नई दिल्ली: शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने बुधवार को संसद को बताया कि 2018 के बाद से देश भर के विभिन्न इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) में 33 स्टूडेंट्स की मौत आत्महत्या से हुई, जिन तीन संस्थानों के लिए सरकार द्वारा डेटा जारी किया गया था, उनमें से सबसे ज्यादा आत्महत्याएं आईआईटी में हुई है. इसके बाद अन्य दो नेशनल इंस्टिट्यूट्स ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) हैं, जहां 24 मौतों की जानकारी मिली है और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएमएस) में 4 मौतें हुई है.
यहां शिक्षा मंत्रालय का डेटा और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि यह एक महीने में आईआईटी-बॉम्बे और आईआईटी-मद्रास में छात्रों की आत्महत्या की तीन घटनाओं को दर्शाती है.
कांग्रेस सांसद एल. हनुमंथैया के एक सवाल के जवाब में, सरकार ने शैक्षणिक तनाव, पारिवारिक, व्यक्तिगत कारणों और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को मौत का कारण बताया.
सरकार ने संसद को बताया, “इसके लिए उच्च शिक्षण संस्थान कई कदम उठाते हैं, जैसे हैप्पीनेस और वेलनेस पर वर्कशॉप्स/सेमिनार आयोजित करना और नियमित योगा सेशन चलाना.”
उन्होंने कहा कि सभी संस्थान खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों सहित एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज़ पर भी ध्यान देते हैं और हर 10 छात्रों पर एक फैकल्टी सलाहकार नियुक्त करते हैं ताकि पढ़ाई में उनकी मदद की जा सके और उनके प्रोग्रेस पर भी नज़र रखा जा सके.
सरकार ने संसद को बताया, ”छात्र के पर्सनेलिटी डेवलपमेंट और विशेष कर जो छात्र तनाव में हैं उनके लिए संस्थान द्वारा काउंसलर भी नियुक्त किए जाते है. इसके अलावा, छात्रों, वार्डन और केयर टेकर को छात्रों में डिप्रेशन के लक्षणों को नोटिस करने के लिए जागरूक किया जाता है ताकि समय पर उनकी मदद की जा सके.”
मंत्री ने अपनी प्रतिक्रिया में छात्र-आत्महत्याओं को रोकने के लिए मंत्रालय द्वारा की गई विभिन्न पहलों पर भी प्रकाश डाला, जिसमें पढ़ाई से संबंधित तनाव को कम करने के लिए अपने दोस्तों की मदद लेकर सीखने और क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा की शुरुआत शामिल है.
सरकार ने आगे कहा, “भारत सरकार की पहल ‘मनोदर्पण‘, छात्रों, शिक्षकों और परिवारों को कोविड के दौरान और उसके बाद मानसिक और भावनात्मक कल्याण के लिए मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न गतिविधियों बढ़ावा देती है.”
उन्होंने कहा, “मंत्रालय ने संस्थानों को सिस्टम को और अधिक मजबूत बनाने की सलाह दी है जिसमें आत्महत्या के संभावित कारणों को रोकने के लिए उसकी पहचान और उससे बचने के तरीके शामिल होंगे.”
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में छात्रों की आत्महत्या में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जिसका एक बड़ा कारण कोविड महामारी और संबंधित चिंताएं थीं. दिसंबर 2021 में, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने संसद को बताया था कि 2014 से अब तक 34 IIT छात्रों ने आत्महत्या की है.
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आईआईटी छात्र ने की आत्महत्या
अफसोस की बात है कि 2023 के पहले तीन महीनों में ही आईआईटी में दो छात्र आत्महत्या कर चुके हैं.
जबकि आईआईटी-मद्रास में बीटेक थर्ड ईयर के 20 वर्षीय छात्र वी. वैपु पुष्पक श्री साई को मंगलवार को अपने होस्टल के कमरे में बेहोशी की हालत में पाया गया था और बाद में अस्पताल ले जाने पर उसे मृत घोषित कर दिया था. रिसर्च स्कॉलर स्टीफन सनी 13 फरवरी को अपने हॉस्टल के कमरे में मृत पाए गए थे.
इसी महीने, आईआईटी-बॉम्बे में, 18-वर्षीय दर्शन सोलंकी ने 12 फरवरी को कथित तौर पर एक परिसर की इमारत की सातवीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली. दर्शन का परिवार जो एक पिछड़े समुदाय से हैं, ने आरोप लगाया था कि उनकी जाति के कारण उन्हें बहिष्कृत किया गया था.
जबकि आईआईटी-मद्रास के छात्रों ने कैंपस में दो मौतों के बाद तनाव में काम करने की बात कही है और बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए सहायता की मांग की है, दर्शन की मौत ने भारत के कुछ सबसे प्रमुख संस्थानों में जाति-आधारित भेदभाव की व्यापकता के बारे में बातचीत को फिर से शुरू कर दिया है.
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(संपादन: अलमिना खातून)
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