरुआत है.”
जैसे ही सबने पढ़ना खत्म किया और अपना सामान समेत लिया, सभी एक ग्रुप फोटो के लिए इकट्ठा हो गए. सभी ने अपने नए दोस्तों से अगले शनिवार को मिलने का वादा किया.
कपाड़ी का कहना है कि अगर रीडिंग सेशन की मांग बढ़ती है तो वे रविवार को भी सेशन शुरू करने पर विचार करेंगे.
आर्किटेक्ट स्टेशनवाला ने कहा, “यह एक अच्छी शुरुआत है. कभी-कभी, आपको इस बारे में बात करने की ज़रूरत होती है कि आप क्या पढ़ रहे हैं, आप क्या सोच रहे हैं.”
(संपादन: अलमिना खातून)
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