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Friday, 22 November, 2024
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मोदी की सानिया मिर्जा को लिखी चिट्ठी में भाजपा सांसदों, विधायकों, खट्टर के लिए एक संदेश छुपा है

दिल्ली में महिला पहलवानों के प्रदर्शन पर पीएम मोदी और बीजेपी की चुप्पी मामले को दबा देनेवाला था. हो सकता है कि सानिया मिर्जा को लिखे अपने पत्र के जरिए उन्होंने बात करने की कोशिश की हो.

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सरकार के जनसंपर्क मैनेजरों को टेनिस स्टार सानिया मिर्जा का शुक्रगुजार होना चाहिए. प्रधानमंत्री के पत्र को अगर उन्होंने सोच समझकर ट्वीट करने का फैसला न किया होता, तो नरेंद्र मोदी का असली संदेश बीजेपी में उनके सहयोगियों और साथियों तक न पहुंचा होता. मिर्जा के टेनिस से रिटायरमेंट की घोषणा के बाद मोदी ने उन्हें “भारत का गौरव” बताते हुए एक पत्र लिखा. सानिया ने पीएम की चिट्ठी के लिए उन्हें धन्यवाद किया.

जब भारत के प्रधानमंत्री एक पत्र लिखते हैं, तो यह पत्र केवल जिसे लिखा गया है उनके लिए ही नहीं होता है. वह एक व्यक्ति के बारे में क्या सोचते हैं या कहते हैं वह लाखों लोगों के प्रति उनकी सोच को उजागर करती है. तो, फिर इस खत को सिर्फ सानिया के लिए लिखा गया खत मानकर न बैठें बल्कि इसमें उनका क्या संदेश है उसे भी पढ़ने की कोशिश करें. मोदी का मिर्जा को लिखा गया पत्र संदेशों से भरा पड़ा है.

बीजेपी खामोश, पाकिस्तानी बहू

शुरुआत के लिए, जब उन्होंने भारत के लिए किए गए सभी कार्यों के लिए उन्हें धन्यवाद दिया और उन्हें देश का गौरव कहा, तो यह उनके कुछ भाजपा सहयोगियों के लिए एक बड़ी फटकार से कम नहीं था. जिन्होंने पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक से शादी करने के लिए उन्हें निशाना बनाया. 2014 में, तत्कालीन बीजेपी विधायक के लक्ष्मण ने तेलंगाना सरकार पर “पाकिस्तान की बहू” को राज्य का ब्रांड एंबेसडर बनाने को लेकर बड़ा हमला भी किया किया था. जिसने एक राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था, जिसके बाद पार्टी को अपनी टिप्पणी से दूरी बनानी पड़ी थी. लेकिन ऐसा लगता है कि उस बयान ने उनके राजनीतिक करियर को बड़ा बढ़ावा दिया और उन्हें दो साल से भी कम समय में तेलंगाना में पार्टी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था. भाजपा आलाकमान ने तब उन्हें ओबीसी मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया, उन्हें राज्यसभा के लिए नामित किया, और उन्हें पार्टी के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय भाजपा संसदीय बोर्ड में शामिल किया. सानिया मिर्जा को “पाकिस्तान की बहू” कहने के बाद एक राजनेता की पिछले आठ वर्षों में यह एक अविश्वसनीय वृद्धि है.

जैसे की लक्ष्मण के आग उगलते इस बयान से प्रभावित होकर, भाजपा के एक अन्य विधायक टी राजा सिंह ने मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव से 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद तेलंगाना के ब्रांड एंबेसडर के रूप में “पाकिस्तानी बहू” को हटाने की मांग की. भाजपा ने तब भी चुप्पी बनाए रखी. एक साल बाद, उन्होंने रिजर्व फॉरेस्ट में एक गाय की हत्या में मिर्जा की भूमिका की जांच की मांग कर दी थी.

बीजेपी फिर खामोश रही, आखिरकार, अगस्त 2022 में पार्टी ने सिंह को पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए निलंबित कर दिया. दो महीने पहले इसी तरह के अपराध के लिए प्रवक्ता नूपुर शर्मा को निलंबित करने के बाद, पार्टी इस बार सिंह की अनदेखी नहीं कर सकती थी.

पीएम मोदी की सानिया मिर्जा को चिट्ठी, लक्ष्मण और राजा सिंह जैसे बीजेपी नेताओं की फटकार के तौर पर भी देखा जा सकता है. यह अप्रत्यक्ष रूप से यह भी दर्शाता है कि मोदी सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के इस विचार से सहमत हो सकते हैं कि जीवनसाथी के रूप में विदेशी नागरिक होने का राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर नहीं पड़ता है. यह उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में वकील सौरभ कृपाल की नियुक्ति के खिलाफ सरकार द्वारा उठाई गई आपत्तियों में से एक थी. किरपाल की पहचान एक समलैंगिक की है और उनका साथी एक स्विस है.

पूरा देश उस समय चौंक गया जब ओलंपिक चैंपियन सहित भारत के टॉप के पहलवानों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह पर खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न और शोषण का आरोप लगाते हुए धरना दिया. पीएम मोदी और बीजेपी की चुप्पी इस दौरान नागवार गुजर रही थी. उन्होंने मिर्जा को लिखे अपने पत्र के माध्यम से शायद यह बात कही होगी कि उन्हें खिलाड़ियों की परवाह है. अपने पत्र में, उन्होंने भारत की ‘खेल कौशल’ का उल्लेख किया और मिर्जा ने उन महिलाओं को कैसे प्रेरित किया जो खेल में अपना करियर बनाना चाहती थीं, लेकिन “किसी न किसी कारण से” ऐसा करने में हिचकिचा रही थीं. भाजपा ने भले ही आरोपी सांसद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की हो, लेकिन नाराज पहलवान खेल में करियर बनाने से हिचकिचाने वाली महिलाओं के प्रति प्रधानमंत्री के पत्र से सांत्वना लेना चाहते होंगे.

पत्र में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के लिए भी एक संदेश है. खट्टर ने महिला कोच के यौन उत्पीड़न के आरोपी मंत्री संदीप सिंह को कैबिनेट से नहीं हटाया है. हालांकि पुलिस की जांच चल रही है, लेकिन खट्टर ने पहले ही आरोप को “बेतुका” बताया और कहा कि “वह अभी तक दोषी नहीं हैं.”

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियां अदालतों में जमानत याचिकाओं का विरोध करती रहती हैं, यह तर्क देते हुए कि आरोपी सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं. अब एक मंत्री के बारे में सोचिए जिसकी पुलिस जांच कर रही है जबकि मुख्यमंत्री ने खुद आरोप को बेतुका बताया है. खट्टर पीएम के पत्र को पढ़ना चाहिए, यह समझने के लिए कि वह कितनी गहराई से पीएम को समझते हैं कि महिलाएं खेल को करियर के रूप में चुनने में क्यों हिचकिचाती हैं.


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आलोचकों के लिए संदेश

मोदी ने अपने पत्र में मिर्जा से कहा: “मुझे उम्मीद है कि आप इज़हान के साथ अब और अधिक क्वालिटी टाइम बिता सकेंगी.” इजहान मिर्जा मलिक सानिया मिर्जा और शोएब मलिक के चार साल के बेटे हैं. यह अति-राष्ट्रवादी सोशल मीडिया पर उन पगलाए लोगों के लिए भी एक संदेश है, जो लेखक-स्तंभकार तवलीन सिंह द्वारा अपने बेटे, ब्रिटिश मूल के लेखक आतिश तासीर के ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड के निरसन के बारे में लिखे जाने के बाद पागल हो गए थे. गृह मंत्रालय (एमएचए) ने तब कहा था कि आतिश ने अपने दिवंगत पिता सलमान तासीर के पाकिस्तानी मूल को छुपाया था. गृह मंत्रालय ने इन आरोपों का भी खंडन किया कि आतिश द्वारा टाइम पत्रिका के लिए लिखे गए एक महत्वपूर्ण लेख के कारण निरसन किया गया था. उन्होंने और उनकी मां ने आधिकारिक दावों का खंडन किया, लेकिन पाकिस्तानी मुस्लिम पिता के उल्लेख ने भाजपा समर्थक राष्ट्रवादियों द्वारा फिर से वही सोशल मीडिया हमला शुरू कर दिया,और बाद में तवलीन सिंह के पीछे पड़ गए.

यहां पर आप पूछ सकते हैं: “हैलो, क्या आप बिटविन द लाइन बहुत अधिक नहीं पढ़ रहे हैं?” आप मुझ पर उन चीज़ों को देखने का आरोप भी लगा सकते हैं जहां कुछ भी नहीं है. मेरी प्रतिक्रिया यह होगी कि जब भारत के प्रधान मंत्री एक पत्र लिखते हैं, जो सार्वजनिक हो जाता है, तो यह स्वाभाविक है कि भारतीय इसे पढ़ेंगे और बार-बार पढ़ेंगे. हर किसी के पास अपना टेकअवे होगा. मेरे पास मेरा अपना है, भले ही मैं यह मानने को तैयार हूं कि एक चुनावी राज्य के खेल आइकन को लिखे गए एक पत्र – और निश्चित रूप से देश के लिए – एक अलग संदेश हो सकता है.

हालांकि, मैं इस तथ्य से चकित हूं कि मोदी के सोशल मीडिया संचालकों ने मिर्जा द्वारा सार्वजनिक किए जाने के बाद भी उनके या पीएमओ के हैंडल से पत्र को ट्वीट नहीं करने का विकल्प चुना है. बीजेपी भी इससे चूकती नजर आ रही है. आमतौर पर पार्टी के नेता, चाहे सरकार में हों या बाहर, मोदी के बारे में कुछ भी सकारात्मक ट्वीट और री-ट्वीट करने में बहुत तेज होते हैं या तेजी दिखाते हैं. लेकिन जब सानिया मिर्जा ने पीएम को समर्थन के लिए धन्यवाद देने के लिए ट्वीट किया तो उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. लेकिन बेशक बीजेपी के नेता अपनी राजनीति को आपसे और मुझसे बेहतर समझते हैं.

(डीके सिंह दिप्रिंट के राजनीतिक संपादक हैं. व्यक्त विचार निजी हैं)

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(संपादन: पूजा मेहरोत्रा)


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