नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गोवा में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन में शुक्रवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी से हाथ मिलाने के बजाय ‘नमस्ते’ करके उनका स्वागत किया.
जरदारी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की परिषद (सीएफएम) में भाग लेने के लिए गोवा आए हैं और लगभग 12 वर्षों में भारत का दौरा करने वाले पहले पाकिस्तानी विदेश मंत्री हैं.
भुट्टो और जयशंकर की मुलाकात के एक वीडियो में देखा जा सकता हैं कि जयशंकर ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री से हाथ नहीं मिलाया और ‘नमस्ते’ के साथ उनका अभिवादन किया.
पाकिस्तान के राजनेता विदेश मंत्री एस जयशंकर के निमंत्रण पर एससीओ सम्मेलन में भाग लेने भारत आये हैं.
विभिन्न देशों के विदेश मंत्रियो से मुलाकात के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने समिट को संबोधित करते हुए आतंकवाद पर बात की और सीमा पर बढ़ते आतंकवाद पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इसे किसी भी हाल में रोकना बहुत जरूरी है.
उन्होंने कहा कि “आतंकवाद का खतरा ‘बेरोकटोक’ जारी है और इसे किसी भी हालत में रोकना जरूरी है.”
जयशंकर ने कहा कि जब दुनिया कोविड और उसके परिणामों का सामना करने में लगी हुई है, ऐसे में आतंकवाद का खतरा बेरोकटोक जारी है और इस खतरे से नजरें हटाना हमारे सुरक्षा हितों के लिए हानिकारक होगा.
आतंकवाद को रोकना बहुत जरूरी
उन्होंने आगे कहा कि आतंकवाद के लिए कोई माफ़ी नहीं हो सकती है और सीमा पर हो रहे आतंकवाद को रोकना बहुत ही जरूरी है, और आतंकवाद का मुकाबला करना एससीओ के मूल जनादेशों में से एक है.
विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए उनके चैनल को बिना किसी भेद के जब्त और अवरुद्ध किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, “सदस्यों को यह याद दिलाने की आवश्यकता नहीं है कि आतंकवाद का मुकाबला करना एससीओ के मूल जनादेशों में से एक है.”
एससीओ-सीएफएम की बैठक में अपने संबोधन में, जयशंकर ने अंग्रेजी को एससीओ की तीसरी आधिकारिक भाषा बनाने की भारत की लंबे समय से चली आ रही मांग के लिए सदस्य देशों के समर्थन का भी समर्थन किया.
जयशंकर ने कहा कि भारत ने एससीओ शिखर सम्मेलन घोषणा के रूप में ‘नई दिल्ली घोषणा’ का प्रस्ताव दिया है.
उन्होंने यह भी कहा कि नई दिल्ली ने जलवायु परिवर्तन और डिजिटल परिवर्तन को संबोधित करने के लिए डी-रेडिकलाइजेशन रणनीतियों, बाजरा को बढ़ावा देने और टिकाऊ जीवन शैली पर सहयोग पर चार संयुक्त वक्तव्य जारी किए हैं.
संयुक्त सचिव (जेएस) ईआर धम्मू रवि और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची भी एससीओ समिट में भी उपस्थित रहे.
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