नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में स्थित तिहाड़ केंद्रीय कारागार में महिला कैदियों की जिंदगी में फिर से रोशनी भरने के लिए एक विशेष पहल की जा रही है ताकि जेल से बाहर निकलने के बाद वे सम्मान के साथ समाज में सिर उठाकर चल सकें. यहां उन्हें ब्यूटिशन का कोर्स कराने के साथ ही उन्हें फैशन डिजाइनिंग और मॉडलिंग के गुर भी सिखाए जा रहे हैं.
उनकी ओर से तैयार पौशाकें कभी कभी पेशेवर मॉडल भी पहनती हैं. तिहाड़ जेल में केंद्रीय जेल नंबर छह की ये कैदी अचार बनाना, डिजाइन तैयार करना, बुनाई करना और ब्यूटी कोर्स जैसी गतिविधियों के माध्यम से स्वयं को सशक्त बनाने के मार्ग पर हैं. इसके अलावा जेल में ब्यूटी पार्लर भी है जहां महिला कैदियों को ब्यूटीशियन का कोर्स कराया जा रहा है.
प्रशिक्षण का उद्देश्य कैदियों को जेल से बाहर आने के बाद सम्मान और स्वतंत्रता से जीवन जीने का मौका देना है.
जेल अधिकारियों के मुताबिक, कैदियों – विचाराधीन और दोषियों – को एक अकादमी द्वारा ‘फैशनेबल’ पौशाकें डिजाइन करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है और कोर्स को पूरा करने बाद उन्हें प्रमाणपत्र भी दिया जाएगा.
दुनिया भर से मॉडल हाल में इन महिलाओं से मिलने आईं और जेल के अंदर आयोजित किए गए एक ‘फैशन शो’ में वे कैदियों द्वारा तैयार लिए गए लिबास पहनकर रैंप पर चलीं.
हत्या के मामले में एक विचाराधीन कैदी ने कहा कि उसे पर्ल अकादमी के प्रशिक्षकों द्वारा सभी प्रकार की सिलाई और कढ़ाई सिखाई गई है. वह उम्मीद करती है कि जेल से छूटने के बाद वह अपने नए कौशल का इस्तेमाल कर जीविका कमा सकेगी.
उसकी ही तरह, तिहाड़ जेल की हथकरघा इकाई में लगभग 100 महिला कैदियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है, जहां उन्हें तौलिया, साड़ी और कपड़े बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है.
हत्या के जुर्म में तिहाड़ में नौ साल से सज़ा काट रही दोषी एक कैदी ने कहा कि हथकरघे पर काम करना उन्हें व्यस्त रखता है और अच्छे जीवन की आशाओं से भर देता है.
दिल्ली जेल के महानिदेशक संजय बेनीवाल ने कहा कि कैदियों को किसी सकारात्मक और उत्पादक कार्य में शामिल करना बहुत अहम है.
तिहाड़ जेल नंबर छह में नए ब्यूटी पार्लर को हेयर स्टाइलिस्ट हबीब द्वारा प्रशिक्षित महिला कैदी संचालित करती हैं. यह एक बेहतरीन कमरे में हैं जहां ऐश्वर्या राय बच्चन, करीना कपूर और माधुरी दीक्षित के पोस्टरों को दीवारों पर लगाया गया है. दीवार पर एक बड़ा सा आईना लगा है और प्रतीक्षारत ग्राहकों के लिए लकड़ी की कुर्सियों का भी इंतजाम है.
कई महिला कैदी रिश्तेदारों के मिलने आने से पहले या अदालत में सुनवाई से पहले ‘टच अप’ के लिए ब्यूटी पार्लर आती हैं.
पार्लर में काम करने वाली एक कैदी ने कहा कि उसे ‘मेक-अप’ करने के कुछ तरीके पता थे लेकिन यहां प्रशिक्षित होने के बाद वह एक पेशेवर की तरह महसूस करती है और अपने काम को पसंद करती है.
जेल अधीक्षक कृष्णा शर्मा ने कहा कि कैदियों को पुनर्वास कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
उन्होंने कहा, ‘पिछले एक साल में ही 300 से अधिक महिला कैदी इस कार्यक्रम से लाभान्वित हुई हैं. इस बात की संभावना कम है कि इन महिलाओं को उनके परिवार फिर से स्वीकार करेंगे. ऐसे में इस प्रशिक्षण से उन्हें अपनी जिंदगी जीने के लिए किसी का मुंह नहीं ताकना पड़ेगा.’
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