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Tuesday, 26 November, 2024
होमराजनीतिमनीष सिसोदिया के खिलाफ CBI जांच को मंजूरी, FBU गठित कर 'राजनीतिक खुफिया जानकारी' जुटाने का आरोप

मनीष सिसोदिया के खिलाफ CBI जांच को मंजूरी, FBU गठित कर ‘राजनीतिक खुफिया जानकारी’ जुटाने का आरोप

गृह मंत्रालय ने 17 फरवरी को सीबीआई को कथित स्नूपिंग मामले में सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी.

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नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ‘फीडबैक यूनिट’ (एफबीयू) गठित करके ‘राजनीतिक खुफिया जानकारी’ एकत्र किए जाने के मामले में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई जांच को मंजूरी दे दी.

बता दें कि सत्ता में आने के बाद, 2015 में दिल्ली सरकार ने फीडबैक यूनिट (एफबीयू) का गठन किया था, जिसका काम कथित तौर पर विपक्षी नेताओं और हर विभाग पर नजर रखना था.

गृह मंत्रालय ने 17 फरवरी को सीबीआई को कथित स्नूपिंग मामले में सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दी.

दिल्ली के उपराज्यपाल के प्रधान सचिव को भेजे गए पत्र में गृह मंत्रालय ने कहा कि सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 की धारा 17 के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दी जाती है.

इस महीने की शुरुआत में सीबीआई ने कहा था कि उसने अपनी प्रारंभिक जांच में पाया कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए, दिल्ली सरकार द्वारा स्थापित एफबीयू ने कथित तौर पर ‘राजनीतिक खुफिया जानकारी’ एकत्र की. एजेंसी ने सिसोदिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की थी.

आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) के अधिकार क्षेत्र में आने वाले विभिन्न विभागों व स्वायत्त निकायों, संस्थानों के कामकाज के बारे में प्रासंगिक व कार्रवाई योग्य जानकारी एकत्र करने के लिए 2015 में एफबीयू की स्थापना का प्रस्ताव पेश किया था.

एफबीयू के लिए गुप्त सेवा व्यय के तौर पर एक करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. एफबीयू ने 2016 में काम करना शुरू किया.

आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) के अधिकार क्षेत्र में आने वाले विभिन्न विभागों व स्वायत्त निकायों, संस्थानों के कामकाज के बारे में प्रासंगिक व कार्रवाई योग्य जानकारी एकत्र करने के लिए 2015 में एफबीयू की स्थापना का प्रस्ताव पेश किया था।

एफबीयू के लिए गुप्त सेवा व्यय के तौर पर एक करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। एफबीयू ने 2016 में काम करना शुरू किया.

सीबीआई ने आरोप लगाया था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2015 में एक कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन कोई एजेंडा नोट प्रसारित नहीं किया गया था.

एजेंसी ने दावा किया था कि एफबीयू में नियुक्तियों के लिए उपराज्यपाल से कोई मंजूरी नहीं ली गई.

सीबीआई ने अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में कहा, ‘एफबीयू ने आवश्यक जानकारी एकत्र करने के अलावा, खुफिया राजनीतिक जानकारियां भी एकत्र की है.’


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