दामोह (मध्य प्रदेश) : कर्नाटक के बाद अब मध्य प्रदेश में हिजाब विवाद गरमा रहा है. मध्य प्रदेश पुलिस ने दामोह के एक प्राइवेट स्कूल के खिलाफ कथित हिंदू लड़कियों को हिजाब पहनाने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पैदा हुए विवाद को लेकर एफआईआर दर्ज की गई है.
इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने कहा था कि स्कूल के खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी. चौहान ने कहा था, ‘प्रदेश में कुछ जगहों पर धर्म परिवर्तन की साजिशें चल रही हैं और हम इसे सफल नहीं होने देंगे. हमने पूरे प्रदेश में जांच-पड़ताल के निर्देश दिए हैं, खासतौर से शैक्षणिक संस्थानों में जहां मदरसे हों या जहां गलत तरीके से लोगों को शिक्षा दी जा रही हो.’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘दामोह मामले में, हमें रिपोर्ट ले रहे हैं और हमें बताया गया है कि उन लड़कियों को जबरन बयान देने पर मजबूर किया गया. यह बहुत गंभीर मामला है. कड़ी कार्रवाई की जाएगी.’
गौरतलब है कि कर्नाटक में भी हिजाब का मुद्दा गरमाया था. जहां 31 दिसंबर 2021 को राज्य के उडुपी कॉलेज द्वारा 6 मुस्लिम लड़कियों हिजाब पहनने से रोक दिया था जिसके बाद वे धरने पर बैठ गई थीं, वहीं हिंदू लड़के भी भगवा ड्रेस पहनकर कॉलेजों में आने लगे थे. उसी दिन यह मामला हाईकोर्ट पहुंच गया था. बाद में हाईकोर्ट ने दायर विभिन्न याचिकाओं पर कॉलेज यूनिफॉर्म को जरूरी बताया था, और कर्नाटक की भाजपा सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था.
इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट जाने पर सुनवाई होने तक राज्य के सभी कॉलेजों को सर्कुलर जारी कर हिदूं, मुस्लिम सभी धर्म के छात्र-छात्राओं को यूनिफॉर्म में आने को कह दिया गया था. बाद में इस पर सुप्रीम कोर्ट का बंटा हुआ फैसला आया और फिर मामले को शीर्ष अदालत के एक बड़ी बेंच के पास भेज दिया गया है, जहां ये मामला अभी लंबित है.
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कुछ हिंदू लड़कियों की हिजाब में तस्वीरें हुई थीं वायरल
एमपी के दामोह के पुलिस अधीक्षक (एसपी) राकेश सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘गंगा जमना स्कूल विवाद में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और सरकार की ओर से जांच में सामने आए तथ्यों के मुताबिक लगातार कार्रवाई के निर्देश दिए जा रहे थे. कल, दो-तीन लड़कियों के बयान सामने आए, इसके बाद यह महसूस किया गया कि उनके विचार गौर करने लायक हैं और जांच कमेटी ने इस पर संज्ञान लेने के लिए, ये बयान हमें भी भेजे थे.’
दामोह के पुलिस अधीक्षक ने कहा, उन्होंने पुलिस को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की 295,506 और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत स्कूल प्रशासन के खिलाफ मामला दर्ज करने को कहा.
एसपी ने कहा कि हो सकता है कि जांच के बाद धाराओं और आरोपियों की संख्या बढ़े. ‘अब स्कूल प्रबंधन से जुड़े लोगों के बयान दर्ज किए जाएंगे और इसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.’
मध्य प्रदेश के दामोह में गंगा जमना स्कूल, तथाकथित पोस्टर के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद चर्चा में प्रमुखता से आया, जिसमें कथित तौर पर कुछ हिंदू लड़कियां हिजाब पहने हुए नजर आ रही थीं.
इस बीच, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के प्रमुख प्रियांक कानूनगो ने भी ट्विटर पर एक तस्वीर साझा की है और लिखा है, ‘यह मध्य प्रदेश के दामोह स्कूल का लोगो है, जिसके खिलाफ हिंदू बच्चों को हिजाब पहनाने, इस्लामिक शिक्षा देने और उनका धर्म परिवर्तित करने को लेकर जांच की जा रही है, यहां भारत के नक्शे में भी आधे हिस्से से छेड़छाड़ कर उसे गायब कर दिया गया है.’
उन्होंने आगे लिखा, ‘न केवल यही, बल्कि उसका मालिक वही लोगो अन्य व्यापारिक संगठनों के लिए इस्तेमाल कर रहा है. शैक्षणिक संस्थान द्वारा हमारे देश के नक्शे के साथ इस तरह की छेड़छाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए. एनसीपीसीआर ने इसे गंभीरता से लिया है, और एफआईआर दर्ज करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार को जरूरी निर्देश भेज दिए गए हैं.’
नियमों का पालन न करने पर स्कूल मान्यता रद्द की
इससे पहले, मध्य प्रदेश माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मान्यता नियम 2017 और संशोधित नियम 2020 का पालन न करने पर गंगा जमना उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की संबद्धता को निलंबित कर दिया गया था, जहां हिजाब पहने लड़कियों के कथित पोस्टर सामने आया था.
सर्कुलर के मुताबिक, स्कूल में पुस्तकालय की उचित व्यवस्था नहीं है, पुरानी कुर्सियां और पुराने मैटेरियल्स लैबोरेट्रीज रूम रखे हुए हैं और स्कूल में उचित प्रयोगशालात्मक मैटेरियल्स नहीं हैं. स्कूल में 1,208 छात्र रजिस्टर्ड हैं. वहां न तो लड़के-लड़कियों के लिए उचित टॉयलेट की व्यवस्था है न ही शुद्ध पानी की.
कर्नाटक में गरमाया था हिजाब विवाद
कर्नाटक में हिजाब विवाद तब भड़क उठा जब 31 दिसंबर 2021 को उडुपी में गवर्नमेंट पीयू कॉलेज ने कथित तौर पर हिजाब पहनने वाली 6 लड़कियों को कॉलेज में प्रवेश पर रोक लगा दी थी. इसके बाद प्रवेश नहीं दिए जाने को लेकर छात्राएं कॉलेज के बाहर धरने पर बैठ गईं थीं. इसी दिन मामला हाईकोर्ट पहुंच गया था.
इसके बाद उडुपी के कई कॉलेजों के हिंदू धर्म के लड़के भगवा गमछा पहनकर क्लास अटेंड करने लगे. यह विरोध राज्य के अन्य हिस्सों में भी फैल गया था और कर्नाटक में कई स्थानों पर विरोध और आंदोलन हुए थे.
नतीजतन, कर्नाटक सरकार ने कहा था कि सभी छात्रों को यूनिफार्म का पालन करना चाहिए और हिजाब और भगवा गमछा दोनों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए, जब तक कि एक विशेषज्ञ समिति इस मुद्दे पर फैसला नहीं करती.
5 फरवरी को 2022 को, प्री-यूनिवर्सिटी शिक्षा बोर्ड ने एक सर्कुलर जारी किया जिसमें कहा गया था कि छात्र केवल स्कूल प्रशासन द्वारा अनुमोदित यूनिफार्म पहन सकते हैं और कॉलेजों में किसी अन्य धार्मिक पोशाक की अनुमति नहीं होगी.
हाईकोर्ट ने हिजाब प्रतिबंध के पक्ष में दिया था फैसला
बाद में यहा कर्नाटक उच्च न्यायालय पहुंचा था. हाईकोर्ट ने हिजाब मामले पर प्रतिबंध के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम धर्म के लिहाज से अनिवार्य नहीं है. इसीलिए शैक्षणिक संस्थानों में इस पर प्रतिबंध की मांग सही है. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की उन अपीलों को खारिज कर दिया था, जिसमें हिजाब पहनने को महिलाओं का मौलिक अधिकार बताया गया था. कोर्ट ने राज्य की भाजपा सरकार को इस बाबत आदेश पारित करने का अधिकार भी दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था बंटा हुआ फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 13 अक्टूबर 2022 को मामले में सुनवाई करते हुए कर्नाटक हिजाब प्रतिबंध मामले में बंटा हुआ फैसला सुनाया था. जस्टिस हेमंत गुप्ता ने हिजाब पर प्रतिबंध के खिलाफ याचिकाओं को खारिज कर दिया, जबकि जस्टिस सुधांशु ने उन याचिकाओं को सही ठहराते हुए हिजाब पहनने की अनुमति दी थी.
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों में से एक ने कहा कि मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाएगा और वह तय करेंगे कि नई पीठ मामले की सुनवाई करेगी या मामले को बड़ी पीठ के पास भेजा जाएगा.
जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया, जिन्होंने राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने के राज्य सरकार के आदेश को बरकरार रखा.
जस्टिस गुप्ता ने कहा था, विचारों में भिन्नता है. मेरे आदेश में, मैंने 11 सवाल तैयार किए हैं. पहला यह कि क्या अपील को संविधान पीठ के पास भेजा जाना चाहिए.’
वहीं जस्टिस सुधांशु धूलिया ने याचिकाओं को अनुमति दे दी थी और कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया था.
न्यायमूर्ति धूलिया ने आदेश सुनाते हुए कहा था, ‘यह पसंद की बात है, इससे ज्यादा कुछ नहीं.’
शीर्ष अदालत ने इससे पहले शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को बरकरार रखते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.
मामले में बहस 10 दिनों तक चली जिसमें याचिकाकर्ता की ओर से 21 वकीलों और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज, कर्नाटक के महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी ने प्रतिवादियों के लिए तर्क दिया.
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