नई दिल्ली. चैत्र नवरात्र के पहले दिन भाजपा नेता और फिल्म अभिनेता शत्रुध्न सिन्हा ने आखिरकार कांग्रेस का हाथ पकड़ लिया. बिहारी बाबू भले ही भाजपा से लंबे समय से नाराज चल रहे हों, लेकिन अभी भी उनके दिल और दिमाग से भाजपा निकली नहीं है. इसका एक नजारा कांग्रेस कार्यालय में उनकी प्रेस कांफ्रेस के दौरान दिखाई दी. उन्होंने अपने भाषण में कांग्रेस के नेता और बिहार के कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल को ‘भाजपा का अच्छा और मेहनती नेता’ बता दिया.
दोपहर करीब 12.30 बजे कांग्रेस में शामिल हुए सिन्हा को पार्टी ने दोपहर 2 बजे बिहार की पटना साहिब लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार भी बना दिया. उनकी यहां पर टक्कर भाजपा के रविशंकर प्रसाद से होने वाली है. बता दें कि शत्रुघ्न सिन्हा पिछले दो बार से पटना साहिब से सांसद रहे हैं. उन्होंने यहां से 2009 और 2014 में चुनाव जीता था.
बागी हुए लेकिन भाजपा प्रेम है बरकरार
जब पत्रकारों ने उन्हें इस पर टोका तो उन्होंने अपने फिल्मी अंदाज में कहा कि टआज ही भाजपा को छोड़ा है, आज भाजपा का स्थापना दिवस भी है. दिल भारी भी है.’ इसके बाद उन्होंने अपने सिर की हाथों से इशारा कर कहा कि दिमाग में कांग्रेस है, लेकिन जुबान से नाम हटने के लिए थोड़ा वक्त तो लगता है. यही नहीं कांग्रेस का हाथ थामने वाले शत्रुध्न सिन्हा ने अपनी 20 मिनट तक चलने वाली प्रेस कांफ्रेस में 15 बार भाजपा ही नाम लिया.
तीन दशक से भाजपा से जुड़े रहे अभिनेता शत्रुध्न सिन्हा कांग्रेस पार्टी में बतौर स्टार प्रचारक काम करेंगे. कांग्रेस पार्टी सिन्हा को बिहार की पटना साहिब सीट से केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के खिलाफ चुनावी मैदान में उतार सकती है.वहीं सिन्हा भी कई बार कह चुके है कि ‘सिचुएशन जो भी हो, लोकेशन वही होगा’.
वन मैन शो और टू मैन आर्मी की सरकार हैं
कांग्रेस में शामिल होने के बाद सिन्हा ने पीएम मोदी और अमित शाह पर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा धीरे-धीरे लोक शाही से तानाशाही में परिवर्तित हो रही है. मौजूदा बीजेपी नेतृत्व ने यशवंत सिन्हा, मुरली मनोहर जोशी, अरुण शौरी जैसे कद्दावर शख्सियतों को खत्म कर दिया है. बीजेपी में इस वक्त तानाशाही सरकार चल रही है. यह वन मैन शो और टू मैन आर्मी की सरकार है. उन्होंने कहा कि केंद्र के मंत्रियों को अपने पसंद के सचिव रखने की इजाजत तक नहीं हैं. भाजपा पर हमलावर होते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान में भाजपा में विरोधियों को दुश्मन की नजर से देखा जाने लगा है,जबकि आडवाणी जी ने कहा है कि आपका राजनीतिक विरोधी आपका दुश्मन नहीं होता है. वो भी देश के हित में ही बात करता है.
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सिन्हा ने कहा कि भाजपा कहती है की वो दुनियां की सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन किसी को पता नहीं कब और कैसे इतने कार्यकर्ता बन गए. भाजपा कहती है कि 7 करोड़ कार्यकर्ता है, तो कभी कहती है की 11 करोड़ कार्यकर्ता हैं. किसी के पास एक आकड़ा नहीं है. उन्होंने कहा कि नोटबंदी जैसे फैसले से देश के लोगों पर क्या गुजरी यह सत्ता में बैठे लोगों को नहीं पता है. पीएम एक फैसले ने लोगों को लाइन में लगा दिया. प्रचार पर जितना खर्च किया जा रहा है, उतना पैसा विकास पर खर्च किया जाता तो स्थिति कुछ और होती. मोदी जी की मां भी लाइन में लगीं, यह सिर्फ ढकोसला था. उन्होंने कहा कि जब मैंने पार्टी से बड़ा देश होता है समझाने का प्रयास किया तो मुझे गद्दार और बागी करार दे दिया गया.
Mahatma Gandhi, Nehru, Patel and many others.
Under the present President of Congress the very dynamic, able, tried, tested and successful face of today and tomorrow's India, @RahulGandhi, I hope, wish and pray that I'm heading into a better direction. Long live democracy and the— Shatrughan Sinha (@ShatruganSinha) April 6, 2019
अटल-आडवाणी के करीबी, मोदी शाह से दूरी
शत्रुध्न सिन्हा भाजपा के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के बेहद करीबी रहे है. वे कई बार कह चुके है राजनीति में लाने का श्रेय वह आडवाणी को देते है. 2014 में केंद्र में भाजपा सरकार बनी व पार्टी में मोदी शाह का युग शुरु हुआ तो सिन्हा अपने बगावती तेवर के कारण पार्टी में हाशिए में चले गए. मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्रिमंडल में उन्हें जगह नहीं दी, इसके बाद से उनकी नाराज़गी साफ दिखाई देने लगी. शत्रुघ्न सिन्हा पार्टी के खिलाफ लगातार बयानबाजी करते रहे. पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के साथ मिलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अभियान तक छेड़ दिया. कई बार वे सरकार के कई फैसलों की वह खुले मंचों से आलोचना भी करते नजर आते थे.