नई दिल्ली: यूक्रेन के एक शीर्ष अधिकारी ने भारत को यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के 10-सूत्रीय ‘पीस फार्मूला’ और ‘गेन इनिशिएटिव’ में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि नई दिल्ली को अपने ऊर्जा आयात में विविधता लानी चाहिए.
यूक्रेन की पहली उप विदेश मंत्री एमीन दझापरोवा सोमवार को एक आधिकारिक यात्रा पर दिल्ली पहुंचीं, जो भारत की उनकी पहली यात्रा भी थी. उन्होंने विदेश मंत्रालय (एमईए) में एक बैठक में भी भाग लिया.
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय के सचिव (वेस्ट) संजय वर्मा के साथ बैठक कर खुशी हुई. भारत को राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के ‘पीस फार्मूला’ और ‘ग्रेन फ्रॉम यूक्रेन’ पहल में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया.’
ज़ेलेंस्की ने पहली बार अपने शांति सूत्र की घोषणा पिछले नवंबर में बाली में G20 लीडर्स समिट में की थी. 10-सूत्रीय शांति योजना में रूस से युद्ध के सभी कैदियों को रिहा करने, अन्य मांगों के साथ शामिल पार्टियों द्वारा हस्ताक्षरित एक दस्तावेज द्वारा युद्ध की समाप्ति की पुष्टि करने का आह्वान किया गया है.
‘यूक्रेन से अनाज’ कार्यक्रम भी पिछले नवंबर में लॉन्च किया गया था, जो वैश्विक खाद्य कमी से पीड़ित अफ्रीकी और एशियाई देशों को गेहूं वितरित करने के लिए देशों और प्राइवेट प्लेयर्स के साथ साझेदारी करना चाहता है. रूस द्वारा यूक्रेन के साथ संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता वाले अनाज सौदे से बाहर निकलने के बाद इसे लॉन्च किया गया था.
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‘भारत को ऊर्जा संसाधनों में विविधता लानी चाहिए’
विदेश मंत्रालय के बाहर मीडियाकर्मियों से बात करते हुए झापरोवा ने रूस का नाम लिए बिना नई दिल्ली से अपने ऊर्जा आयात और सैन्य अनुबंधों में विविधता लाने का आह्वान किया.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘भारत को अपने ऊर्जा संसाधनों, सैन्य अनुबंधों और राजनीतिक बातचीत में विविधता लाने में व्यावहारिक होना चाहिए.’ हालांकि, उन्होंने कहा कि यूक्रेन भारत को ‘निर्देश’ देने की स्थिति में नहीं है.
दिसंबर 2022 के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल फरवरी में युद्ध शुरू होने के बाद से भारत 1.2 मिलियन बैरल प्रति दिन की दर से रूसी कच्चे तेल का बड़ी मात्रा में आयात कर रहा है.
यूक्रेनी मंत्री ने कहा, ‘जब आप रूस पर निर्भर होते हैं, तो वे इसे हमेशा ब्लैकमेल करने के लिए एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करेंगे.’
उन्होंने पिछले साल समरकंद में प्रधान मंत्री मोदी की टिप्पणी की प्रशंसा की जहां उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा था कि आज का युग युद्ध का नहीं है.
(संपादन: ऋषभ राज)
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