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Friday, 22 November, 2024
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क्या मोदी सरकार के दिल्ली अध्यादेश को राज्यसभा में गिराया जा सकता है? संभावना कम, विपक्ष के पास कम नंबर

दिल्ली एल-जी की शक्तियों को दोबारा वापस लाने के लिए लाए गए अध्यादेश के विधेयक को संसद सत्र में पेश किए जाएगा, लेकिन ‘आप’ द्वारा विपक्ष को एकजुट करने के प्रयासों के बावजूद बीजेपी द्वारा राज्यसभा विधेयक सफलतापूर्वक पास करवाया जा सकता है.

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नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल उपराज्यपाल के कार्यालय को अधिक प्रशासनिक अधिकार देने वाले केंद्र सरकार के अध्यादेश को बदलने के लिए संसद में पेश होने वाले विधेयक के खिलाफ मतदान करने विपक्षी दलों के नेताओं से लगातार मिल रहे हैं. केजरीवाल को उम्मीद है कि वह राज्यसभा में इस बिल को रोक लेंगे. फिर भी, केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाली सरकार वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और बीजू जनता दल जैसी अपनी पारंपरिक मित्र दलों के समर्थन के बावजूद आराम से विधेयक पास करवा सकती है.

आगामी मानसून सत्र के दौरान संसद में विधेयक पेश किए जाने की संभावना है.

19 मई को केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (GNCTD) (संशोधन) अध्यादेश, लाई जो दिल्ली में नौकरशाहों की पोस्टिंग और ट्रांसफर के लिए उपराज्यपाल को अधिक अधिकार देता है.

हालांकि, यह अध्यादेश- जो दिल्ली सरकार को “सेवाओं” पर अधिक विधायी और प्रशासनिक नियंत्रण देने वाले 11 मई के SC के फैसले को खत्म कर देता है- इस मामले में एलजी को अधिक पावर देता है. 

राज्यसभा में अभी सात सीटें खाली है. अभी उच्च सदन में कुल 238 सदस्य हैं. इसमें चार सीटें जम्मू और कश्मीर से, दो नॉमिनेट और एक पश्चिम बंगाल से राज्यसभा की सीट खाली है. उच्च सदन में अभी बहुमत का निशान 120 है.

जबकि बीजेपी नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को लोकसभा में बहुमत है लेकिन उनके पास राज्यसभा में  बहुमत नहीं है. वह YSR कांग्रेस पार्टी (YSRCP) और बीजू जनता दल (BJD) जैसे मित्रवत विपक्षी दलों पर निर्भर है. जब भी कोई महत्वपूर्ण विधेयक बीजेपी इन दलों से सहयोग लेती है.

अभी उच्च सदन में एनडीए के सदस्यों की संख्या 106 है. इसमें से बीजेपी के पास 93 सदस्य हैं, जिनमें पांच मनोनीत सदस्य शामिल हैं जो बीजेपी के हैं- महेश जेठमलानी, राकेश सिन्हा, सोनल मानसिंह, राम शकल और गुलाम अली खटाना.

शेष पांच मनोनीत सदस्य हैं- रंजन गोगोई, वीरेंद्र हेगड़े, पी.टी. उषा, वी. विजयेंद्र प्रसाद और इलैयाराजा. हालांकि ये किसी भी पार्टी से संबद्ध नहीं हैं लेकिन सदन में इनके द्वारा बीजेपी को समर्थन देने की संभावना है, जिससे उच्च सदन में एनडीए की कुल संख्या 111 हो जाएगी.

इसके विपरीत, विपक्षी दलों की अगर बात करे तो, वाईएसआरसीपी, बीजद, बसपा, टीडीपी और जनता दल (सेक्युलर) को छोड़कर, जिनके पास 21 राज्यसभा सदस्य हैं – यह संख्या 106 है. इसमें आप के 10 राज्यसभा सदस्य भी शामिल हैं.

वाईएसआरसीपी, बीजद, बसपा, तेदेपा और जनता दल (सेक्युलर) उन विपक्षी दलों में शामिल थे, जिन्होंने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नई संसद के उद्घाटन का बहिष्कार नहीं किया था. हालांकि, अभी तक उन्होंने अध्यादेश के मुद्दे पर अपना पक्ष स्पष्ट नहीं किया है, क्योंकि इसमें राज्य का अधिकार शामिल है.

यदि वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी – दोनों के राज्यसभा में नौ सदस्य हैं – बीजेपी के साथ जाती हैं, तो एनडीए की संख्या बहुमत से काफी आगे बढ़कर 129 पहुंच जाएगी.

अगर अतीत की बात करे तो YSRCP और BJD ने या तो बीजेपी का समर्थन किया है या मतदान से दूर रहे हैं. इस बार भी कुछ यहीं संभावना दिख रही है.

वाईएसआरसीपी के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया कि अध्यादेश पर राज्यसभा में पार्टी किसे समर्थन देगी, इस पर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है और इसका फैसला पार्टी अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी करेंगे.

उन्होंने कहा, “लेकिन हमारा रुख यह है कि आंशिक राज्य का दर्जा प्राप्त दिल्ली को पूरी तरह से दर्जा देना उचित है क्योंकि यह देश की राजधानी है और राज्यों के मुख्यमंत्रियों की मेजबानी करता है. कूटनीतिक कारणों से और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए दिल्ली का विशेष दर्जा जायज है. इसे पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिल सकता. हम इस मुद्दे पर बीजेपी का समर्थन करेंगे.”

बीजेडी, जिसने अतीत में कई विवादास्पद कानून, जैसे- नागरिकता (संशोधन) विधेयक, ट्रिपल तालक को आपराधिक बनाने के कानून, गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम में संशोधन और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने जैसे मुद्दों को लेकर बीजेपी का समर्थन किया है, एलजी बिल पर आप का समर्थन करेंगे या नहीं, इस पर अब तक कोई वादा नहीं किया गया है.

बीजेडी के एक वरिष्ठ नेता, जो अपना नाम नहीं बताना चाहते थे, ने दिप्रिंट को बताया कि इस मामले पर कोई स्टैंड लेना जल्दबाजी होगी. हालांकि उन्होंने कहा कि पार्टी बीजेपी और विपक्ष, दोनों समूहों से समान दूरी बनाए हुए है.

बीजेडी नेता ने कहा, “हम बीजेपी को मुद्दा आधारित समर्थन देते हैं. अध्यादेश को बदलने के लिए प्रस्तावित विधेयक पर, हमारे पार्टी अध्यक्ष और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ही अंतिम निर्णय लेंगे.”

हालांकि, राज्यसभा में एक-एक सदस्य वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा), तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) और जनता दल (सेक्युलर) ने भी अभी तक बीजेपी से कोई वादा नहीं किया है. या तो वे बीजेपी के साथ जा सकते हैं या इससे दूर रह सकते हैं. ये तीनों पार्टियां उन 21 दलों के विपक्षी समूह में भी शामिल नहीं हुई थीं, जिन्होंने रविवार को पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने की घोषणा की थी.

बीजेपी की एक पूर्व सहयोगी के अनुसार, तेदेपा धीरे-धीरे बीजेपी के साथ नरम हो रही है. अफवाह है कि पार्टी 2024 के चुनावों से पहले बीजेपी के साथ अपने गठबंधन को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रही थी. टीडीपी 2018 में आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग के कारण गठबंधन से बाहर हो गई थी.

टीडीपी के राज्यसभा सांसद के. रवींद्र कुमार ने दिप्रिंट को बताया, “पार्टी नेतृत्व ने [दिल्ली अध्यादेश के] इस मामले पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है. हम अध्यादेश को पहले देखेंगे और उसके बाद ही कोई स्टैंड लेंगे. इसके अलावा, बीजेपी या किसी भी विपक्षी दल ने समर्थन के लिए हमसे संपर्क नहीं किया है.”

अगर सभी पांच पार्टियां- YSRCP, BJD, BSP, TDP और JD(S) बीजेपी को समर्थन देने का फैसला करती हैं, तो NDA की संख्या 132 हो जाएगी.


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विपक्षी दल कमजोर स्थिति में?

विपक्षी दलों में, अब तक तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), जनता दल (यूनाइटेड) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने खुले तौर पर दिल्ली में उपराज्यपाल को और अधिक ताकत देने वाले केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ आप को अपना समर्थन देने की घोषणा की है. 

जबकि राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के 12 सदस्य हैं, शिवसेना के तीन, राकांपा के चार और जद (यू) के पांच सदस्य हैं. इन चारों के अलावा, आप को अन्य समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों जैसे- द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK), NCP, वामपंथी दल, भारत राष्ट्र समिति (BRS) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) से समर्थन मिलने की संभावना है.

साथ में, इन दलों में अगर कांग्रेस और आप के सदस्यों की संख्या को अगर जोड़ा जाए तो विपक्ष की ताकत 106 पहुंच जाती है. 

हालांकि, कांग्रेस, जो 31 सदस्यों के साथ राज्यसभा की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है, अब तक इस बात पर कोई फैसला नहीं ले पाई है कि क्या वे प्रस्तावित विधेयक के खिलाफ मतदान करेंगे, जब यह राज्यसभा में आएगा.

22 मई को कांग्रेस महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल ने ट्वीट किया कि पार्टी अंतिम निर्णय लेने से पहले अध्यादेश के मुद्दे पर राज्य इकाइयों और अन्य समान विचारधारा वाले दलों से बातचीत करेगी. कांग्रेस की दिल्ली और पंजाब इकाइयां आप के साथ गठबंधन को लेकर सतर्क हैं और उन्होंने पार्टी आलाकमान को इस बारे में बता दिया है. पार्टी का समर्थन हासिल करने के लिए केजरीवाल आने वाले दिनों में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी से मुलाकात कर सकते हैं.

विपक्षी दलों ने हाल ही में कई मुद्दों पर हाथ मिलाया है. बुधवार को कांग्रेस, आप और तृणमूल कांग्रेस सहित 20 ‘समान विचारधारा’ वाले विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने की घोषणा की थी.

लेकिन अगर आप बीजेडी और वाईएसआरसीपी, दोनों का समर्थन हासिल करने में कामयाब हो जाती है, तो इसकी संख्या 124 तक पहुंच जाएगी, जो बहुमत के निशान से थोड़ा अधिक है. हालांकि इसकी इसकी संभावना फिलहाल बहुत कम दिखती है. यदि YSRCP, BJD, BSP, TDP और JD(S) सहित सभी विपक्षी दल अध्यादेश पर NDA के खिलाफ स्टैंड लेते हैं, तो उनकी संख्या 127 हो जाएगी.

2024 के लोकसभा चुनावों में एनडीए के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाने के लिए विभिन्न विपक्षी दलों द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बावजूद, कई पार्टियों के अपने हित हैं और अध्यादेश बिल को हराने के लिए राज्यसभा में आप का पक्ष लेना कई पार्टियों को पसंद नहीं है.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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