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Saturday, 4 May, 2024
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SC का कर्नाटक हिजाब प्रतबंध केस में बंटा हुआ फैसला, CJI के सामने जाएगा मामला

याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों में से एक ने कहा कि मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाएगा और वह तय करेंगे कि नई पीठ मामले की सुनवाई करेगी या मामले को बड़ी पीठ के पास भेजा जाएगा.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कर्नाटक हिजाब प्रतिबंध मामले में बंटा हुआ फैसला सुनाया. जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया ने आज फैसला सुनाया. जस्टिस हेमंत गुप्ता ने हिजाब पर प्रतिबंध के खिलाफ याचिकाओं को खारिज कर दिया, जबकि जस्टिस सुधांशु ने उन याचिकाओं को अनुमति दी.

याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों में से एक ने कहा कि मामले को भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाएगा और वह तय करेंगे कि नई पीठ मामले की सुनवाई करेगी या मामले को बड़ी पीठ के पास भेजा जाएगा.

जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया, जिन्होंने राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने के राज्य सरकार के आदेश को बरकरार रखा.

जस्टिट गुप्ता ने कहा, विचारों में भिन्नता है. मेरे आदेश में, मैंने 11 सवाल तैयार किए हैं. पहला यह कि क्या अपील को संविधान पीठ के पास भेजा जाना चाहिए.’

जस्टिस सुधांशु धूलिया याचिकाओं को अनुमति दी और कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया.

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न्यायमूर्ति धूलिया ने आदेश सुनाते हुए कहा, ‘यह पसंद की बात है, इससे ज्यादा कुछ नहीं.’

शीर्ष अदालत ने इससे पहले शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को बरकरार रखते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.

मामले में बहस 10 दिनों तक चली जिसमें याचिकाकर्ता की ओर से 21 वकीलों और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज, कर्नाटक के महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी ने प्रतिवादियों के लिए तर्क दिया.

अदालत कर्नाटक एचसी के फैसले के खिलाफ विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें शैक्षणिक संस्थानों को यूनिफार्म तय करने के निर्देश देने के कर्नाटक सरकार के फैसले को बरकरार रखा गया था.

अदालत को संबोधित करते हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने अपने प्रत्युत्तर में कहा था कि ड्रेस कोड लागू करने वाले कर्नाटक सरकार के परिपत्र में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का कोई संदर्भ नहीं है.

विभिन्न याचिकाकर्ताओं ने कर्नाटक एचसी के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें कर्नाटक सरकार के आदेश को बरकरार रखा गया है, जो स्कूलों और कॉलेजों के यूनिफार्म नियमों को सख्ती से लागू करने का निर्देश देता है.

शीर्ष अदालत में अपीलों में से एक ने आरोप लगाया है कि ‘सरकारी अधिकारियों के सौतेले व्यवहार ने छात्रों को अपने विश्वास को प्रैक्टिस करने से रोका है और इसके परिणामस्वरूप अवांछित कानून और व्यवस्था की स्थिति पैदा हुई है.’

अपील में कहा गया है कि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में ‘अपने दिमाग के इस्तेमाल में पूरी तरह से विफल रहा है और स्थिति की गंभीरता के साथ-साथ भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत निहित आवश्यक धार्मिक प्रथाओं के मूल पहलू को समझने में असमर्थ रहा.’

मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जेएम खाजी की कर्नाटक उच्च न्यायालय की एक पीठ ने पहले माना था कि यूनिफार्म का निर्धारण उचित है जिस पर छात्र आपत्ति नहीं कर सकते और हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं को खारिज कर दिया था.

हिजाब विवाद इस साल जनवरी में तब भड़क उठा जब उडुपी में गवर्नमेंट पीयू कॉलेज ने कथित तौर पर हिजाब पहनने वाली छह लड़कियों को प्रवेश करने से रोक दिया था. इसके बाद प्रवेश नहीं दिए जाने को लेकर छात्राएं कॉलेज के बाहर धरने पर बैठ गईं थीं.

इसके बाद उडुपी के कई कॉलेजों के लड़के भगवा गमछा पहनकर क्लास अटेंड करने लगे. यह विरोध राज्य के अन्य हिस्सों में भी फैल गया और कर्नाटक में कई स्थानों पर विरोध और आंदोलन हुए.

नतीजतन, कर्नाटक सरकार ने कहा कि सभी छात्रों को यूनिफार्म का पालन करना चाहिए और हिजाब और भगवा गमछा दोनों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए, जब तक कि एक विशेषज्ञ समिति ने इस मुद्दे पर फैसला नहीं करती.

5 फरवरी को, प्री-यूनिवर्सिटी शिक्षा बोर्ड ने एक सर्कुलर जारी किया जिसमें कहा गया था कि छात्र केवल स्कूल प्रशासन द्वारा अनुमोदित यूनिफार्म पहन सकते हैं और कॉलेजों में किसी अन्य धार्मिक पोशाक की अनुमति नहीं होगी.


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