तुरा: मेघालय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इकाई के उपाध्यक्ष बर्नार्ड एन. मारक और मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा फिर दोस्त बन सकते हैं, हां मगर अभी नहीं.
कभी नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के नेतृत्व वाली मेघालय डेमोक्रेटिक अलायंस (एमडीए) सरकार में सहयोगी रहे, दोनों इस चुनाव में आमने-सामने होने जा रहे हैं. वेस्ट गारो हिल्स जिले में दक्षिण तुरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा जाएगा. कोनराड एनपीपी के अध्यक्ष हैं.
दक्षिण तुरा के अलावा 27 फरवरी को होने वाले चुनावी मुकाबले में दो गठबंधन सहयोगी – एनपीपी और बीजेपी – 56 सीटों पर एक दूसरे से मुकाबला करेंगे.
मेघालय में, गठबंधन के सहयोगी अतीत में भी एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं.
गुरुवार को तुरा में दिप्रिंट से बात करते हुए, मारक ने कहा कि वह उस व्यक्ति (कोनराड) के खिलाफ खड़े थे, जिसने मेघालय के राजनीतिक उपरिकेंद्र – तुरा में अपने फार्महाउस पर “सेक्स रैकेट” चलाने के लिए उन्हें “गलत तरीके से फंसाया” था.
दिप्रिंट मुख्यमंत्री से टिप्पणी लेने के लिए एनपीपी के दफ्तर पहुंचा, लेकिन इस खबर के प्रकाशित किए जाने तक उनसे संपर्क नहीं हो सका. हालांकि, उनका जवाब मिलने के बाद इस खबर को अपडे़ट कर दिया जाएगा.
जुलाई 2022 में मारक को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्होंने लगभग 4 महीने जेल में बिताए. ज़मानत पर बाहर आकर, वो न केवल चुनाव लड़ रहे हैं, बल्कि उन्हें विश्वास है कि उनकी पार्टी भारी बहुमत से जीतेगी.
2018 में बीजेपी ने राज्य में सिर्फ दो सीटें जीती थीं, लेकिन वो मेघालय में एनपीपी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के लिए संख्या में कामयाब रही थी.
मारक ने कहा, “मैंने हमेशा खुद से कहा – सही काम करो, भगवान पर भरोसा रखो और आगे बढ़ते रहो. जब मुझे गिरफ्तार किया गया, फंसाया गया और 40 दिनों के लिए हिरासत में रखा गया, तो मैंने यही किया. लगभग 4 महीने, मैंने प्रार्थना की, खुद को मज़बूत बनाए रखा और आज, मैं उन लोगों को माफ कर सकता हूं, जिन्होंने सच में मुझे फंसाया है.”
पिता और बेटे के बीच तुलना करते हुए मारक ने कहा कि कोनराड अपने पिता और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पूर्णो अगितोक संगमा से बहुत अलग हैं.
उन्होंने कहा, “मैं उन लोगों में से एक था जो पीए संगमा का सम्मान करते थे, लेकिन पिछले पांच सालों में मैंने देखा है कि कोनराड अपने पिता के ठीक विपरीत है. संगमा लोगों का ख्याल रखते थे. आज, जब मैं कोनराड और उनके पिता को एक ही बैनर पर देखता हूं, तो मुझे दो विपरीत चेहरे दिखाई देते हैं.”
उनके अनुसार, कोनराड संगमा ने कभी भी अपने पिता के सपनों पर ध्यान नहीं दिया. “उन्होंने एक सार्वजनिक नेता के रूप में कभी जिम्मेदारी नहीं ली, लेकिन एक एनपीपी नेता के रूप में, वो हमेशा अपनी पार्टी को मजबूत करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करते थे.”
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‘संभावित खतरा’
मारक के अनुसार, वह दक्षिण तुरा में सीएम के लिए ‘‘संभावित खतरा’’ रहे थे.
बीजेपी नेता ने कहा, ‘‘कॉनराड जानते थे कि मैं अकेला व्यक्ति था जो उन्हें हरा सकता था और वे जानते थे कि मैंने पिछला चुनाव जीतने में उनकी मदद की थी. मैंने उनके लिए बहुत कुछ किया-विपक्षी आलोचना और अन्य चीजों से उनकी रक्षा की. चुनाव से दो दिन पहले मैंने उनसे कहा था कि तुरा में विपक्षी नेताओं के समर्थक युवाओं को मैं लाऊंगा और मैंने किया, लेकिन वो कभी मेरे एहसानमंद नहीं रहे.’’
हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि एक समय आएगा जब वे कोनराड के साथ फिर से बातचीत करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं उनसे बात नहीं करता. मैंने अपने लोगों की आकांक्षाओं पर खरा उतरने का फैसला किया है, जिन्हें उन्होंने धोखा दिया है. मेरा बात करने का समय आएगा. अभी मेरा ध्यान इस सीट को जीतने पर है.’’
मारक के अनुसार, यह व्यक्तित्व और पार्टी की छवि दोनों हैं जो चुनावी राजनीति में भूमिका निभाते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं कोई नेता नहीं हूं, बल्कि ज़मीनी स्तर का कार्यकर्ता हूं. यहां तक कि आतंकवाद के दिनों में भी मैंने हमेशा भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाई है, मैंने उन तथ्यों को सामने लाने की कोशिश की है जिनका लोग ज़मीनी स्तर पर सामना कर रहे हैं और मैंने बीजेपी में शामिल होकर इस लड़ाई को राजनीतिक रूप से जारी रखने का विकल्प चुना. एक ज़मीनी नेता के रूप में लोगों के बीच मेरी उपस्थिति बहुत मायने रखती है और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का समर्थन गारो हिल्स के लोगों के लिए एक स्पष्ट तस्वीर है कि भाजपा अब कोनराड के साथ नहीं है, यह बर्नार्ड के साथ है.”
दिसंबर 2014 में दो गारो उग्रवादी संगठनों – दिलश मारक के नेतृत्व वाली अचिक नेशनल वालंटियर काउंसिल (एएनवीसी) और बर्नार्ड एन मारक के नेतृत्व में इससे अलग हुए गुट एएनवीसी-बी ने एक त्रिपक्षीय युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए और तत्कालीन मुख्यमंत्री मुकुल संगमा और उनके कैबिनेट सहयोगी के समक्ष हथियार डाल दिए.
मारक ने दावा किया कि उन्हें अपने क्षेत्र में ‘‘एनपीपी कार्यकर्ताओं द्वारा नाबालिगों को भी शराब और पैसा बांटने” की शिकायतें मिलीं हैं.
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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