पाकिस्तान के बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शिविर पर गत माह भारत के हवाई हमले ने सामरिक हदों को लांघने और पाकिस्तान के परमाणु झांसे की पोल खोलने का काम किया. इस कार्रवाई के बाद पाकिस्तान को कई दिनों तक अपने संपूर्ण वायु क्षेत्र को बंद रखने के लिए बाध्य होना पड़ा, उसकी वायुसेना ने भारतीय क्षेत्र में घुसने और हमले करने की कोशिश की, उसके सैनिकों ने भारत के विरुद्ध गोलाबारी की और उसकी पूरी नौसेना एक सप्ताह से अधिक समय तक निरंतर गश्त लगाने पर मजबूर हो गई.
सिर्फ दिप्रिंट को खास तौर पर प्राप्त उपग्रह चित्रों से ये भी पता चलता है कि बालाकोट में 26 फरवरी को हुए भारत के हवाई हमले के बाद पाकिस्तान के परमाणु हथियार भंडारण और मिसाइल लॉन्च केंद्रों में कुछ घटनाएं हुई थीं. तस्वीरों से ये भी मालूम पड़ता है कि पाकिस्तान के बलूचिस्तान सूबे के खुज़दार सैनिक ठिकाने पर परमाणु हथियार भंडारण केंद्र में शायद कोई दुर्घटना या अनपेक्षित घटना हुई है.
ऐसी घटनाओं की जानकारी बहुत कम ही सार्वजनिक की जाती है और वास्तव में हुआ क्या है यह जानने का संभवत: एकमात्र विश्वसनीय स्रोत उपग्रह चित्र ही होते हैं. दिप्रिंट ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों से जुड़े प्रमुख ठिकानों के उपग्रह चित्रों का विश्लेषण किया है.
खुज़दार
खुज़दार सैनिक ठिकाना पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के भंडारण के सर्वाधिक सुरक्षित केंद्रों में से एक है.
मुख्य भंडारण केंद्र एक सख़्त भूमिगत ढांचे के रूप में है, जिसमें अंग्रेजी के वाय अक्षर (Y) के आकार के दो बंकर हैं जिनमें से प्रत्येक में 50 मीटर x 10 मीटर के तीन और 25 मीटर x 10 मीटर के तीन कक्ष बने हुए हैं. ये सब 210 मीटर x 10 मीटर के एक लंबे गलियारे से परस्पर जुड़े हुए हैं.
कुल 2,850 वर्ग मीटर आकार के इस सैनिक ठिकाने में सचल मिसाइल लॉन्चरों (टीईएल) पर लगे करीब 46 परमाणु हथियारों को संभाल कर रखा सकता है. भंडारण के तरीके के अनुरूप यह संख्या अधिक भी हो सकती है.
सूत्रों के अनुसार बालाकोट हमले के बाद वहां इस्तेमाल के लिए तैयार परमाणु हथियारों से जुड़ी हलचल देखी गई थी.
8 मार्च 2019 को लिए गए नवीनतम उपग्रह चित्र में इस सैनिक ठिकाने में एक बड़े आकार (200 मीटर x 100 मीटर) में जलने का निशान दिखता है, जो किसी दुर्घटना की वजह से बना हो सकता है. संभव है कि सचल मिसाइल लान्चरों से एक या अधिक मिसाइल नीचे गिर गए हों, और इस कारण विस्फोटकों में धमाके हुए हों, और उससे मुख्य सड़क के पास के टीले पर आग लग गई हो.
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पेटारो
पेटारो सैन्य ठिकाना सिंध में हैदराबाद से 18 किलोमीटर उत्तर में स्थित है. यह पाकिस्तान का सबसे उन्नत भूमिगत परमाणु आयुध भंडारण केंद्र है.
मुख्य भंडारण स्थल एक सख़्त भूमिगत ढांचा है जिसमें अंग्रेजी के एक्स अक्षर (X) के आकार के दो बंकर हैं, जिनमें से प्रत्येक में 30 मीटर x 10 मीटर आकार के चार और 20 मीटर x 10 मीटर आकार के चार कक्ष हैं. ये सब आपस में 200 मीटर x 10 मीटर के एक गलियारे जुड़े हुए हैं.
कुल 4,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला यह केंद्र अमेरिका के सबसे बड़े आयुध भंडारण केंद्र – न्यू मेक्सिको के किर्टलैंड एयरफोर्स बेस स्थित हैंगर-से भी बड़ा है. पाकिस्तान अपने पेटारो भंडारण केंद्र में, रखरखाव के अलग-अलग तरीकों के अनुरूप, 50 से लेकर 500 परमाणु हथियार रख सकता है.
हाल के दिनों में यहां घेराबंदी के स्तर को बढ़ाया गया है, जिससे संकेत मिलते हैं कि यह केंद्र पूरी तरह कार्यरत है और यहां हथियार रखे जा रहे हैं. यहां पिछले साल एक नए नाइन-होल गोल्फ कोर्स के निर्माण से ज़ाहिर होता है कि इस सैनिक ठिकाने पर बड़ी संख्या में अधिकारी, संभवत: एक पूरी ब्रिगेड, तैनात हैं.
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कराची
पाकिस्तानी वायुसेना के कराची स्थित मसरूर एयरबेस में राड मिसाइलों, संभवत: परमाणु आयुध से लैस, को रखने के लिए विशेष तौर पर एक पक्का बंकर बनाया गया है. इस भंडारण केंद्र में विशेष तौर पर निर्मित एक वर्गाकार बंकर है, जिसमें तीन तरफ से सुदृढ़ीकरण किया गया है. एयरक्राफ्ट शेल्टर को ऊपर से अतिरिक्त तीन परतें डालकर मज़बूत बनाया गया ताकि सतह-भेदक हथियारों के वार को बेअसर किया जा सके.
राड मिसाइलों को सुरक्षित रखने के लिए पूरे परिसर को एक सुदृढ़ स्वचालित तहखाने का रूप दिया गया है. मिसाइलों को भंडारण बंकर से एयरक्राफ्ट शेल्टर तक ले जाने का काम संभवत: एयर डिफेंस सेंटर में बैठे-बैठे दूरनियंत्रित प्रणाली से किया जा सकता है.
इस स्वचालित तहखाने में 6 से 10 राड मिसाइलें रखी जा सकती हैं, जिनसे 3 से 5 विमानों को हथियारबंद किया जा सकता है. इस तरह यह केंद्र पाकिस्तानी वायुसेना की द्वितीयक मारक क्षमता को बढ़ाने का काम करता है.
लॉन्च पैड
यों तो पाकिस्तान के हर हिस्से में मिसाइल लॉन्च पैड हैं, पर हथियारों को निरापद और सुरक्षित रखने की दृष्टि से उनमें से अधिकांश पहाड़ी इलाकों में बनाए गए हैं.
आबादी से दूर निर्मित इन लॉन्च पैडों को आमतौर पर तीन के समूहों में बनाया गया है. इनमें से प्रत्येक 35 मीटर व्यास वाले वृताकार लॉन्च पैड के साथ, यांत्रिक वाहनों को रखने के लिए चौकोर आकार का एक भूमिगत बंकर भी बनाया गया है.
(कर्नल विनायक भट (सेवानिवृत्त) ने भारतीय सेना में उपग्रह खुफिया सूचनाओं पर काम किया है, और वे खास तौर पर सिर्फ दिप्रिंट के लिए लिखते हैं.)
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