नई दिल्ली: दिप्रिंट को जानकारी मिली है कि डेढ़ साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने राजस्थान हाईकोर्ट के दो मौजूदा न्यायाधीशों को किसी अन्य क्षेत्राधिकार में स्थानांतरित करने की अपनी सिफारिश पर अभी तक कार्रवाई नहीं की है.
सरकार के साथ-साथ शीर्ष अदालत के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि जजों की नियुक्ति और स्थानांतरण करने वाले निकाय कॉलेजियम ने 2021 में दो न्यायाधीशों की नियुक्ति को मंजूरी देते हुए उल्लेख किया था कि उनकी पदोन्नति के तुरंत बाद, मामले को कॉलेजियम के समक्ष रखकर उन्हें दूसरे हाईकोर्ट में स्थानांतरित कर दिया जाएगा.
वैसे तो भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के नेतृत्व में एक तीन सदस्यीय पैनल हाईकोर्ट की नियुक्तियों के लिए उम्मीदवारों को नामित करता है, लेकिन जब हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के स्थानांतरण की सिफारिश करने की बात आती है तो दो और न्यायाधीशों को इसमें शामिल करते हुए इसका विस्तार किया जाता है. आमतौर पर न्यायाधीशों का तबादला ‘न्याय के हित’ और ‘बेहतर प्रशासन’ के लिए किया जाता है.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, चूंकि, कॉलेजियम ने इस शर्त पर दो नामों को मंजूरी दी थी कि उनकी नियुक्ति पर उनका तबादला कर दिया जाएगा, इसलिए केंद्र सरकार ने उनकी फाइलों को पीठ में शामिल होने के एक महीने के भीतर नियुक्ति पैनल को वापस भेज दिया था. पहली फाइल अक्टूबर 2021 में भेजी गई थी, दूसरी नवंबर 2021 में भेजी गई थी. एक सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, लेकिन कॉलेजियम ने दो नामों पर अपने अंतिम फैसले के साथ सरकार को इसे वापस नहीं भेजा है.
सरकार ने अक्टूबर 2021 में दो न्यायाधीशों की नियुक्ति को अलग-अलग अधिसूचनाओं के माध्यम से अलग-अलग तारीखों पर अधिसूचित किया था. इनमें से एक पुनरावृत्ति का मामला था. इस विशेष न्यायाधीश के नाम की सिफारिश पहली बार जुलाई 2019 में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा की गई थी, लेकिन फरवरी 2020 में सरकार ने फाइल को पुनर्विचार के लिए वापस कर दिया.
इसके जवाब में SC कॉलेजियम ने सितंबर 2021 में फिर से इस नाम की सिफारिश की. सूत्रों ने बताया कि इस नाम की दोबारा सिफारिश करते हुए कॉलेजियम ने न्यायाधीश की पदोन्नति पर उनके तबादले का सुझाव दिया था. SC कॉलेजियम के इस फैसले के मद्देनजर सरकार ने अक्टूबर 2021 में इस जज की फाइल को उन्हें राजस्थान HC से बाहर स्थानांतरित करने के प्रस्ताव के साथ वापस भेज दिया. अभी तक इस पर सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया है.
दूसरे न्यायाधीश के संबंध में, दिप्रिंट को पता चला है कि सरकार ने कॉलेजियम की मंजूरी के तुरंत बाद उनकी नियुक्ति को अधिसूचित कर दिया था. हालांकि, उम्मीदवार की पृष्ठभूमि की जांच कराने के बाद सरकार ने उनकी पदोन्नति पर अपनी चिंताएं व्यक्त की थीं.
सरकारी सूचनाओं को ध्यान में रखते हुए, कॉलेजियम ने अक्टूबर 2021 में हुई अपनी एक बैठक में उक्त नाम को मंजूरी देते हुए राय दी थी कि उन्हें किसी अन्य HC में स्थानांतरित कर दिया जाए. एक बार सरकार द्वारा पदोन्नति के लिए नाम अधिसूचित किए जाने के बाद उक्त न्यायाधीश के स्थानांतरण के संबंध में फाइल को कॉलेजियम को भेज दिया गया था.
उक्त सरकारी सूत्रों में से एक ने बताया, ‘‘पहली फाइल के करीब एक महीने बाद, इस फाइल को 17 नवंबर 2021 को शीर्ष अदालत के कॉलेजियम के पास भेजा गया था. उपरोक्त दोनों प्रस्ताव उसके पास डेढ़ साल से अधिक समय से लंबित हैं और कॉलेजियम ने अभी तक उन पर कोई फैसला नहीं लिया है. चूंकि सरकार ने प्रस्तावों को भेजा था, इसलिए कॉलेजियम को दोनों में से किसी एक पर फैसला करना चाहिए.’’
(अनुवाद: संघप्रिया | संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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