चेन्नई: अगले साल प्रस्तावित लोकसभा चुनाव से पहले तमिलनाडु में ‘मोदी फैक्टर’ को प्रभावी बनाने की उम्मीद के साथ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) एक ‘सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम’ के तहत राज्य से कम से कम 3 हजार लोगों को अगले माह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात की यात्रा कराने की योजना बना रही है.
10 दिवसीय कार्यक्रम सौराष्ट्र तमिल संगमम (एसटीएस) का उद्देश्य दोनों राज्यों के बीच ‘प्राचीन रिश्तों’ को उजागर करने के साथ ही तमिलनाडु के लोगों को मोदी के ‘गुजरात मॉडल’ से परिचित करना है. गौरतलब है कि 2019 में देशभर में शानदार जीत के बावजूद मोदी फैक्टर तमिलनाडु में भाजपा को कोई सफलता दिलाने में नाकाम रहा था.
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने राज्य की 38 संसदीय सीटों में से 37 पर जीत हासिल की थी, और अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्नाद्रमुक)-भाजपा गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा था.
सौराष्ट्र तमिल संगम मोदी सरकार की ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ पहल के तहत इस तरह का दूसरा कार्यक्रम है. इससे पहले ‘काशी तमिल संगम’ का आयोजन किया गया था. पिछले साल एक महीने तक चले इसे कार्यक्रम का उद्देश्य वाराणसी और तमिलनाडु के बीच ‘संबंधों को फिर से तलाशना’ था.
इस साल 17 से 26 अप्रैल के बीच गुजरात में होने वाले सौराष्ट्र तमिल संगमम की योजना राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुचिरापल्ली और राजकोट स्थित सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी की तरफ से बनाई गई है और इसमें गुजरात सरकार की तरफ से आवश्यक सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं.
इस आयोजन के दौरान, हर दिन 288 प्रतिनिधियों—जिसमें युवा, छात्र, शिक्षक, उद्यमी, पेशेवर और सांस्कृतिक विशेषज्ञ शामिल होंगे—के साथ एक ट्रेन गुजरात आएगी और इन लोगों को राज्य के बुनियादी ढांचे और पर्यटन विकास से अवगत कराया जाएगा.
राज्य में एक भारत, श्रेष्ठ भारत के लिए भाजपा के संयोजक अमर प्रसाद रेड्डी ने कहा, ‘इस दौरान आप को पता चलेगा कि मोदीजी ने गुजरात में क्या किया है. काशी तमिल संगमम के दौरान लोगों ने शहर के बुनियादी ढांचे के विकास, स्वच्छ गंगा परियोजना और अन्य बहुत कुछ देखा. अब वे भी विकास का मोदी मॉडल देखेंगे और इसके बारे में जानेंगे.’
तमिलनाडु में भी एक महत्वपूर्ण सौराष्ट्रियन समुदाय है, खासकर मदुरै क्षेत्र में.
चेन्नई स्थित रोजा मुथैया रिसर्च लाइब्रेरी में फेलो और लेखक ए.एस. पन्नीरसेल्वन ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘एसटीएस सौराष्ट्रियन समुदाय तक पहुंचने का एक माध्यम है, जो तमिल चेतना के साथ भी जुड़ा है. मदुरै जिले के 12 वार्डों में सौराष्ट्रियन आबादी चुनाव नतीजों में निर्णायक भूमिका निभाती है.’
मूल रूप से गुजरात की रहने वाली सौराष्ट्रियन आबादी ज्यादातर दक्षिणी राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में बसी है. माना जाता है कि देश के दक्षिणी हिस्सों में उनका प्रवास मुख्य रूप से 1024 में महमूद गजनवी द्वारा उनके धार्मिक केंद्र सोमनाथ मंदिर को अपवित्र किए जाने का नतीजा है.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि भाजपा यह आउटरीच प्रोग्राम न केवल 2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर चला रह है बल्कि इसके पीछे उद्देश्य आगामी कर्नाटक राज्य विधानसभा चुनावों को साधना भी है. पन्नीरसेल्वन ने कहा, ‘कर्नाटक में अच्छी-खासी तमिल आबादी है जो चुनाव नतीजे पर व्यापक असर भी डालती है.’ साथ ही जोड़ा कि भाजपा यह साबित करना चाहती है कि वो सिर्फ उत्तर भारत की ही पार्टी नहीं है.
लेखक और राजनीतिक विश्लेषक नीलकांतन आर.एस. ने कहा, दक्षिण बनाम उत्तर वाला नैरेटिव ‘संसाधन आवंटन की समस्याओं में भी निहित है’ जो दक्षिण भारत में भाजपा के सफल न होने की एक बड़ी वजह है. उन्होंने कहा, ‘इस तरह के कार्यक्रम से इस धारणा को बदला जा सकता है.’
उधर, डीएमके प्रवक्ता सरवनन अन्नादुरई ने दिप्रिंट से कहा कि इस तरह के प्रयासों से भाजपा को कोई मदद नहीं मिलने वाली है जो तमिलनाडु में अपने पैर जमाने के लिए ‘विभाजनकारी राजनीति’ में लिप्त है. जबकि यह एक ऐसा राज्य है जिसे ‘वंतरई वाझा वैक्कुम भूमि‘ यानी आजीविका की तलाश में आए किसी भी व्यक्ति को बसाने के लिए जाना जाता है.
अन्नादुरई ने कहा, ‘तमिलनाडु पर केंद्रित संगमम केवल वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा है. इसके पीछे तमिल भाषा के प्रचार का कोई इरादा नहीं है.’
उन्होंने राज्य के साथ सौराष्ट्रियन समुदाय के जुड़ाव का जिक्र करते हुए ख्यात सिंगर टी.एम. सौंदर्यराजन का हवाला दिया जिन्हें राज्य गीत तमिल थाई वजथु को अपनी आवाज देने के लिए जाना जाता है. साथ ही यह भी बताया कि सौराष्ट्रियन समुदाय के न जाने कितने सांसद, विधायक, अभिनेता और साहित्य विशेषज्ञ राज्य में सम्मानित स्थान हासिल कर चुके हैं.
अन्नादुरई ने साथ ही जोड़ा, ‘वो हममें से एक हैं तो ऐसा क्यों कर रहे हैं? यह एक आउटरीच प्रोग्राम का हिस्सा है और अगर यह कोई सरकारी कार्यक्रम है, तो उन्होंने तमिलनाडु सरकार को इसका हिस्सा बनने के लिए क्यों नहीं आमंत्रित किया?’
हालांकि, भाजपा तमिलनाडु के उपाध्यक्ष नारायणन थिरुपति ने कहा, ‘जब दो राज्यों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान हो रहा है, तो यह राजनीति से जुड़ा कैसा हो सकता है? हम यह कहना चाहते हैं कि सबसे प्राचीन भाषा तमिल का पूरे भारत में जुड़ाव है.’
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गुजरात-तमिलनाडु कनेक्शन
मदुरै में सौराष्ट्र चैंबर ऑफ कॉमर्स के संस्थापक वी.जी. रामदास के मुताबिक, सौराष्ट्रियन लोग 1000-1026 ईसवी के बीच की अवधि में महमूद गजनवी के सोमनाथ मंदिर पर हमला किए जाने के बाद गुजरात से तमिलनाडु आए थे.
दि हिंदू में प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, कई सौराष्ट्रवासी 17वीं शताब्दी में नायक राजाओं के शाही रेशम बुनकर के रूप में भी तमिलनाडु आए थे. रिपोर्टों के मुताबिक, तमिलनाडु में गुजराती मूल के करीब 25 लाख लोग रहते हैं और राज्य में 12 लाख से अधिक सौराष्ट्रवासी हैं. इनमें से अधिकांश मदुरै, तंजावुर और सलेम में बसे हुए हैं.
2012 में मदुरै में एक वैश्विक सौराष्ट्र बैठक की मेजबानी करने वाले 67 वर्षीय रामदास ने बताया कि अकेले मदुरै जिले में 2.5 लाख से अधिक सौराष्ट्रवासी हैं. उस कार्यक्रम में देशभर से एक लाख से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया था.
सौराष्ट्र तमिल संगमम कार्यक्रम के मुताबिक, प्रतिनिधियों का प्रत्येक जत्था दो दिन की ट्रेन यात्रा करेगा, जो मदुरै से शुरू होगी और सोमनाथ तक जाएगी. फिर प्रतिनिधिमंडल के सदस्य दो दिन सोमनाथ में रुकेंगे और सोमनाथ मंदिर में दर्शन-पूजा के अलावा शहर के समृद्ध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्थलों को देखने जाएंगे.
छठे दिन, समूह सड़क मार्ग से द्वारका जाएगा जहां कई मंदिरों के दर्शन की योजना बनाई गई है. सातवें दिन, समूह ट्रेन से वड़ोदरा पहुंचेगा और फिर उसे सड़क मार्ग से एकतानगर ले जाया जाएगा, जहां वे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखेंगे, जंगल सफारी का हिस्सा बनेंगे. इसके अलावा वनस्पति उद्यान, शहर का पोषण पार्क और अन्य चीजों को देखेंगे.
तमिलनाडु भाजपा के कोषाध्यक्ष एस.आर. शेखर ने कहा कि द्रविड़ पार्टियां केवल चुनावी राजनीति के लिए तमिल क्षेत्रीय भावना पर खेलती हैं, लेकिन संगमम कार्यक्रम ‘देशभर के सभी क्षेत्रों और राज्यों को भाषाओं के माध्यम से जोड़ने और सबसे प्राचीन भाषा तमिल को एक साझा लिंक बनाने का एक प्रयास है.’
नीलकांतन ने कहा कि यह तमिल आउटरीच शब्द ‘संभवत: भारत को एक चश्मे से देखने की भाजपा की कोशिश का हिस्सा है, खासकर ऐसे समय जब दक्षिण बनाम उत्तर विभाजन बढ़ रहा है.’
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