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Friday, 22 November, 2024
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वो तीन मध्यस्थ जो सुलझाएंगे राम मंदिर विवाद, करेंगे मध्यस्थता

पूर्व न्यायाधीश एफ एम इब्राहिम कलीफुल्ला के नेतृत्व में मध्यस्थों के एक पैनल को नियुक्त किया. श्री श्री रविशंकर, और श्रीराम पंचू भी इस पैनल में शामिल होंगे. 

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि विवाद मामले में मध्यस्ता के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एफ एम इब्राहिम कलीफुल्ला के नेतृत्व में मध्यस्थों के एक पैनल को नियुक्त किया है.आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ़ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और श्रीराम पंचू भी इस पैनल में शामिल होंगे.

सभी तीन पैनल सदस्य मूल रूप से तमिलनाडु से हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को लंबी दलीलें सुनने के बाद मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है. सुनवाई के दौरान मध्यस्थता के प्रस्ताव के सुझाव पर अधिकांश हिंदू समूह इसके खिलाफ नज़र आए, वहीं मुस्लिम गुट ने कोर्ट की इस दलील को स्वीकार किया. निर्मोही अखाड़ा एकमात्र हिंदू समूह था, जो मध्यस्थता के लिए खुला था.

सुप्रीम कोर्ट 2010 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली दलीलों के एक बैच की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें 2: 1 बहुमत ने भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और देवता राम लल्ला के बीच तीन भागों में विभाजित किया.


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यह रहें रामजन्मभूमि की सुनवाई करने वाले तीनों मध्यस्त.

न्यायमूर्ति एफ.एम. इब्राहिम कलीफुल्ला

न्यायमूर्ति कलीफुल्ला का जन्म 23 जुलाई 1951 को कराइकुडी, शिवगंगई ज़िला, तमिलनाडु में हुआ था. पूर्व न्यायाधीश – एम फकीर मोहम्मद के पुत्र, न्यायमूर्ति कलीफुल्ला ने 1975 में अधिवक्ता के रूप में दाखिला लिया और ज़्यादातर समय मद्रास उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस की.

कलीफुल्ला को 2 मार्च, 2000 को मद्रास उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. जिसके बाद 2011 में, उन्हें जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में ट्रांसफर कर दिया गया था. उनके ट्रांसफर के चार महीने बाद, उन्हें उस अदालत के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया. पांच महीने बाद, 18 सितंबर को उन्हें उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया.

2012 में, न्यायमूर्ति कलीफुल्ला को सर्वोच्च न्यायालय में ट्रांसफर किया गया था. वह जस्टिस अल्तमस कबीर और आफताब आलम के बाद सुप्रीम कोर्ट में तीसरे मुस्लिम न्यायाधीश थे. वह चार साल बाद 2016 में सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त हुए.

एक न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, न्यायमूर्ति कलीफुल्ला ने कई ऐतिहासिक फैसले दिए हैं. एक बार  1-1 विभाजित फैसले में, न्यायमूर्ति कलीफुल्ला ने चेन्नई के 155 वार्डों में से 99 में उपचुनावों का आदेश दिया था. जिसके बाद इसे तीसरे न्यायधीश के पास भेजा गया, उन्होंने भी कलीफुल्ला के फैसले पर अपनी सहमति जताई.

एक अन्य मामले में, न्यायाधीश कलीफुल्ला ने भारतीय विश्वविद्यालयों में वैदिक ज्योतिष को पढ़ाए जाने के फैसले को बरकरार रखा.


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श्री श्री रविशंकर

1956 में तमिलनाडु के पापनासम में जन्मे, आध्यात्मिक गुरु ने 1981 में आर्ट ऑफ़ लिविंग की स्थापना की. उनके आध्यात्मिक दर्शन ने गति प्राप्त की और शंकर ने विश्व को उनकी आस्था की यात्रा कराई.

सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें मध्यस्थों के पैनल में नियुक्त करने के साथ-साथ आध्यात्मिक गुरु को दो समुदायों के बीच मध्यस्थता के लिए रखा गया है. पिछले साल फरवरी में, बलरामपुर में प्रेस से बात करते हुए, रविशंकर ने कहा था कि अदालत इसे सौहार्दपूर्ण ढंग से हल नहीं कर सकता क्योंकि यह एक भावनात्मक मुद्दा है. इस विवादित मुद्दे के लिए एक आउट-ऑफ-कोर्ट जाकर सुलझाना सबसे अच्छा समाधान होगा.

प्रेस से बात करते हुए उन्होंने बताया, ‘क्योंकि यह भगवान राम की जन्मभूमि है, इसलिए इस जगह के साथ एक जनभावना जुड़ी हुई है. और यह मुसलमानों के लिए महत्वपूर्ण स्थान नहीं है. वैसे भी, यह उनके उद्देश्य की पूर्ति करने वाला नहीं है; और जब यह दूसरे समुदाय (मुसलमानों) के उद्देश्य की सेवा नहीं कर रहा है, तो वे इसे उपहार में सौंप सकते हैं.’

उस समय, उन्होंने यह भी कहा था कि किसी भी स्थिति में इससे समाज में नफरत फैलेगा. ‘इसलिए, मैं एक जीत की स्थिति बनाना चाहता हूं, जहां दोनों समुदायों को एक साथ सम्मान दिया जाए. यही वह फॉर्मूला है जिसे हम सुझा रहे हैं, क्यों न इसे अमल किया जाए?’

आध्यात्मिक गुरु और यूपी शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी दोनों ने युद्धरत दलों की मध्यस्थता और परामर्श करने की कोशिश की, हालांकि, वे भी असफल रहे.

श्रीराम पांचू

बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया जो कि वकीलों के लिए देश की सर्वोच्च संस्था है ने 7 मार्च को श्री राम पांचू को इंडिया डे अवार्ड के वकीलों द्वारा सम्मानित किया गया. पांचू को देश में बड़े पैमाने पर मध्यस्थता के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है.

पांचू अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता संस्थान (आईएमआई) के निदेशक मंडल में हैं और सिंगापुर के अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (आईएमसी) के पैनल पर एक प्रमाणित मध्यस्थ हैं. 2009 में, नई दिल्ली में पहला कोर्ट-एनेक्सी मध्यस्थता केंद्र स्थापित करने में पांचू की भूमिका महत्वपूर्ण थी, एक मॉडल जिसे उनके मार्गदर्शन में विभिन्न देशों द्वारा फॉलो किया गया.

कानूनी बिरादरी ने अक्सर पांचू को एक ‘प्रतिष्ठित मध्यस्थ’, एक ‘प्रख्यात प्रशिक्षक’ और देश में सबसे महत्वपूर्ण मध्यस्थों में से एक के रूप में पहचाना है.

अगस्त 2010 में, सुप्रीम कोर्ट ने असम-नागालैंड सीमा विवाद को निपटाने के लिए पांचू और वरिष्ठ वकील निरंजन भट को मध्यस्थ नियुक्त किया था. अप्रैल 2011 में, शीर्ष अदालत द्वारा पांचू को एक बार फिर मुंबई के पारसी समुदाय के दो वर्गों के बीच टावर्स ऑफ साइलेंस और दो अन्य धार्मिक स्थलों पर प्रार्थना या धार्मिक समारोहों के बीच विवाद का निपटारा करने के लिए बुलाया गया था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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