नई दिल्ली: कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती के बहाने केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. एक अंग्रेजी अखबार में लिखे अपने लेख में सोनिया ने लिखा कि संविधान की संस्थाओं, स्वतंत्रता और समानता की नींव को कमजोर किया जा रहा है. भाईचारा और न्याय भी कमजोर दिखाई दे रहा है. वर्तमान सरकार ने संविधान को कमजोर करने की कोशिश की.
सोनिया ने लिखा, ‘आज से 132 साल पहले आधुनिक भारत के वास्तुकारों में से एक बाबा साहिब डा. बी.आर. अम्बेडकर का जन्म हुआ था. उनका जीवन आज भी सभी के लिए एक प्रेरणा का विषय बना हुआ है. उन्होंने एक अर्थशास्त्र से न्यायविद् और विद्वान के रूप में अपनी प्रतिभा का परिचय दिया. एक मामूली पृष्ठभूमि से लेकर राजनेता बने और गरीबी तथा जाति आधारित भेदभाव के खिलाफ लंबा संघर्ष किया. एक समाज सुधारक के रूप में उन्होंने जीवन भर दलितों तथा अन्य सभी पिछड़े समुदायों के लिए संघर्ष किया और एक राजनीतिक, दार्शनिक के रूप में उन्होंने जाति व्यवस्था को खारिज कर दिया. इसकी बजाय न्याय के साथ एक स्वतंत्रता और बंधुत्व पर आधारित समाज की बात की.’
‘बाबा साहेब की विरासत को कमजोर किया जा रहा’
उन्होंने आगे लिखा, ‘आज बाबासाहेब की विरासत का सम्मान करते हुए हमें उनकी दूरदर्शी चेतावनी को याद रखना चाहिए कि संविधान की सफलता उन लोगों के आचरण पर निर्भर करती है जिन्हें शासन करने का कर्तव्य सौंपा गया है. आज स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय की नींव को कमजोर किया जा रहा है.’
सोनिया ने लिखा की सरकार संस्थाओं को कमजोर कर रही है. देश में भाईचारा और न्याय कमजोर हो रहा है.
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने आगे लिखा, ‘लोगों को परेशान करने के लिए कानून का दुरुपयोग करने से आज स्वतंत्रता को खतरा है. नफरत और ध्रुवीकरण के माहौल से भाईचारा खत्म हो गया है. आज देश इतिहास के इस मोड़ पर खड़ा है जहां हमें लोकतंत्र पर हो रहे प्रहार को रोकने की कोशिश करनी होगी. हमें मिलकर संविधान की रक्षा के लिए काम करना होगा. इसमें तमाम भारतीय, राजनीतिक पार्टी और संघों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी. डा. अम्बेडकर का जीवन और संघर्ष एक महत्वपूर्ण सबक सिखाता है जो एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य कर सकता है. पहला सबक जोरदार बहस और असहमति है लेकिन राष्ट्रीय हित में हमें साथ मिलकर काम करना होगा.’
नेताओं में मतभेद, लेकिन मिलकर काम किया
सोनिया ने अपने लेख में लिखा कि भारत की आजादी के वक्त भी देश में नेताओं के बीच मतभेद और असहमति थी लेकिन उन्होंने मिलकर देश के लिए काम किया. सोनिया ने लिखा, ‘भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, डॉ अंबेडकर,सरदार पटेल जैसे नेताओं के बीच अक्सर असमति और मतभेद होते थे. ये बहसें स्वाभाविक रूप से रुचि को आकर्षित करती हैं, क्योंकि ये हमारे भविष्य के बारे में गंभीर सवालों पर कई दृष्टिकोण पेश करती हैं. लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आखिरकार, हमारी आजादी के लिए लड़ने वाले सभी प्रतिष्ठित पुरुषों और महिलाओं ने मिलकर हमारी आजादी के लिए और हमारे देश को आकार देने के लिए काम किया.’
सोनिया ने आगे लिखा कि बाबा साहेब के भाषणों पर नजर डालने से पता चलता है कि डा. अम्बेडकर एक सच्चे लोकतंत्रवादी थे. उन्होंने अपने विचारों पर चर्चा की और कभी-कभी असहमति भी जताई तथा अपने सिद्धांतों का भी बचाव किया. जरूरत पड़ने पर उन्होंने अपना विचार भी बदला. अपने अंतिम भाषण में उन्होंने विशेष रूप से अपने वैचारिक विरोधियों के प्रति आभार व्यक्त किया. उन्होंने समिति के अन्य सदस्यों, अपनी टीम और कांग्रेस पार्टी के बारे में कहा कि इस सुचारू संचालन के लिए सभी श्रेय के हकदार हैं. आज हम सभी बचाव के लिए लड़ रहे हैं. बाबा साहिब के संविधान के बावजूद उद्देश्यों की एकता की इस भावना को याद रखना चाहिए कि विचारों में मतभेद हो सकते हैं.
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