नई दिल्ली : मणिपुर में आदिवासियों के आंदोलन के दौरान हिंसा भड़कने के बाद स्थिति नियंत्रित करने के लिए सेना और असम राइफल्स को तैनात किया गया है. सेना के एक प्रवक्ता ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी. वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से बात कर राज्य के हालात का जायजा लिया है.
सेना के प्रवक्ता ने बताया कि अब तक 4,000 लोगों को सुरक्षाबलों ने हिंसा प्रभावित इलाकों से निकालकर सुरक्षित जगह पहुंचाया दिया है. उन्होंने बताया कि और भी लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.
Union Home Minister Amit Shah has spoken to Manipur CM N Biren Singh and took stock of the situation in the state where law and order disrupted after tribal groups took out rallies in several districts. A few companies of RAF have been dispatched to the state, however, adequate… pic.twitter.com/4Iz9Z1fQAj
— ANI (@ANI) May 4, 2023
सूत्रों के मुताबिक गृहमंत्री अमित शाह ने मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह से बात की और राज्य में स्थिति का जायजा लिया जहां आदिवासी समूहों द्वारा कई जिलों में रैलियां निकालने के बाद कानून व्यवस्था बाधित हुई है. आरएएफ की कुछ कंपनियां राज्य में भेजी गई हैं, हालांकि, वहां स्थिति को संभालने के लिए पर्याप्त संख्या में सेना और अर्धसैनिक बल पहले से ही तैनात हैं.
मुख्यमंत्री एन बीरने सिंह ने कहा, ’24 घंटे के बाद से कुछ जगहों पर झड़प और तोड़-फोड़ की घटनाएं सामने आई हैं. ये घटनाएं हमारे समाज के दो वर्गों के बीच प्रचलित गलतफहमी का परिणाम हैं. राज्य सरकार स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सभी कदम उठा रही है.’
भारतीय सेना और असम राइफल्स ने मणिपुर में कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए रातभर सभी समुदायों के 7,500 से अधिक नागरिकों को निकालने के लिए बड़े स्तर पर बचाव अभियान चलाया गया है.
5 दिन के लिए इंटरनेट सेवा बंद
वहीं इससे पहले पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में बृहस्पतिवार को मैतेई समुदाय को एसटी वर्ग में शामिल करने के विरोध में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (ATSU) मणिपुर की ओर से आयोजित रैली के दौरान युवाओं, विभिन्न समुदायों के वॉलंटियर के बीच संघर्ष को देखते हुए राज्य में इंटरनेट सेवाएं पांच दिनों के लिए निलंबित कर दी गई हैं. मणिपुर सरकार ने यह जानकारी दी है.
भारतीय सेना ने बताया कि मणिपुर में सिविल एडमिनिस्ट्रेशन के अनुरोध पर सेना/असम राइफल्स ने 3 मई की शाम को सभी प्रभावित क्षेत्रों में तुरंत पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात कर दिए हैं. अधिक से अधिक लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में ले जाने और कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए कार्रवाई चल रही है.
इससे एक दिन पहले ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर’ (एटीएसयूएम) ने कहा था कि मैतेई समुदाय को एसटी श्रेणी में शामिल करने की मांग जोर पकड़ रही है, जिसके खिलाफ उसने मार्च आहूत किया है.’
राज्य के 8 जिलों में लगा है कर्फ्यू
आदिवासी आंदोलन के दौरान हिंसा को लेकर मणिपुर के आठ जिलों में बुधवार को कर्फ्यू लगा दिया गया था और पूरे पूर्वोत्तर राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई थीं.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा था कि रैली में हजारों आंदोलनकारियों ने हिस्सा लिया और इस दौरान तोरबंग इलाके में आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसा की खबरें आईं हैं.
अधिकारी ने बताया था कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे.
उन्होंने कहा था कि स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है लेकिन कई आंदोलनकारी पहाड़ियों के विभिन्न हिस्सों में अपने घरों को लौटने लगे हैं.
उन्होंने कहा था कि स्थिति को देखते हुए, गैर-आदिवासी बहुल इंफाल पश्चिम, काकचिंग, थौबल, जिरिबाम और बिष्णुपुर जिलों और आदिवासी बहुल चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है.
कर्फ्यू लगाने संबंधी अलग-अलग आदेश आठ जिलों के प्रशासन द्वारा जारी किए गए हैं.
(न्यूज एजेंसी भाषा के इनपुट्स के साथ)
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