कोहिमा: नागालैंड में 27 फरवरी को होने वाले चुनाव में चार प्रमुख राजनीतिक दलों में से, मुख्यमंत्री नेफियू रियो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को छोड़कर सभी के सदस्य रहे हैं.
वह चार में से दो पार्टियों- नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) और नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के संस्थापकों में से हैं. रियो पूर्वोत्तर राज्य के सबसे लंबे समय तक रहने वाले मुख्यमंत्री भी हैं. होर्डिंग्स पर उनका चेहरा सबसे प्रमुख है, जिसकी तुलना केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा प्रमुख जे.पी. नड्डा से की जा सकती है.
रियो कभी भी भाजपा में नहीं रहे, लेकिन उन्होंने जिस भी पार्टी का नेतृत्व किया, वह 2003 से लगभग लगातार उसके साथ गठबंधन में रही है.
रियो का नाम लेते ही राज्य में एक श्रद्धा का भाव जगता है. 72 साल के रियो के बारे में बात करें तो लोग राज्य में उनके द्वारा किए गए “विकास कार्यों” के बारे में बात करते हैं.
यहां तक कि बेरोजगारी का मुद्दा जो कि नागालैंड में देश में उच्चतम स्तर पर है, बातचीत में अनिवार्य रूप से उभरता है लेकिन फिर भी विरोधियों द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप, उनकी चमक को फीका नहीं कर पा रहे हैं.
कोहिमा में, लातिन्हो जो उत्तरी अंगामी-द्वितीय से हैं, रियो 1989 से इस विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं (बस बीच में वे संसद सदस्य भी रहे). उसने कहा, “उन्होंने बहुत सारे विकास कार्य किए हैं हमारे लिए. हम अलग-अलग गांवों के हैं, लेकिन एक ही निर्वाचन क्षेत्र में आते हैं. मैं उसे वोट दूंगी.”
“वह हमारे लिए अच्छा है … मेरे पास वर्तमान में नौकरी नहीं है, लेकिन मेरे कई दोस्तों के पास है. यहां नौकरी पाना आसान नहीं है. चुनाव के बाद मैं भी इसकी तलाश करूंगी.”
रियो कई दशकों से नागालैंड की राजनीति की धुरी रहे हैं. उन्होंने 15 साल के अंतराल पर एनडीपीपी और एनपीएफ की स्थापना की.
उन्होंने पहली बार 2003 में नागालैंड के डेमोक्रेटिक एलायंस (डीएएन) सरकार के प्रमुख के रूप में मुख्यमंत्री पद शपथ ली थी, जिसमें एनपीएफ, भाजपा और कई नागा क्षेत्रीय संगठन थे. तब से, उन्होंने 2014 और 2018 के बीच 16वीं लोकसभा में एक कार्यकाल को छोड़कर राज्य का नेतृत्व किया है.
एनपीएफ के प्रेस सचिव अतोउ लीजित्सु कहते हैं, “2014 में, जब वह मुख्यमंत्री के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल में थे, तो उन्होंने पद छोड़ दिया क्योंकि वे दिल्ली जाना चाहते थे. वह दिल्ली गए और टी. आर. जेलियांग मुख्यमंत्री बने. लेकिन 2018 के चुनाव से पहले उन्होंने अपनी पार्टी बना ली. फिर भी वह हमसे विधायक का टिकट मांगकर आए… उनके पास कई रिसॉर्ट, होटल और स्कूल हैं. लेकिन मुझे लगता है कि सत्ता उनके सिर चढ़ गई. यही कारण है कि वह इतनी आसानी से पार्टियों को बदल सकते हैं और मुख्यमंत्री बन सकते हैं.”
रियो ने 2002 में एनपीएफ की स्थापना की और 2017 में असंतुष्ट तत्वों के एक समूह के साथ एनडीपीपी का गठन किया. 2018 में, उन्होंने भाजपा-एनडीपीपी गठबंधन का नेतृत्व करते हुए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.
उत्तरी अंगामी-II: रियो का निर्वाचन क्षेत्र
कोहिमा शहर से एक छोटी और धूल भरी ड्राइव, नवनिर्मित बहुमंजिला एनडीपीपी कार्यालय के सामने, जो काफी हद तक सुनसान है, ‘द ममी’ फ्रेंचाइजी की कई फिल्मों में से एक टीवी पर चल रही है और कई लोग पहली मंजिल पर कार्ड टेबल के चारों ओर इकट्ठे हैं.
उत्तरी अंगामी-द्वितीय के बारे में कुछ भी नहीं है जो इसे कुछ दशकों तक वीआईपी निर्वाचन क्षेत्र के रूप में खड़ा करता है. एनडीपीपी कार्यालय में, कार्ड टेबल के आसपास मौजूद पुरुषों में से एक बिना ज्यादा भावुकता के कहता है: “यह उत्तरी अंगामी-द्वितीय है. यह सीएम का निर्वाचन क्षेत्र है. आप कहां जाना चाहते हैं?”
जैसे-जैसे दिप्रिंट आगे बढ़ा, हर जगह चल रहे निर्माण कार्य के संकेत मिल रहे थे, क्योंकि तभी सड़कें टूटी हुई थईं. लेकिन सड़कें कोहिमा के एक सरकारी कॉलेज के चपरासी केविसेतुओ को परेशान नहीं करती.
केविसेतुओ रियो और सभी “विकास” कार्यों के बारे में बात करने के लिए उत्सुक थे. वे कहते हैं, “यहां काफी विकास हुआ है. मेरे पास एक अच्छा जीवन है. मेरे कार्यालय का समय सुबह 9 बजे से दोपहर 3-3.30 बजे तक है और मैं 40,000 रुपये कमाता हूं. मेरा अपना घर है, कुछ खेत है. जीवन अच्छा है. रियो एक अच्छे इंसान हैं.”
पर्यटन को आकर्षित करने के लिए रियो के पैतृक गांव तुओफेमा को मॉडल गांव के रूप में विकसित किया गया है.
हालांकि, हर कोई इसे लेकर उत्साही नहीं है.
दो बच्चों की मां और व्यवसायी महिला माइन सेन्यो कहती हैं कि सड़क के किनारे लगे नल से पानी भरने के लिए कतार में लगी बाल्टियां एक आम दृश्य बनी हुई हैं और सामान्य तौर पर जीवन में ज्यादा बदलाव नहीं आया है. “देखिए उसने (रियो) चारों ओर अच्छा काम किया है, लेकिन वह वास्तव में मेरे जीवन को बेहतर नहीं बना सकता है. मैं उस तक नहीं पहुंच सकती. ज्यादा से ज्यादा मैं उनके निजी सहायक तक पहुंच सकूंगी.”
शिक्षक के रूप में सरकारी नौकरी के लिए प्रयास कर रही मेरिमा निवासी सेन्यो कहती हैं, “2019 में, मैंने आवेदन किया था और अंतिम चरण में पहुंचने वाले 11 लोगों में से कोई भी नहीं चुना गया था. बहुत ज्यादा बैक डोर एंट्री है. इस साल मैंने फिर अप्लाई किया और फेल हो गयी.”
“बैक डोर” के बारे में थोड़ा विद्वेष लोगों के मन में है. उसने इसे जीवन के एक तरीके के रूप में स्वीकार कर लिया है.
सेन्यो क्षमा याचना के साथ कहती हैं, “मैंने और मेरे पति ने इन सभी फ्रीजर आदि को खरीदने के लिए इस दुकान के लिए कर्ज लिया था. एक बार जब हम इसे चुका देंगे, तो शायद जीवन आसान हो जाएगा, और मैं सरकारी नौकरी के लिए तरसना बंद कर दूंगी. लेकिन नागाओं के लिए सरकारी नौकरी बहुत मायने रखती है.”
चर्च के एक अधिकारी ने कहा कि रियो के प्रदर्शन के बारे में धारणा ज्यादा मायने नहीं रखती. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “कई गांवों में, गांव का मुखिया जाता है और पूरे टोले के लिए वोट डालता है, कभी-कभी परिवार का मुखिया अपने पूरे परिवार के लिए वोट करता है. नागालैंड में यह एक अलग व्यवस्था है.”
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भ्रष्टाचार के आरोप
मंगलवार को दीमापुर के दीपुहार में एक सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता अजय कुमार ने भ्रष्टाचार के बारे में बात करते हुए भीड़ से कहा, “नागालैंड एकमात्र राज्य है जहां कोई मेडिकल कॉलेज नहीं है. जो पैसा सड़क, मेडिकल कॉलेज और हाई कोर्ट बनाने में लगना चाहिए था, वह वहीं के जैसे रिसॉर्ट बनाने में इस्तेमाल हो रहा है. यह किसका रिसॉर्ट है?” भीड़ ने उत्तर दिया: “नेफियू रियो”. फिर कुमार ने खुद को ठीक किया और कहा, “माफ करना एक नहीं, बल्कि तीन रिसॉर्ट्स.”
निआथु रिसॉर्ट की शाखाएं कोहिमा और दीमापुर के आसपास तक हैं. रियो ने अपने चुनावी हलफनामों में भी रिसोर्ट चेन के अपने स्वामित्व की घोषणा की है. उनकी घोषित व्यक्तिगत संपत्ति 9.80 करोड़ रुपये से अधिक है और उनकी पत्नी को मिलाकर यह 15 करोड़ रुपये से अधिक हो जाता है.
रियो खुद को एक विधायक और कृषक बताते हैं और उनकी पत्नी कैसा रियो एक कृषक और एक फूलवाला बताती हैं. पिछले साल नागालैंड उच्च न्यायालय के प्रस्तावित भवन से जुड़ी अनियमितताओं के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय ने रियो के कई सहयोगियों को पूछताछ के लिए बुलाया था. एनडीपीपी और मुख्यमंत्री कार्यालय दोनों ने उन खबरों का खंडन किया है कि रियो को ईडी की पूछताछ का सामना करना पड़ा था.
नागालैंड के युवाओं में कभी-कभार ही रियो के प्रति मोहभंग के स्वर सुनाई पड़ते हैं.
कांग्रेस नेता शशि थरूर की खचाखच भरी टाउन हॉल बैठक में शामिल होने के लिए कांग्रेस कार्यालय में बुधवार को काम से आधे दिन की छुट्टी लेने वाले एक बैंककर्मी कीका चिशी ने कहा: “नागालैंड में कोई विरोधी दल नहीं है. विरोध का स्वर होना चाहिए. और यहां बहुत अधिक भ्रष्टाचार है. इसे बदलने की जरूरत है. और अब समय आ गया है कि नेफियू रियो जाए. कोई भी आए लेकिन उन्हें जाना चाहिए.”
(संपादन: कृष्ण मुरारी)
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